खुलासा : साढे़ तीन सालों की 4244.5 करोड़ की सांसद निधि नहीं हुई जारी, इस साल भी केवल 21 प्रतिशत फंड हुआ जारी
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Dehradun news : राजनीतिक दल जनता की सेवा करने का को दावा करते नहीं अघाते, सांसद निधि खर्च के आंकड़े उसकी पर्याप्त पोल खोलते हैं कि यह दल जनसेवा के प्रति कितने गंभीर हैं। अपने क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाली सांसद निधि के प्रति सभी राजनैतिक दलों के सांसदों की उदासीनता बताती है कि इनके दावे कितने भोथरे होते हैं।
देश के विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े सांसदों की सांसद निधि की कई किस्ते पिछली सांसद निधि किस्त के खर्च सम्बन्धी प्रमाण व ऑडिट रिपोर्ट आदि प्राप्त न होने की वजह से जारी ही नहीं हो पाती हैं। यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत सरकार के सांसद निधि के नोडल विभाग संख्यिकी एवं क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुुआ हैै।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमउद्दीन ने भारत सरकार के सांसद निधि जारी करने वाले नोडल मंत्रालय संख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय से वर्तमान सांसदों के सांसद निधि जारी करने की सूचना मांगी थी, जिसके जवाब में उपनिदेशक एवं केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी विकास निगम ने वांछित सूचनाओं का एम पी लैड्स वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक का विवरण उपलब्ध कराया है। इस लिंक से 15 नवम्बर 2022 को उपलब्ध सूचना डाउन लोड करने पर वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 तथा 2022-23 ( 15 नवम्बर 22 तक) 4244. 5 करोड़ की सांसद निधि जारी न होनेे का यह खुलासा हुआ है।
नदीम को उपलब्ध विवरण के अनुसार 9 नवम्बर 2022 तक जारी न होने वाली कुल 4244.5 करोड़ की सांसद निधि में 2889 करोड़ लोकसभा सांसदों की तथा 1355.5 करोड़ की राज्यसभा सांसदों की सांसद निधि शामिल है। उपलब्ध सूचना के अनुसार 2019-22 तक साढ़े तीन वर्ष की अवधि की 53.89 प्रतिशत सांसद निधि जारी हुई है, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष की 9 नवम्बर तक केवल 21 प्रतिशत सांसद निधि ही जारी हुई है।
आंकड़ों का अध्ययन करने से यह भी पता चलता है कि सांसद निधि खर्च करने के मामले में राज्यसभा सांसदों से लोकसभा सांसद आगे है। जहां राज्य सभा सांसदों की 49.66 प्रतिशत सांसद निधि जारी हुई है, वहीं लोकसभा सांसदों की 55.65 प्रतिशत सांसद निधि जारी हुई है।
वर्ष 2019-22 की सांसद निधि 60 प्रतिशत से अधिक जारी होने वाले राज्यों में नागालैंड (79 प्रतिशत), मिजोरम (69), आसाम (68), छत्तीसगढ़ (66), मेघालय (65) मध्य प्रदेश (62) पंजाब (61 प्रतिशत) शामिल हैं। जबकि 51 से 60 प्रतिशत तक जारी होने वाले राज्यों में अरूणाचल प्रदेश (60 प्रतिशत), गुजरात (59), चण्डीगढ़ (58), दमन एवं दीव (58), सिक्किम (58), उड़ीसा (58), जम्मू कश्मीर (57), हिमाचल प्रदेश (56), उत्तराखंड (56), उ0प्र0 (56), कर्नाटक (54), मनोनीत सांसद (54), तमिलनाडु (53), झारखण्ड (53), मणिपुर (53), त्रिपुरा (53) तथा पश्चिम बंगाल (52 प्रतिशत) शामिल हैं।
जबकि 41 से 50 प्रतिशत तक जारी होने वाले राज्यों में राजस्थान (50 प्रतिशत), पण्डिचेरी (50), महाराष्ट्र (49), हरियाणा (48), तेलंगाना (46), आंध्र प्रदेश (45) तथा अण्डमान निकोबार द्वीप (42 प्रतिशत) शामिल हैं। तो 40 व इससे कम प्रतिशत तक जारी होने वाले राज्यों में गोवा (40 प्रतिशत), दिल्ली (38), दादर एवं नागर हवेली (37) तथा लक्ष्यद्वीप (21 प्रतिशत) शामिल हैं।