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कोविड -19

हरियाणा के रोहतक जिले के गांव टिटौली में कोरोना विस्फोट, 37 मौतें, प्रशासन का दावा 4 की मौत कोविड

Janjwar Desk
7 May 2021 12:33 PM GMT
हरियाणा के रोहतक जिले के गांव टिटौली में कोरोना विस्फोट, 37 मौतें, प्रशासन का दावा 4 की मौत कोविड
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ग्रामीणों व प्रशासन के बीच अविश्वास का माहौल बिगाड़ रहा हालात, लोग टेस्ट के लिए भी नहीं आ रहे आगे....

रोहतक से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गृह जिले रोहतक के गांव टिटौली में कोविड संक्रमण विस्फोट हो गया है। गांव में दस दिन के भीतर 30 से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ दिया। गुरुवार को भी एक व्यक्ति ने दम तोड़ा। ब्लाक समिति लाखन माजरा के निर्वतमान चेयरमैन और गांव निवासी चांद सिंह कुंडू ने दावा किया 25 अप्रैल के बाद गांव में 36 से 37 लोग दम तोड़ चुके हैं। प्रशासन का दावा है कि गांव में हुई मौत में 4 व्यक्तियों की मौत कोरोना वायरस के संक्रमण से हुई है। कुछ लोगों की मृत्यु का कारण वृद्धावस्था और कैंसर बताया है। गांव और प्रशासन के बीच अविश्वास का माहौल बना हुआ है। ग्रामीण प्रशासन की बातों और सुझाव पर यकीन नहीं कर रहे हैं।

इससे नुकसान यह हो रहा है कि गांव के लोग टेस्ट के लिए भी सामने नहीं आ रहे हैं। गांव में संक्रमण की स्थिति यह है कि हर घर में कोई न कोई सदस्य कोविड पॉजिटिव है। ग्रामीण मौत की वजह कोविड बता रहे हैं। गांव के निवर्तमान सरपंच सुरेश कुंडू ने बताया कि उनके गांव दहशत में हैं। लोग जांच के लिए भी बाहर नहीं आ रहे हैं। इसकी दो वजह है, एक तो गांव के लोग अनपढ़ है, दूसरा उन्हें प्रशासन पर यकीन नहीं है। उन्होंने कहा कि कई लोगों की मौत इलाज के दौरान हो गई, इसलिए गांव के लोग सोच रहे हैं कि इलाज सही नहीं हो रहा। यह डर ग्रामीणों को बीमारी छुपाने पर मजबूर कर रहा है।


ग्रामीणों ने बताया कि मौत के बाद भी प्रशासन ने गांव की ओर ध्यान नहीं दिया। जब मामला मीडिया में आया तो अधिकारी गांव की ओर भागे। अब गांव में लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं। ब्लाक समिति लाखन माजरा के निर्वतमान चेयरमैन और गांव निवासी चांद सिंह कुंडू ने बताया कि हर घर में एक मरीज है। गांव में लोगों की जांच की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जो मर गए, उनकी जांच नहीं की गयी। जिससे यह पता चले कि मौत की वजह क्या है?

उन्होंने कहा कि अभी भी प्रशासन मौतों और बीमारी पर लीपापोती कर रहा है। गांव में कोरोना विस्फोट है, लोग मर रहे हैं, लेकिन अभी तक गांव में एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराई गई है।

लोग कह रहे थे कि प्रशासन की तरफ से उन्हें संभालने वाला कोई नहीं है। उन्होंने बताया कि 10 दिन हो गए, गांव में मौत का तांडव मचा हुआ है। इसके बाद भी मौत की वजह और इसकी रोकथाम की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा है।

प्रशासन ने गांव में जांच शिविर लगाया है। अभी भी गांव के लोग जांच के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। गांव के कुंडू भवन में सैंपल लेने का काम शुरू कर दिया है। इतनी बड़ी आबादी के गांव में 10 से 12 लोग ही इलाज के लिए आगे आए।

