'राम मंदिर निर्माण चंदे की लूट-खसोट में लगा है ट्रस्ट, कोर्ट जाएंगे हम' निर्वाणी अखाड़े के संतों का गंभीर आरोप
(कभी रामलला मामले के पक्षकार रहे निर्वाणी अखाड़े के संत धर्मदास ने चंपत राय पर लगाए गंभीर आरोप)
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अयोध्या (Ayodhya) राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब सालों चली कानूनी लड़ाई में रामलला के पक्षकार रहे निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास ने ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाकर कोर्ट में जाने की बात कही है। महंत धर्मदास ने ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय समेत सभी सदस्यों पर आरोप लगाते हुए कहा कि चंपत राय ने भगवान की संपत्ति को अपने नाम लिखवाकर चोरी की है।
धर्मदास ने ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी के विवादित बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे लोग अयोध्या के संतों का परीक्षण कराएंगे जिन्हें ये नहीं पता कि सनातन धर्म में सालिग्राम की पूजा कैसे की जाती है? महंत धर्मदास ने कहा कि राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट के लोग चंदे के रुप में आने वाले धन की लूट-खसोट में लगे हैं। जो भी पैसा चंदे के रुप में आया है वह भगवान राम का है और उन्हीं के नाम से रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों के नाम पैसा जमा किया जा रहा है वह सब व्यापार और लूट खसोट करने वाले लोग हैं। पैसों को किस तरह से ठिकाने लगाना है, इनसे बेहतर मैनेजमेंट कोई नहीं कर सकता। हम सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा कर न्यायलय से पैसा भगवान रामलला (Ramlala) के नाम जमा करवाने की मांग करेंगे। कोर्ट जाने से पहले हनुमान जी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हनुमान गढ़ी में 11 दिन तक सुंदरकांड होगा।
धार्मिक अनुष्ठान से हनुमान जी प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देंगे, जिससे हम कोर्ट में जीत हासिल करेंगे। वहीं ट्रस्ट (Trust) में शामिल भ्रष्टाचारी सदस्यों को बाहर निकलवाने में भी कामयाब होंगे। अयोध्या के ही एक और संत दिलीप दास ने भी महंत धर्मदास का समर्थन करते हुए कहा कि यह राम जी की सम्पति से छेड़छाड़ के विरोध में विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है। ट्रस्ट के लोग राम के नाम पर पैसा लूट रहे हैं।
उन्होनें भरत का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह से भरत जी ने 14 वर्षों तक भगवान की खड़ाऊं सिंहासन पर रखकर राज चलाया उसी तरह से मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट को भी राम की संपत्ति रामलला के नाम ही रखना चाहिए था जबकि ऐसा न करके लोग अपनी अपनी तरह से पैसों का बंदरबांट करने में लगे हुए हैं।
हम चाहते हैं कि जैसे अयोध्या के 14 हजार मंदिरों की व्यवस्था सारे साधू-संत संभालते हैं उसी तरह से राम जन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर की भी व्यवस्था साधु परंपरा के अंतर्गत होनी चाहिए।