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स्वास्थ्य

कोरोना में गंध और स्वाद महसूस न करने वालों के लिए खुशखबरी, वैज्ञानिकों का दावा रोग का नहीं होता ज्यादा असर

Janjwar Desk
24 Nov 2020 5:10 AM GMT
कोरोना में गंध और स्वाद महसूस न करने वालों के लिए खुशखबरी, वैज्ञानिकों का दावा रोग का नहीं होता ज्यादा असर
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प्रतीकात्मक फोटो

वैज्ञानिकों ने बताया है कि गंध और स्वाद को न महसूस करने वाले कोविड 19 के मरीजों पर इसका गंभीर असर नहीं पड़ता और इनमें से अधिकतर होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाते हैं...

महेंद्र पाण्डेय का आलेख

यदि आप कोविड 19 की चपेट में आ गए हैं और आपको किसी चीज का स्वाद नहीं आ रहा है, किसी भी चीज की गंध नहीं पता चल रही है और आपको डायरिया जैसे लक्षण भी हैं - तब आप परेशान ना हों क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार आप इस रोग के गंभीर मरीज नहीं हैं। दुनिया भर में कोविड 19 से ग्रस्त लोगों के स्वाद और गंध के महसूस करने की क्षमता में कमी पर खूब चर्चा की गई है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे कोविड 19 का एक प्रमुख लक्षण माना है।

पर, कुछ वैज्ञानिकों ने बताया है कि गंध और स्वाद को न महसूस करने वाले कोविड 19 के मरीजों पर इसका गंभीर असर नहीं पड़ता और इनमें से अधिकतर होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाते हैं। इन्हें ऑक्सीजन सिलिंडर की जरूरत नहीं पड़ती, हॉस्पिटल में भर्ती नहीं होना पड़ता और न ही आईसीयू में भर्ती होना पड़ता है। दूसरी तरफ आईसीयू में भर्ती होने वाले या फिर ऑक्सीजन सिलिंडर की जरूरत वाले कोविड 19 के अधिकतर गंभीर मरीजों में गंध और स्वाद महसूस ना करने की शिकायत नहीं रहती है।

23 नवंबर तक दुनिया में कोविड 19 से ग्रस्त लोगों की संख्या 6 करोड़ के पास पहुँच चुकी है और इससे मरने वाले लगभग 14 लाख लोग हैं। भारत में संक्रमितों की संख्या 92 लाख तक पहुँच चुकी है और लगभग 1,35,000 मौतें हो चुकी हैं। हमारे देश में संक्रमण निश्चित तौर पर इस संख्या से बहुत अधिक होगा, क्योंकि सरकार के तमाम दावों के बाद भी दूसरे बड़े देशों की तुलना में टेस्टिंग की दर सबसे कम है।

किसी भी बड़े देश में प्रति दस लाख आबादी में से एक लाख से कम लोगों का कोविड 19 टेस्ट नहीं किया गया है। पर, भारत में यह आंकड़ा 95,704 ही है। वैसे भी इस दौर में सरकार ने टेस्टिंग को पहले से भी कम कर दिया है। दूसरी तरफ अमेरिका में प्रति दस लाख आबादी में 5,44,909 व्यक्तियों का परीक्षण किया गया है।

इसी वर्ष मई के शुरू में अमेरिका स्थित इंटरनेशनल फोरम ऑफ़ एलर्जी एंड राईनोलोजी द्वारा प्रकाशित जर्नल में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक दल ने एक शोधपत्र प्रकाशित किया था। इस दल की अगुवाई डॉ कैरोल याँ ने की थी। इस शोधपत्र के अनुसार कोविड 19 के मरीजों में स्वाद और गंध की पहचान ख़त्म हो जाना प्रमुख लक्षण हैं, और जिन्हें ये समस्या है वे आसानी से ठीक होते हैं और अधिकतर मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती।

इस दल ने यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में 3 मार्च से 8 अप्रैल तक कोविड 19 की चपेट में आये कुल 169 मरीजों का गहन अध्ययन किया था। इन 169 मरीजों में से 128 मरीजों ने अपने स्वाद और गंध से संबंधित अनुभवों को साझा किया था। इनमें से केवल 26 मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी थी और इनमें से किसी को भी कोविड 19 से ग्रस्त होने के बाद भी गंध या स्वाद महसूस करने की कोई समस्या नहीं थी।

इस शोधपत्र का निष्कर्ष था कि स्वाद और गंध की पहचान खो चुके मरीजों की तुलना में सामान्य गंध और स्वाद का अहसास करने वाले कोविड 19 के मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की दर 10 गुना अधिक है। डॉ कैरोल याँ ने उस समय स्वास्थ्य केन्द्रों और सरकारों को सुझाव दिया था कि जिन मरीजों की स्वाद और गंध महसूस करने की क्षमता ख़त्म हो गई है, उन्हें अस्पतालों में भर्ती करने के बजाय होम आइसोलेशन और कोरेंटाइन में भेजना चाहिए क्योंकि इनमें गंभीर समस्याएं नहीं होतीं।

कोविड 19 के प्रकोप के दस महीने बीत चुके हैं और वैक्सीन के इंतज़ार के बीच इसका प्रकोप दुनिया भर में पहले से अधिक बढ़ रहा है। इस बीच में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अध्ययन को नए स्वरूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इन दिनों सोशल मीडिया और अनेक समाचार पत्र इस निष्कर्ष को नए सिरे से भारतीय डाक्टरों के हवाले से प्रस्तुत कर रहे हैं।

नोएडा के यथार्थ हॉस्पिटल के डॉ अरुण लखनपाल और गुडगाँव के मेदान्ता हॉस्पिटल की डॉ सुशीला कटारिया के हवाले से नए सिरे बताया जा रहा है कि यदि आपको कोविड 19 है और साथ ही आप गंध और स्वाद महसूस नहीं कर पा रहे हों तो फिर आप परेशान नहीं हों क्योंकि कोविड 19 के गंभीर परिणाम आप पर नहीं पड़ेंगे। इस प्रकार के लक्षण लगभग 40 प्रतिशत कोविड 19 के मरीजों में पनपते हैं। ऐसे मरीजों में स्वाद और गंध की वापसी में तीन से चार सप्ताह लग सकते हैं।

कोविड 19 के साथ स्वाद और गंध का रिश्ता अब तक पूरी तरह समझा नहीं जा सका है। अधिकतर वैज्ञानिक मानते हैं कि यह वायरस गंध और स्वाद का अहसास दिलाने वाले तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। स्वाद और गंध का अहसास ना होना केवल कोविड 19 के दौरान ही होता हो ऐसा नहीं है। यह सिनुसाईटीस, ब्रेन ट्यूमर, कुछ दवाओं के बाद और यहाँ तक कि सामान्य सर्दी-जुकाम के दौरान भी हो सकता है।

अगस्त के महीने में यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट एंग्लिया के वैज्ञानिकों ने बताया था कि सामान्य सर्दी जुकाम के दौरान स्वाद और गंध का न पता चलना और कोविड 19 के दौरान ऐसा होना. दोनों के लक्षण बिलकुल अलग हैं।

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