गांव के ज्यादातर लोग टेस्ट नहीं करवाने पर अड़े हुए हैं। इनका कहना है कि जब जिस बीमारी का इलाज नहीं है तो फिर टेस्ट करवाने का लाभ क्या। लोगों बार बार यह दोहरा रहे कि टेस्ट नहीं करवाएंगे। प्रशासन के समझाने के बाद बुधवार 5 अप्रैल तक मात्र 287 लोगों ने ही टेस्ट करवाए हैं। इनमें 82 लोग पॉजिटिव पाए हैं।


लोगों का तर्क है कि जिस बीमारी का इलाज नहीं है तो फिर टेस्ट करवाने का फायदा क्या है। अगर टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है तो व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है। जिससे बीमारी और ज्यादा नुकसान करती है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि टेस्ट का फायदा यह है कि इससे संक्रमित व्यक्तियों की जानकारी मिल जाती है और प्रशासन उसी हिसाब से अपनी तैयारी कर लेता है। जो लोग संक्रमित हैं उनको उन दवाईयों की किट दी जाएगी, जो कोविड-19 का संक्रमण रोकने में सहायक है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी स्वीकार कर रहे हैं कि हालात बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं। अगर सैम्पलिंग को लेकर लोग ऐसे ही उदासीनता आगे भी दिखाएंगे तो कुछ भी हो सकता है। प्रशासन के अधिकारी मौत के आंकड़ों को देखकर अंदरखाने यह कह रहे हैं कि मामला काफी बिगड़ गया है।


37 मौत होने के बाद बुधवार को प्रशासन ने गांव टिटौली को माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किया है। अब यहां लगातार सैनिटाइजेशन व टेस्टिंग का कार्य जारी रहेगा है। स्वास्थ्य विभाग ने बड़े स्तर पर ग्रामीणों की टेस्टिंग में टीकाकरण के लिए योजना तैयार की है। डीसी कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा गांव में सैनिटाइजेशन व टेस्टिंग का कार्य लगातार जारी है। एसडीएम राकेश कुमार के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों की टीम मौके पर मौजूद है।

प्रशासन भले ही गांव में मुस्तैदी के दावे कर रहा है, लेकिन चांद सिंह कुंडू का कहना है कि अभी तक तो गांव में मरीजों को आइसोलेशन में रखने के लिए कोई कैंप तक नहीं बनाया गया। अधिकारी दिन में कुछ समय के लिए आते हैं, फिर चले जाते हैं। उन्होंने सवाल किया, 'इस तरह से बीमारी पर कैसे काबू पाया जा सकता है'। एसएमओ से मांग की कि गांव में केयर सेंटर बना दिया जाए। इसमें दो डॉक्टर की व्यवस्था की जाए, लेकिन उन्हें मना कर दिया। बताया गया कि इलाज के लिए तो शहर आना होगा।

खंड विकास अधिकारी राजपाल चहल ने बताया कि पहले तो लोग टेस्ट कराने से बच रहे थे। गांव में अंधविश्वास था। लोग डरे हुए हैं। पॉजिटिव है, लेकिन लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, यदि ऐसे मरीज को कोरोना पॉजिटिव घोषित कर दिया जाए तो ग्रामीण इस पर यकीन नहीं करते हैं। लोगों में यह वहम भी था कि कोविड शहर की बीमारी है, गांव में नहीं आ सकती।

ग्रामीणों को टेस्ट कराने के लिए समझाया जा रहा है। गुरुवार को भी गांव में टेस्ट किए गए। नौ लोग पॉजिटिव आए है। धीरे धीरे गांव के हालात में सुधार आ रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को लगातार समझाया जा रहा है। एक दो दिन में उम्मीद है गांव में स्थिति को संभाल लिया जाएगा। गुरुवार को 75 टेस्ट कराए, इसमें से 9 लोग पॉजिटिव मिले हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि इस गांव में प्रवासी लोग भी बड़ी संख्या में हैं। इस वजह से संक्रमण ज्यादा फैल गया। इसके साथ ही शुरुआत में ग्रामीणों ने कोविड संक्रमण रोकने के प्रावधान का पालन नहीं किया। इस वजह से बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो गए हैं। हम टेस्ट पर जोर रहे हैं। गांव में बाहर से आने वालों पर रोक लगा दी गयी है।

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