Begin typing your search above and press return to search.
संस्कृति

Kaun Pravin Tambe? Review: क्रिकेट के इस त्योहार के बीच देख डालिए 'कौन प्रवीण तांबे'

Janjwar Desk
27 April 2022 1:37 PM IST
Kaun Pravin Tambe? Review: क्रिकेट के इस त्योहार के बीच देख डालिए कौन प्रवीण तांबे
x
Kaun Pravin Tambe? Review: क्रिकेट को दिल से लगाए रखने वाले भारतीय इन दिनों एक बुखार की चपेट में हैं और ये बुखार है आईपीएल का. इसी बुखार की दवाई के तौर पर डिज़्नी हॉटस्टार पिछले दिनों एक फ़िल्म लेकर आया, इस फ़िल्म का नाम है 'कौन प्रवीण तांबे'

Kaun Pravin Tambe? Review: क्रिकेट को दिल से लगाए रखने वाले भारतीय इन दिनों एक बुखार की चपेट में हैं और ये बुखार है आईपीएल का. इसी बुखार की दवाई के तौर पर डिज़्नी हॉटस्टार पिछले दिनों एक फ़िल्म लेकर आया, इस फ़िल्म का नाम है 'कौन प्रवीण तांबे'

निर्देशक जयप्रद देसाई ने साल 2014 में आई फ़िल्म 'नागरिक' से अपनी पहचान बनाई थी और अब कौन प्रवीण ताम्बे से उन्होंने खुद को साबित किया है. यह फ़िल्म एक बायोपिक है , जिसमें दर्शक भी फ़िल्म का एक हिस्सा हैं. फ़िल्म का नायक अपने जीवन में दर्शकों की तरह ही संघर्ष कर रहा है, दर्शकों की तरह ही उसे अपने दोस्त और परिवार से प्यार है. फ़िल्म का नाम 'कौन प्रवीण ताम्बे' तो है पर यह नाम भारतीय सिनेमा दर्शकों के उस हिस्से के लिए नया नही है जो क्रिकेट से लगाव रखते हैं.

यह कहानी अपना घर परिवार संभालते प्रवीण ताम्बे की है, जो अपने क्रिकेट प्रेम को जिंदगी की भागदौड़ के बीच भी जिंदा रखते हैं और संघर्ष करते-करते आईपीएल और रणजी क्रिकेट तक का सफर तय करते हैं.

फ़िल्म 'इकबाल' में भी एक क्रिकेटर के रोल में दिख चुके श्रेयस तलपड़े इस फ़िल्म में प्रवीण ताम्बे का संघर्ष बख़ूबी दिखाते हैं. पत्रकार बने परमव्रत चटोपाध्याय निश्चित रूप से इस फ़िल्म के ज़रिए अपनी पहचान बनाने में कामयाब होंगे. अंजली पाटिल ने प्रवीण ताम्बे की पत्नी के किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाया है. आशीष विद्यार्थी तो अपने हावभावों से दर्शकों पर जादू कर जाते हैं. निर्देशक ने फ़िल्म में हर पात्र को स्क्रीन पर लगभग बराबरी का मौका दिया है और इसी कारण फ़िल्म में इतने सारे कलाकार अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं.

फ़िल्म के कुछ दृश्य बड़े ही बेहतरीन बन पड़े हैं, जैसे प्रवीण का एक कमरे में नहाना और उनकी पत्नी का उसी कमरे में पर्दे के पीछे खाना बनाना. किसी व्यक्ति का संघर्ष दिखाता यह दृश्य अद्भुत बन पड़ा है.

कुछ ऐसा ही प्रभाव बार में श्रेयस का रोने वाला दृश्य भी छोड़ता दिखता है. प्रवीण का पिच में जाकर सो जाने वाला दृश्य यह दिखाने में कामयाब रहा कि उनकी ज़िंदगी बस क्रिकेट पिच के लिए ही है.फ़िल्म में किताबों से दूर होते युवाओं के विषय पर भी एक दृश्य है. यह फ़िल्म उन युवाओं की आवाज़ भी है जो अपने परिवार के दबाव में अपने मन मुताबिक काम का चुनाव नही कर पाते.

सुधीर पलसाने का छायांकन इस लिहाज़ से बेहतर कहा जा सकता है कि उन्होंने क्रिकेट मैचों को बड़े अच्छे से फिल्माया है. फ़िल्म में आपको मुंबई की खूबसूरती तो दिखती है साथ ही एक कमरे में मियां-बीवी की नोंकझोंक को भी स्क्रीन पर देखने मे मज़ा आता है. किसी बायोपिक की स्क्रिप्ट को अंजाम देना बड़ा चुनौती भरा काम होता है, पर यहां पर वास्तविकता को हूबहू दिखाने की कोशिश कामयाब रही है.

फ़िल्म के कुछ संवाद ऐसे हैं जो किसी हार माने हुए इंसान में जोश भर सकते हैं. जैसे 'इंसान अगर अपनी जिद पे उतर आए तो सिर्फ आपको ही नही पूरी दुनिया को बता देता है कि वह कौन है' और '50 इज़ न्यू 40'.

पत्रकारों के बीच लोकप्रिय होने के लिए भी फ़िल्म में 'एक स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट के रूट्स मैदान में होते हैं' संवाद है.'या तो तू पागल है या ग्रेट' तो पहले ही लोगों की ज़ुबान पर चढ़ चुका है. फ़िल्म के गीत-संगीत पर लिखा जाए तो विवेक हरिहरन और अनुराग सैकिया का 'खामखा' गाना सुनने में अच्छा है और फ़िल्म का सार भी है.

इसका बैकग्राउंड स्कोर न होता तो फ़िल्म बड़ी नीरस सी लगती, मियां-बीवी की लड़ाई के दृश्य हों या क्रिकेट मैच. बैकग्राउंड स्कोर ने इन सब में जान फूंक दी है. बैकग्राउंड स्कोर की वजह से इसके क्रिकेट मैच एक त्योहार से लगते हैं. समीक्षा पढ़ फ़िल्म कितनी बार देखी जाए, यह आपका निर्णय है. मैं तो फ़िल्म दूसरी बार देखने के लिए मोबाइल अनलॉक कर रहा हूं.

  • समीक्षक- हिमांशु जोशी.
  • अभिनय- श्रेयस तलपड़े, आशीष विद्यार्थी
  • छायांकन- सुधीर पलसाने
  • निर्देशक- जयप्रद देसाई
  • ओटीटी प्लेटफार्म- डिज़्नी हॉटस्टार
Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध