- Home
- /
- ग्राउंड रिपोर्ट
- /
- Ground Report :...
Ground Report : बुन्देलखण्ड के इस गांव में पीने के लिए टैंकर का पानी खरीदते हैं लोग, नल से आता है बदबूदार पानी
लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट
Ground Report : उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड (Bundelkhand) वाले हिस्से के सातों जिलों के ग्रामीण अंचल के हर घर तक नल से पीने का पानी पहुंचाने की योजना (Scheme) पर सरकार 10,131 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। दूसरी ओर जमीनी हकीकत यह है कि बुन्देलखण्ड के सबसे विकसित कहे जाने वाले झांसी शहर (Jhansi City) से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रक्सा गांव के लोग टैंकर से डिब्बे के हिसाब से पीने का पानी खरीदते हैं।
जिनके पास डिब्बे के पानी (Water Crisis) की कीमत चुकाने के लिए पैसे नहीं है, वे कई किलोमीटर दूर से पीने का पानी भरकर लेकर आते हैं। यह हाल उस रक्सा गांव का है, जहां दो पानी की टंकियां बनी हुई हैं, घर-घर तक नल से पानी पहुंचाया जा रहा है और इस पानी का बिल भी भेजा जा रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां जो पानी टंकी से घरों तक पहुंचाया जाता है, वह पीने लायक नहीं है। रक्सा गांव के लोगों की कहानी से बुन्देलखण्ड के दूरदराज स्थित ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल संकट की कहानी का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
बड़े-बड़े नेता रहे समाधान में नाकाम
रक्सा गांव बबीना विधानसभा क्षेत्र (Babina Assembly constituency) और झांसी लोकसभा क्षेत्र (Jhansi Lok Sabha constituency) का हिस्सा है। साल 2009 में इस सीट से कांग्रेस (Congress) के सांसद रहे प्रदीप जैन आदित्य (Pradeep Jain Aditya) केंद्र सरकार में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रहे जबकि 2014 में यहां से सांसद बनीं उमा भारती (Uma Bharti) भारत सरकार में जल संसाधन मंत्री रहीं। इस सीट से विधायक रहे रतन लाल अहिरवार (Ratanlal Ahirwar) प्रदेश की 2007 की बसपा सरकार (BSP Govt) में राज्यमंत्री हुआ करते थे।
वर्तमान में यहां विधायक राजीव सिंह पारीछा (Rajeev Singh Parichha) और सांसद अनुराग शर्मा (Anurag Sharma) दोनों ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हैं। केंद्र में यूपीए की सरकार के दौरान यहां बुन्देलखण्ड पैकेज से पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था और गांव में टँकी बनाई गई लेकिन वह फेल हो गई। बाद में फिर से एक टँकी बनाकर उससे लोगों को पानी की सप्लाई दी गई लेकिन वह पानी भी पीने लायक नहीं है। ग्राम प्रधान के मुताबिक अब जल जीवन मिशन के तहत गांव में एक और नई टँकी बनाई जा रही है और दावा किया जा रहा है कि समस्या का समाधान हो सकेगा।
पीने के पानी के लिए रहता है टैंकर का इंतजार
गांव के लोग किस तरह की परेशानी झेल रहे हैं और उनकी समस्या के समाधान के लिए किस तरह के प्रयास हुए, यह जानने के लिए 'जनज्वार' की टीम रक्सा गांव (Raksa Village) पहुंची और लोगों से इस जलसंकट (Water Crisis) की पूरी कहानी जानने की कोशिश की। गांव के लगभग हर घर के बाहर छोटे-बड़े डिब्बे रखे हुए दिख जाते हैं। जब टैंकर वाला पीने का पानी लेकर आता है तो लोग इसमें भुगतान करके पानी भर लेते हैं।
गांव की नीतू कहती हैं कि हमारे पास पीने लायक शुद्ध पानी नहीं आता है। नल से आने वाले पानी में बदबू आती है। हमें पीने के लिए पानी ख़रीदना पड़ता है। हर रोज सिर्फ पीने के पानी पर पचास रुपये खर्च करना पड़ता है। नल के पानी से बाकी के काम कर लेते हैं। टैंकर वाला नहीं आए तो पीने का पानी लेने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है। काफी जतन करने के बाद हमें पीने का पानी मिल पाता है।
पांच रुपये में तीन डिब्बा टैंकर का पानी
गांव की मक्कू रायकवार बताती हैं कि जिस दिन टैंकर नहीं आता है, उस दिन काफी दूर जाकर पीने का पानी खुद लेकर आना पड़ता है। नल में पीने लायक पानी नहीं आ रहा है। कपड़ा धुलने और नहाने के ही काम का पानी नल में आता है। सुशीला वर्मा कहती हैं कि यहां पैसे हैं तो पानी पी लो। नहीं हैं पैसे तो बैठे रहो। या फिर सिर पर बर्तन रखकर दो किलोमीटर दूर पानी भरने जाओ। पूनम कहती हैं कि पीने का पानी पांच रुपये में तीन डिब्बे खरीदते हैं। हमारी समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा है। वोट के लिए तो सब आते हैं। हम क्यों और किसको वोट दें।
नल के पानी का भेजा जाता है बिल
राम किशन परिहार कहते हैं कि हमारा क्षेत्र पिछड़ा है और गरीबों की कोई सुनता नहीं है। हमें विधायक (MLA) का भी कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। विशाल कहते हैं कि हर रोज पानी के इंतजाम पर एक घण्टे खर्च करना पड़ता है। जो पानी नल से आता है, वह साफ नहीं आता है जबकि बिल भेजा जाता है। बरसात में तो नल का पानी किसी भी काम का नहीं होता।
नरेंद्र सविता कहते हैं कि चुनाव के समय नेता हमें प्रलोभन तो देते हैं लेकिन हम सुविधाओं से वंचित हैं। वर्तमान विधायक गांव के अंदर कभी नहीं आये। आकाश कहते हैं कि कई-कई दिनों में नल का पानी आता है लेकिन वह बेकार होता है। साफ फिल्टर पानी नहीं आता है। हमसे पैसा लिया जाता है।
प्रधान भी स्वीकार करते हैं समस्या
रक्सा गांव के प्रधान राजेन्द्र सिंह राजपूत कहते हैं कि जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) का लाभ इस गांव को भी मिलने वाला है। जब घर-घर नल लग रहे थे तो सबसे पहला गांव रक्सा ही था लेकिन यह सच है कि अव्यवस्थाएं हैं और अभी भी कई मोहल्ले पानी से वंचित हैं और परेशानी है। वर्तमान में जो काम चल रहा है, उसका लगभग 60 प्रतिशत काम हो चुका है। पूर्व के जन प्रतिनिधियों ने समस्या की पूरी तरह अनदेखी की और योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी हैं। इन कारणों से बड़ी-बड़ी योजनाएं यहां फेल हो गईं।