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कोविड -19

दिल्ली हाईकोर्ट की कोरोना टीके को लेकर मोदी सरकार को फटकार, अदालतों में लगाया नहीं भेज रहे विदेश

Janjwar Desk
5 March 2021 3:49 AM GMT
दिल्ली हाईकोर्ट की कोरोना टीके को लेकर मोदी सरकार को फटकार, अदालतों में लगाया नहीं भेज रहे विदेश
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दिल्ली हाईकोर्ट ने मोदी सरकार से पूछा अपने लोगों को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना टीका लगाने के बजाय दूसरे देशों को टीका दान दे रहे हो या फिर बेच रहे हो...

नई दिल्ली, जनज्वार। कल गुरुवार 4 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना के टीके दूसरे देशों में दान दिए जा रहे हैं। विदेश में बिक्री हो रही, लेकिन अपने लोगों को पूरी क्षमता से टीके नहीं लगवाए जा रहे। कोर्ट ने सरकार को 9 मार्च तक हलफनामा देकर टीकाकरण में वर्गीकरण के पीछे का तर्क स्प्ष्ट करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने टीका बनाने वाली कंपनियां सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को उनकी निर्माण क्षमता बताने को भी कहा है। इस मामले में कोर्ट अगली सुनवाई 10 मार्च को करेगा।

कोरोना वैक्सीनेशन पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालत से जुड़े लोगों जजों, वकीलों और अन्य स्टाफ को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना टीका लगाने के लिए मोदी सरकार को निर्देशित किया।

जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पाली की पीठ ने बार काउंसिल की जनहित याचिका पर सुनवाई ये दौरान कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक अधिक मात्रा में टीका बना सकते हैं, लेकिन लगता है ऐसा हो नहीं रहा। गौरतलब है कि सरकार ने दूसरे चरण में 60 वर्ष से ऊपर सभी बुजुर्गों व 45 से अधिक उम्र के कुछ खास बीमारियों से पीड़ित लोगों को मुफ्त टीका की मंजूरी दी है।

पीठ ने कहा कि देश मे कोरोना के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं। ऐसे के टीकाकरण को नियंत्रित करने की क्या वजह है। इसमें जिम्मेदारी और तत्काल जरूरत का बोध होना जरूरी है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और अधिवक्ता अनिल सोनी ने कोर्ट को बताया कि यह विशेषज्ञों से राय-मशवरे के बाद लिया गया नीतिगत फैसला है। याचिका में न्यायाधीशों समेत न्याय प्रणाली से जुड़े सभी लोगों को अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी घोषित करने की मांग की गई है।

पीठ ने कहा कि संक्रमण के मामले फिर बढ़ने लगे हैं। जरूरत है कि अधिक से अधिक लोगों को जल्द से जल्द टीके लगाकर जिंदगी बचाई जाए। ऐसे में वर्गीकरण का तर्क समझ मे नहीं आता। सरकार ने जिन बीमारियों की शर्त रखी है वह बेहद गंभीर हैं। जरूरी नहीं कि जजों, कोर्ट कर्मचारियों को ये बीमारियां हों ही। इसका यह अर्थ तो नहीं कि इन्हें कोरोना का खतरा न हो। इसके अलावा पीठ ने दिल्ली सरकार से कोर्ट परिसरों में उपलब्ध चिकित्सा व्यवस्थाओं का निरिक्षण कर टीकाकरण केंद्र स्थापित करने की संभावनाएं तलाशने के भी निर्देश दिया है।

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