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स्वास्थ्य

उत्तराखंड : CM हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद पिथौरागढ़ के झूलाघाट पहुंची रेबीज वैक्सीन की डोज, क्षेत्र में बढ़ रहा बंदरों का आतंक

Janjwar Desk
14 Jan 2021 2:02 PM GMT
उत्तराखंड : CM हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद पिथौरागढ़ के झूलाघाट पहुंची रेबीज वैक्सीन की डोज, क्षेत्र में बढ़ रहा बंदरों का आतंक
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file photo

पिछले चार-पांच सालों से झूलाघाट इलाके में बढ़ गया है बंदरों का आतंक, दूरदराज इलाकों से पिथौरागढ़ जाकर इलाज के इन्जेकशन लाने में खर्च हो जाते हजारों रुपये, इस लाॅकडाउन में भला गरीब आदमी इतने पैसे का इंतजाम कहां से कर पाता, ऐसे में कई बार इलाज रह जाता अधूरा....

जनज्वार, हल्द्वानी। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद उत्तराखण्ड के झूलाघाट में रेबीज वैक्सीन की 100 डोज पहुंच पायीं। पहले व्यवस्था थी कि ब्लाॅक में सिर्फ रेबीज की एक डोज लग पायेगी, बाकी की चार डोज के लिए मरीज को जिला अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते थे।

फिलहाल डॉक्टर सचिन प्रकाश मुनाकोट ब्लॉक में कोरोना के इंचार्ज हैं। उन्होंने बताया सीएमओ मैडम के मौखिक आदेश थे कि जो भी मरीज रेबीज वैक्सीन लगाने के लिए आये तो उसे मात्र वैक्सीन की एक डोज दी जाए, बाकी चार डोज के लिए उसे जिला अस्पताल भेज दिया जाए। यह व्यवस्था इसलिए थी क्योंकि उस समय वेक्सिन की कमी थी और सभी लोगों को वह पहुंचानी थी।

मगर वर्तमान समय में जो नए सीएमओ हैं डॉ हरीश पंत, उन्होंने अब नई व्यवस्था शुरू कर दी है। उसमें गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब सभी मरीजों को रेबीज वैक्सीन की पांचों डोज गांव में ही लग जाएगी अब उन्हें जिला अस्पताल जाने की जरूरत नहीं है।

गौरतलब है कि झूलाघाट निवासी किशोर कुमार ने सीएम हेल्पलाइन 1905 पर शिकायत दर्ज की थी, जिसका शिकायती क्रमांक 142294 है। यह शिकायत 30 दिसंबर 2020 को की गई थी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र झूलाघाट में डॉक्टर द्वारा रेबीज की मात्र एक डोज लगाई जा रही थी, जबकि लगानी 5 डोज चाहिए थी।

जिला मुख्यालय से 36 किमी दूर झूलाघाट में पिछले कुछ महीनों से बंदरों ने आतंक मचा रखा है। वह सब जगह फल बर्बाद कर रहे हैं और घरों से खाने का सामान उठा ले जा रहे हैं। कई लोगों को बंदरों ने काट दिया है। बंदरों के काटने पर रेबीज की वैक्सीन की 5 डोज लगती है, लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में झूलाघाट में वैक्सीन की कमी के कारण मरीजों को एक ही डोज वैक्सीन की लगती थी और बाकी डोज के लिए जिला अस्पताल जाने के लिए कहा जाता था।

इससे झूलाघाट के लोगों को परेशानी हो रही थी। जिला अस्पताल आने जाने में गए कई पैसा खर्चा हो जा रहा था और समय भी बर्बाद हो रहा था। ज्यादा समस्या गरीबों के सामने खड़ी हो रही थी। उनके पास पैसा नहीं होता है, क्योंकि वे दैनिक मजदूर होते हैं। दिनभर काम करके तब जाकर उनके दो वक्त के भोजन की व्यवस्था हो पाती है।

झूलाघाट में ही रैबीज वैक्सीन उपलब्ध हो जाने के बाद ग्रामीण काफी खुश है। झूलाघाट के पूर्व प्रधान सुरेंद्र आर्या कहते हैं, यह अच्छी बात है। पहले सबको पिथौरागढ़ जाकर वैक्सीन की चार डोज लेनी पड़ती थी, जिससे गरीबों को खासी परेशानी होती थी। अब यह स्थानीय स्तर पर मौजूद है तो सहूलियत है। लेकिन उसके साथ ही एक और चीज है वैक्सीन रखने और उपयोग की परेशानी होती है जिसके लिए उपयुक्त उपयोग भी हो सुरक्षित रखा जा सके।

एक अन्य ग्रामीण बृजेश गडकोटी कहते हैं जाहिर तौर पर यह ग्रामीणों के लिए बहुत अच्छा है। यहां पिछले चार-पांच सालों से बंदरों का आतंक बढ़ गया है। हर महीने बंदरों के काटने के एकाध केस सामने आते रहते हैं। पिथौरागढ़ जाकर इलाज के इन्जेकशन लाने पढ़ते हैं। इसमें एक-दो हजार रुपए तक खर्च हो जाता है। इस लाॅकडाउन में भला गरीब आदमी इतने पैसे का इंतजाम कहां से कर पाता। सभी जानते हैं कि बंदरों की समस्या सरकार खतम नहीं कर पा रही है। इस वैक्सीन को ग्रामीणों तक पहुंचाने की किशोर की पहल वाकई काबिलेतारीफ है।

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