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ग्राउंड रिपोर्ट

Gujarat Election 2022 : BJP के 27 साल के शासन में मांडवी-मुद्रा विधानसभा में मूलभूत सुविधाओं को तरसती जनता, मुस्लिम युवा डर के मारे नहीं खोलते जुबान

Janjwar Desk
30 Sep 2022 7:22 AM GMT
Gujarat Election 2022 : BJP के 27 साल के शासन में मांडवी-मुद्रा विधानसभा में मूलभूत सुविधाओं को तरसती जनता
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Gujarat Election 2022 : BJP के 27 साल के शासन में मांडवी-मुद्रा विधानसभा में मूलभूत सुविधाओं को तरसती जनता

हमें सालों से यहां कोई विकास दिखाई नहीं दे रहा है, केवल राजनीतिक पार्टियों को ही यहां विकास दिखाई देता है, सरकार जो गुजरात मॉडल पर भाषण देती है, वह केवल उनकी नजर में ही हुआ है, यहां हमारे सामने तो कोई विकास नहीं हुआ है...

Gujarat Election 2022 : गुजरात में इस साल चुनाव होने वाले हैं। जल्दी तारीख भी घोषित कर दी जाएगी। इस राज्य में पिछले 27 साल से भाजपा की सरकार है। केंद्र की मोदी सरकार आए दिन गुजरात मॉडल का जिक्र करती रहती है। इस समय गुजरात में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है। ऐसे में गुजरात मॉडल पर गुजराती जनता का क्या मत है और उनका चुनावी मूड क्या है, यह जानने के लिए जनज्वार की चुनावी यात्रा चल रही है। अलग-अलग जिलों में जनता का मिजाज जानने के बाद जनज्वार की चुनावी यात्रा गुजरात के कच्छ लोकसभा के मांडवी और मुद्रा विधानसभा पहुंची। यहां जनज्वार ने तमाम मतदाताओं से बात करके उनका मत जाना और उन्होंने गुजरात में विकास की परिभाषा भी बताई। हालांकि मुस्लिम वर्ग सवालों से बचता हुआ नजर आया। युवाओं ने राजनीतिक खौफ के कारण मुंह पर ताला लगाए रखा तो कुछ बुजुर्गों ने 27 साल के विकास की पोल खोली।

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसे लोग

मांडवी विधानसभा के एक व्यक्ति ने भाजपा सरकार के शासन के बारे में बात करते हुए बताया कि सड़कें बिल्कुल खराब हैं। यहां कोई विकास नहीं हुआ है। साफ-सफाई बिल्कुल भी नहीं रहती है। इसे बीजेपी का गढ़ माना जा रहा है, लेकिन यहां पर पानी की भी सुविधा नहीं है। यहां पानी बहुत गंदा आता है। हमें सालों से यहां कोई विकास दिखाई नहीं दे रहा है। केवल राजनीतिक पार्टियों को ही यहां विकास दिखाई देता है।

सरकार जो गुजरात मॉडल पर भाषण देती है, वह केवल उनकी नजर में ही हुआ है। यहां हमारे सामने तो कोई विकास नहीं हुआ है। व्यक्ति ने आगे बताया कि यहां लगातार भाजपा के विधायक जीतते हैं लेकिन कोई विकास नहीं हुआ है। केवल बड़े-बड़े लोगों का विकास होता है। हम जैसे गरीब लोगों का नहीं। यहां जो मध्यमवर्ग है उनके तरफ कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है। जो बड़े-बड़े लोग हैं, उनका ही विकास हो रहा है। मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के लिए ना तो यहां काम धंधे की सुविधा है और ना ही रोजी-रोटी की सुविधा है।

सरकारी स्कूल का भी हाल बदहाल

पढ़ाई लिखाई के मामले में मांडवी विधानसभा काफी पिछड़ चुका है। मजदूरों और गरीब लोगों के बच्चे पढ़ाई में बिल्कुल पिछड़ चुके हैं। यहां सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है। बड़े लोग और उच्च वर्ग के लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को भेजकर अच्छी स्कूली शिक्षा दिलवा देते हैं, लेकिन यहां सरकारी स्कूलों का हाल बदहाल है। कोई शिक्षा नहीं मिल रही है।

दिनभर में न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलती

युवाओं ने बताया कि यहां रोजगार का कोई अच्छा साधन नहीं है। दिन के 8 से 12 घंटे लगाने के बाद भी केवल 5 हजार रुपए से 8 हजार रुपए तक ही मिलते हैं। एक युवा ने बताया कि दिन में 8 घंटे काम करने के बाद महीने में केवल 5 हजार रुपए ही कमा पाते हैं। वहीं चाय की दूकान पर काम करने वाले एक अन्य युवा ने बताया कि सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक यानी 12 घंटे मजदूरी करने के बाद दिनभर में केवल 200 से 300 रुपए ही मजदूरी मिलती है। गुजरात के मांडवी विधानसभा में युवाओं को कड़ी मेहनत करने के बाद मिलने वाले पैसे न्यूनतम मजदूरी से भी कम है।

मुस्लिम युवा में राजनीतिक खौफ

गुजरात में भाजपा के 27 साल के राज में मुस्लिम वोटर्स की वैल्यू कम हो गई है। जिस प्रकार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम वोटर्स को केवल एक वोट बैंक बनाया गया ठीक उसी प्रकार का मॉडल गुजरात में भी देखने को मिल रहा है। भाजपा सरकार के 27 साल के शासन के बारे में सवाल करने पर मुस्लिम वोटर्स बोलने से बचते हुए नजर आए। मुस्लिम समुदाय का बुजुर्ग वर्ग एक बार के लिए बोलने के लिए तैयार भी हो जाए, लेकिन युवा पीढ़ी सरकार के बारे में कुछ भी बोलने से बचती है। राजनीतिक खौफ के कारण कैमरे के सामने आकर कोई युवा बोलना नहीं चाहता है, इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 27 साल में गुजरात में मुस्लिम समुदाय को क्या सुविधा या आजादी मिली है।

कैमरा बंद करने पर कुछ मुस्लिम युवा जरूर जुबान खोलते हैं। एक युवा कहता है अगर हमने कैमरे के सामने यहां की समस्यायें गिना दीं तो हम शासन प्रशासन के निशाने पर आ जायेंगे। मुस्लिम होने के कारण कब हमारे साथ क्या हो जाये, कह नहीं सकते। कहीं से आतंकी बताकर उठा लिया जायेगा, या हो सकता है एनकाउंटर ही कर दिया जाये, किसी आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ बता दिया जाये। इससे तो बेहतर है कि जिन हालातों में जी रहे हैं, वैसे ही सब ठीक चलता रहे। सरकार तो छोड़िये जनाब हिंदू धर्म से जुड़े लोग भी हमसे ऐसे पेश आते हैं जैसे हम भोजन में सिर्फ गाय का मांस खाते हैं और काम के नाम पर सिर्फ आतंकी फंडिंग के पैसे से ऐश की जिंदगी जीते हैं। आतंकी तो जैसे हमारे माथे पर लिख दिया गया है।

विकास के नाम पर नहीं, मोदी के नाम पर देंगे वोट

गुजरात की चुनावी यात्रा के दौरान लोगों से बात करते हुए एक ऐसा वर्ग भी सामने आया, जिन्हें गुजरात के विकास से कोई लेना देना नहीं है। एक बुजुर्ग भाजपा जिंदाबाद का नारा लागते हुए कहते हैं कि लोग विकास देखते होंगे, मैं गुजरात का विकास नहीं देखता हूं। बस मोदी को देखता हूं। मोदी के नाम पर ही वोट दूंगा। भाजपा ही सबसे अच्छी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास के लिए कुछ करे या न करे हम केवल भाजपा को ही वोट देंगे। वहीं कुछ लोग कांग्रेस के समर्थन करते हुए आए।

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