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Rajgarh News: बंदर की मौत पर श्राद्ध भोज, दूर-दराज गांवों के 5 हजार लोगों को मिला न्योता
बंदर की मौत पर श्राद्ध भोज का आयोजन
Rajgarh News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राजगढ़ जिले (Rajgarh) के खिलचीपुर स्थित डालूपुरा गांव में अंधविश्वास का एक अजीबों मामला सामने आया है। यहां बंदर की मौत (Monkey Death in MP) पर श्राद्ध भोज का आयोजन किया गया। इसके लिए बाकायदा श्राद्ध कार्यक्रम का कार्ड छपवाकर लोगों को न्योता भी भेजा गया और दूर दराज के गांवों के लोग इस आयोजन में शामिल हुए। जानकारी के अनुसार, भोज में करीब 5 हजार लोगों ने खाना खाया। बंदर की मृत्यु से दुखी ग्रामीणों ने चंदा इक्टठा कर इस भव्य भोज का आयोजन किया।
उज्जैन में बंदर की अस्थियों का विसर्जन
बताया जा रहा है कि भोज के लिए एक स्कूल परिसर में भव्य पंडाल लगाया गया। वहीं, भोज में खपत हुए सामान की बात करें तो करीब 10 क्विंटल आटा, 450 लीटर छाछ, 350 लीटर तेल, 2.5 क्विंटल शक्कर, एक क्विंटल बेसन से बना भोजन और 10 हजार दोने-पत्तल लगे। बंदर का अंतिम संस्कार भी बैंड बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकालकर किया गया था। वहीं, बंदर की मौत (Monkey Death) के तीसरे दिन बाद उसकी अस्थियां उज्जैन में विसर्जित की गई थीं। ग्रामीण हरि सिंह ने बंदर के दाह संस्कार के बाद बाल भी मुंडवाए और अपने परिवार के सदस्य की तरह ग्यारहवीं का कार्यक्रम संपन्न किया। ग्रामीणों का मानना है कि बंदर हनुमानजी का ही रूप हैं और इसलिए उन्होंने पूरे रीति रिवाज के साथ बंदर की अंतिम विदाई की है।
ठंड के कारण हुई बंदर की मौत
जानकारी के मुताबिक, 29 दिसंबर की रात को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राजगढ़ स्थित डालूपुरा गांव में एक बंदर की मौत हो गई थी। बंदर जंगल की ओर से गांव में आ गया था। दिनभर उछल-कूद करने के बाद रात करीब 8 बजे ठंड से कांपते हुए एक घर के सामने आकर बैठ गया। बंदर को ठंठ से ठिठुरता देख लोगों ने बंदर के पास अलाव जलाया, उसे गर्म कपड़े पहनाए, लेकिन बंदर की तबीयत ठीक नहीं हुई। इसके बाद ग्रामीणों ने बंदर को खिलचीपुर ले जाकर डॉक्टर को दिखाया। लेकिन 30 दिसंबर की अहले सुबह बंदर की मौत हो गई।
बैंड बाजा के साथ निकली अंतिम यात्रा
30 दिसंबर की सुबह पूरा गांव हनुमान मंदिर पहुंचा, जहां, महिला-पुरुष समेत सैंकड़ों की भीड़ बंदर की अंतिम यात्रा (Monkey Last Rite) में शामिल होने पहुंचीं। यहां बंदर के लिए किसी इंसान की तरह अर्थी सजाई गई। इसके बाद नारियल रखकर बंदर को नमन किया गया। इसके बाद बैंड बाजे के साथ बंदर की अंतिम यात्रा मुक्तिधाम के लिए रवाना हुई। आगे-आगे बैंड वाले चले। तो वहीं, पीछे से महिलाएं भजन गाती हुई मुक्तिधाम तक गईं। गांव के बिरम सिंह चौहान ने बताया कि विधि-विधान से बंदर का अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, ग्याहरवीं के भोज में 5 हजार लोगों के खाने में नुक्ती, सेव, पुड़ी और कढ़ी बनी। भोज में आए ग्रामीणों ने हरिसिंह को तिलक लगाकर कपड़े भी भेंट दिए।