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Inflation : सितंबर में लोगों की जेबें पहले से ज्यादा हुईं ढीली, 7.41% तक पहुंची महंगाई

Janjwar Desk
13 Oct 2022 12:18 PM IST
Inflation : सितंबर में लोगों की जेबें पहले से ज्यादा हुईं ढीली, 7.41% तक पहुंची महंगाई
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Inflation : सितंबर में लोगों की जेबें पहले से ज्यादा हुईं ढीली, 7.41% तक पहुंची महंगाई

Inflation : केंद्र सरकार अपनी गलत नीतियों की वजह से महंगाई को रोकने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है। आरबीआई के दावों के उलट खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी जारी है।

Inflation : मोदी सरकार ( Modi Government ) और आरबीआई ( RBI ) के दावों के विपरीत बीती पांच माह की तुलना में सितं​बर माह में लोगों को जेबें सबसे ज्यादा ढीली हुई। यानि पिछले पांच महीने में महंगाई का स्तर ( inflation rate ) सबसे ऊंचा रहा। अगस्त 2022 में खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी रही थी।

मोदी सरकार महंगाई रोकने में नाकाम

वहीं पिछले साल की समान अवधि यानी सितंबर 2021 में देश की खुदरा महंगाई दर ( retail inflation rate ) महज 4.35 फीसदी रही थी। पिछले साल की तुलना में इस बार सितंबर में महंगाई का 3..6 फीसदी ज्यादा रही। खुदरा महंगाई में दर में बढ़ोतरी के लिए फूड इंफ्लेशन ( inflation ) यानी खाने-पीने की चीजों के दामों में हुई बढ़ोतरी को ज्यादा जिम्मेदार माना जा रहा है। मोदी सरकार ( modi government ) महंगाई को रोकने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है। सितंबर के महीने में देश का फूड इंफ्लेशन बढ़कर 8.60 फीसदी पर पहुंच गया, जबकि अगस्त में यह 7.62 फीसदी था। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में फूड इंफ्लेशन का योगदान करीब 40 फीसदी होता है।

RBI के घोषित लक्ष्य से महंगाई काफी ज्यादा

नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) की ओर से 12 अक्टूबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में खुदरा महंगाई दर लगातार 9 महीने से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 6 फीसदी के घोषित लक्ष्य से ऊपर चल रही है। माना जा रहा है कि आरबीआई दिसंबर में ब्याज दरों में एक बार फिर से 25 से 50 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा कर सकता है। इसके साथ ही आरबीआई को अब रिपोर्ट भी देनी होगी कि वह महंगाई दर को 6 फीसदी के दायरे में क्यों नहीं रख पा रहा है?

2023 तक न करें महंगाई से राहत की उम्मीद

रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) मई से अब तक नीतिगत ब्याज दर में 190 बेसिस प्वाइंट्स यानी करीब 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुकी है। लेकिन इसके बावजूद खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी की सीमा से ऊपर ही चल रही है. बुधवार को ही आई एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मार्च 2023 तक महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

रुपए की कीमत में गिरावट भी महंगाई के लिए जिम्मेदार

इन सबके बावजूद रिजर्व बैंक ( RBI ) के गवर्नर शक्तिकांत दास का दावा है कि सितंबर में कीमतों पर इंपोर्ट की ऊंची लागत का असर इस साल के शुरुआती दिनों के मुकाबले कम हुआ है, लेकिन फूड आइटम्स और एनर्जी के मामले में यह अब भी काफी अधिक है। भारतीय करेंसी में पिछले कुछ अरसे के दौरान आई तेजी गिरावट ने भी महंगाई को और बढ़ाने का काम किया है। रुपए की कीमत गिरने की वजह से इंपोर्ट महंगा हो जाता है, जिसका असर घरेलू बाजार की कीमतों पर पड़ता है। चालू वित्त वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत में करीब 10 फीसदी की गिरावट आई है।

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