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चीन ने रोक दिया था गलवान नदी का मुहाना, भारी मशीनें लाकर काटा था पहाड़
जनज्वार। लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना के गश्ती दल पर हमला चीन का पूर्वनियोजित था। हमला के पहले के कुछ दिनों में चीन इसकी तैयारी में जुटा था। चीनी सेना ने भारी मशीनें लगा कर पहाड़ को काटा था और गलवान नदी के मुहाने को बंद कर दिया था। चीन कुछ दिन पहले से वहां ऑब्जर्वेशन टॉवर और टेंट बना रहा था। द्विपक्षीय वार्ता के बाद वहां से हट तो गया पर स्ट्रक्चर को वहीं छोड़ दिया। भारतीय जवानों ने उस रात टॉवर और चीनी टेंट को नष्ट कर दिया।
प्लेनेट लैब द्वारा 9 जून से 16 जून तक ली गईं सेटेलाइट तस्वीरों के एक्सपर्ट ओपिनियन के आधार पर 'रॉयटर्स' ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की प्लेनेट लैब के इन सेटेलाइट इमेज पर आधारित इस रिपोर्ट में विस्तार से इन सब बातों को बताया गया है। रॉयटर्स ने लिखा है, 'दशकों बाद हुई इस हिंसक घटना के पूर्व के कुछ दिनों में चीन की तरफ से भारी मशीन लाए गए,पहाड़ों को काटा गया और नदी के मुहाने को बंद कर दिया गया। ऐसा सेटेलाइट तस्वीरें दिखा रही हैं। 1967 के बाद की इस सबसे खतरनाक झड़प के पहले मई महीने की शुरुआत से ही दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने थे। भारत के अनुसार चीन ने वहां अस्थायी स्ट्रक्चर बनाए थे। यह तनाव सोमवार की हिंसक झड़प में तब्दील हो गया।'
15-16 जून की रात चीन सीमा पर गलवान घाटी में भारी संख्या में चीनी सैनिकों ने धोखे से घेरकर भारत के 20 जवानों की जान ले ली थी। झड़प में बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों के मारे जाने की बात भी सामने आई थी पर चीन की ओर से अबतक ऐसा कोई आंकड़ा जारी नहीं किया गया है। इन जवानों की शहादत के बाद देशभर में चीन के खिलाफ आक्रोश है और लोग चीनी राष्ट्रपति का पुतला फूंक रहे हैं तथा चाइनीज सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं। जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग चीन से बदला की बात कर रहे हैं।
रॉयटर्स ने सरकार के सूत्रों का हवाला देते हुए आगे लिखा है, समस्या तब पैदा हुई जब भारतीय पेट्रोलिंग दस्ता यह देखने पहुंचा कि चीनी सैनिक वहां से हटे या नहीं। चीनी सैनिकों ने वहां अपने दो टेंट और छोटे ऑब्जर्वेशन पोस्ट्स वैसे ही छोड़ दिए थे। भारतीय पेट्रोलिंग दस्ते ने उन टावरों को नष्ट कर दिया और टेंटों को जला दिया। घटना के अगले दिन मंगलवार की सेटेलाइट तस्वीरें भारत की तरफ की एक चोटी के ऑब्जर्वेशन पोस्ट के संभावित मलवे को दिखा रहीं हैं। ऐसा स्ट्रक्चर एक सप्ताह पूर्व की सेटेलाइट तस्वीरों में नहीं दिख रहा था।
रॉयटर्स आगे लिखता है कि इस बीच भारी संख्या में चीनी सैनिक, जो LAC के समझौते के अनुसार हल्के हथियारों से लैस थे, आ पहुंचे और कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व वाले इस पेट्रोलिंग दस्ते पर हमला बोल दिया। घटना के अगले दिन मंगलवार को ली गईं तस्वीरें एक सप्ताह पूर्व के मुकाबले गतिविधियों में वृद्धि दिखा रहा है।'
ऐसी खबरें आई थीं कि बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों ने भारतीय गश्ती दल पर बर्बर तरीके से अचानक हमला कर दिया था। चीनी सेना ने इस हमले में लोहे के रॉड में कांटेदार तार लिपटे हथियारों से हमला किया था। इस दौरान चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों से पांच गुनी थी। झड़प के दौरान राजस्थान के एक घायल सैनिक सुरेंद्र सिंह ने चीनी सेना की इस बर्बरता को अपने परिजनों से फोन पर बताया था।
रॉयटर्स ने लिखा है 'एक विशेषज्ञ बता रहे हैं कि पृथ्वी की सेटेलाइट तस्वीरें लेने वाली प्लेनेट लैब्स द्वारा ली गई तस्वीरें संकेत कर रही हैं कि यहां ट्रैकों को चौड़ा किया जा रहा था, मिट्टी इधर-उधर ले जाई जा रही थी और नदी पार करने के लिए कुछ बनाया जा रहा था। तस्वीरें मशीनों की आवाजाही की ओर इशारा कर रहीं हैं।'
कैलिफोर्निया स्थित मिडिलबरी इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के निदेशक जेफरी लेविस द्वारा इन तस्वीरों के किए गए विश्लेषण के हवाले से रॉयटर्स लिखता है, 'ऐसा लग रहा है कि चीन संभवतः घाटी में सड़क बना रहा है और नदी का मुहाना बंद कर रहा है। LAC के दोनों तरफ वाहनों की आवाजाही लग रही है, हालांकि मुख्य रूप से यह चीन की तरफ है। 30-40 वाहन भारतीय क्षेत्र में दिख रहे हैं, जबकि सौ से भी ज्यादा वाहन चीनी क्षेत्र में। LAC से कुछ ज्यादा दूरी पर नदी किनारे ट्रकों की मौजूदगी दिख रही है,हालांकि यह भी नजर आ रहा है कि 9 जून वाली तस्वीरों में नजर आ रहे कुछ टेंट 16 जून की तस्वीर में नजर नहीं आ रहे,यानि ये हटाए जा चुके हैं।'
गलवान घाटी एक शुष्क और निर्जन इलाका है, जहां की ऊंची चोटियों पर कुछ सैनिकों की तैनाती की जाती रही है। इस क्षेत्र को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, चूंकि यह अक्साई चीन की ओर जाता है। 'अक्साई चीन' एक विवादित इलाका है, जिसे भारत अपना मानता है, पर अभी यह चीन के नियंंत्रण में है।