Dwarf In India : रिसर्च रिपोर्ट का खुलासा, बौने हो रहे भारतीय
Dwarf In India : शोधपत्र के अनुसार वर्ष 2005 - 2015 के बीच 15 से 18 वर्ष के आयुवर्ग की महिलाओं की औसत ऊंचाई में 0.12 सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गयी, जबकि 26 से 50 वर्ष के आयुवर्ग की महिलाओं में यह कमी 0.13 सेंटीमीटर रही....
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण
Dwarf In India जनज्वार। दुनियाभर में लोगों की औसत लम्बी बढ़ती जा रही है, जबकि हम भारतीयों की लम्बाई कम होती जा रही है। यह निष्कर्ष है, एक शोधपत्र का जिसे के के चौधरी, सायन दास और प्राचीनकुमार घोडाज्गर (K K Choudhary, Sayan Das & Prachinkumar Ghodajgar) ने लिखा है और यह पलोस वन (PLOS One – Online Journal) नामक जर्नल में 17 सितम्बर को प्रकाशित किया गया है। इस शोधपत्र का शीर्षक है, ट्रेंड्स इन एडल्ट हाइट इन इंडिया फ्रॉम 1998 टू 2015: एविडेंस फ्रॉम नेशनल फॅमिली एंड हेल्थ सर्वे (Trends in Adult Height in India from 1998 to 2015: Evidence from the National Family & Health Survey)।
इस शोधपत्र के अनुसार 1998 -1999 के नेशनल सर्वे (National Survey) से 2005-2006 के सर्वे के बीच तो औसत लम्बाई बढ़ी, पर 2005-2006 से 2015-2016 के नेशनल सर्वे (National Survey) के बीच औसत लम्बाई में गिरावट देखी गयी। हालांकि, औसत लम्बाई हरेक आयुवर्ग और आर्थिक स्तर पर कम हो गयी, पर इसका सबसे अधिक असर समाज के सबसे वंचित वर्ग पर देखा गया। जाहिर है, इसका कारण पोषण, तनाव और स्थानीय पर्यावरण है।
इस शोधपत्र (Research Report) के अनुसार वर्ष 2005 - 2015 के बीच 15 से 18 वर्ष के आयुवर्ग की महिलाओं की औसत ऊंचाई में 0.12 सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गयी, जबकि 26 से 50 वर्ष के आयुवर्ग की महिलाओं में यह कमी 0.13 सेंटीमीटर रही। सबसे गरीब अनुसूचित जनजाति की महिलाओं में 15 से 25 वर्ष के समूह में यह कमी 0.42 सेंटीमीटर आंकी गयी है। इसी तरह पुरुषों के 15 से 25 वर्ष के आयु वर्ग में इसी अवधि के दौरान 1.1 सेंटीमीटर की कमी और 26 से 50 वर्ष के आयुवर्ग में 0.86 सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गयी है।
समस्या यह है कि हमारे देश में केवल लम्बाई ही नहीं कम हो रही है बल्कि कुपोषित और भूखे लोगों की संख्या भी बढ़ रही है, पर्यावरण का विनाश तेजी से हो रहा है, प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही हैं, वायु प्रदूषण से औसत आयु में 6 वर्ष की कमी आ रही है, बेरोजगारी और दूसरी समस्याओं के कारण समाज में तनाव बढ़ता जा रहा है। समाज से सम्बंधित सभी सरोकारों में हम वर्ष 2014 तक जितना हासिल कर पाए थे वह सबकुछ धीरे-धीरे ख़त्म होता जा रहा है। अनेक वैज्ञानिकों ने हम भारतीयों के वैश्विक औसत से छोटा होने होने को हमारी जीन से जोड़ा था, पर कुछ वर्ष पहले यूनाइटेड किंगडम में रहने वाले भारतीयों पर एक अध्ययन से यह पता चला था कि वहां रहने वाले भारतीयों की औसत ऊंचाई भारत में रहने वाले लोगों की तुलना में अधिक है।
हमारे देश में पुरुषों की औसत ऊंचाई सबसे अधिक जम्मू, काश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और केरल में है, जबकि सबसे कम ऊंचाई मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और झारखण्ड में है। महिलाओं के सन्दर्भ में सबसे अधिक ऊंचाई पंजाब, जम्मू, काश्मीर, केरल और हरयाणा में है, जबकि सबसे कम ऊंचाई मेघालय, त्रिपुरा, झारखण्ड और बिहार में है।
इस शोधपत्र में बताया गया है कि दुनिया में औसत ऊंचाई बढ़ती जा रही है, पर अमेरिका, चीन, जापान, साउथ कोरिया, अनेक पश्चिमी यूरोपीय देशों (European Countries) में लम्बाई पिछले कुछ दशकों से स्थिर है। दूसरी तरफ नीदरलैंड सरकार के ब्यूरो ऑफ़ स्टेटिस्टिक्स (Bereau Of Statics) द्वारा हाल में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार वहां भी औसत लम्बाई कम हो रही है।
यहाँ ध्यान रखना चाहिए कि दुनिया में औसत ऊंचाई के सन्दर्भ में नीदरलैंड पहले स्थान पर है, और लम्बाई घटने के बाद भी पहले स्थान पर ही है। पर, वहां वर्ष 2001 के बाद पैदा हुई आबादी की औसत ऊंचाई इससे पहले की आबादी की तुलना में लगभग 1 सेंटीमीटर छोटी है। न्यू इंडिया में आबादी बौनी होती जायेगी, पर सरकारों का वर्चस्व, सामाजिक असमानता और संसद भवन लगातार बड़ा होता जाएगा।