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अंधविश्वासः सर्पदंश से मृत बच्ची को जीवित करने के नाम पर घंटों चला झाड़-फूंक का ड्रामा
जनज्वार ब्यूरो, पटना। देश में अंधविश्वास अपना जड़ गहरा कर चुका है। 21वीं सदी में जहां दुनिया अंतरिक्ष औऱ मंगल-चांद की सैर कर रही है, वहीं हमारे देश में ओझा-गुनी, झाड़-फूंक का दौर भी चल रहा है।रोज ब रोज ऐसी घटनाएं सामने आ रहीं हैं, जिसके कारण सभ्य समाज को भी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। खासकर जिन इलाकों में अशिक्षा ज्यादा है वहां ऐसी घटनाएं भी ज्यादा देखने को मिल रहीं हैं।
ताजा मामला एक बार फिर बिहार से है। बिहार के शेखपुरा जिले के घाटकुसुंभा गांव के लोगों ने अंधविश्वास की हदें पार कर दीं। इस गांव के चंद्रिका महतो की 12 वर्षीया पुत्री सरिता कुमारी को बुधवार को सोते समय किसी विषैले सर्प ने डंस लिया। आनन-फानन में उसे इलाज के लिए शेखपुरा के सदर अस्पताल में ले जाया गया।वहां इलाज के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। मृत घोषित किए जाने के बाद परिजन बच्ची के शव को गांव लेकर आ गए।
गांव में शव लाए जाने के बाद एक तांत्रिक सामने आया। तांत्रिक ने दावा किया कि वह मृत बच्ची को जिंदा कर देगा।फिर क्या था,बच्ची के शव को जमीन पर रखा गया और सैकड़ों तमाशबीनों की भीड़ लग गई। तांत्रिक घँटों झाड़-फूंक का नाटक करता रहा। कभी मंत्र पढ़ता,कभी झाड़ा लगाता तो कभी मृत बच्ची के आंख पर फूंक मारता।लोग खड़े होकर सब तमाशा देख रहे थे। बच्ची को न जीवित होना था और न वो जीवित हुई।
घंटों बाद लोगों के सब्र का बांध भी टूटने लगा। इसी बीच तांत्रिक बहाना बना कर 10 मिनट में आने की बात कह धीरे से खिसक गया। काफी खोज-बीन के बाद भी दुबारा वह नहीं मिला। बाद में ग्रामीणों ने परंपरानुसार बच्ची का अंतिम संस्कार किया।