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आंदोलन

उत्तराखंड के 25 साल : भाजपा सरकार जन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने की जगह साम्प्रदायिकता को दे रही बढ़ावा !

Janjwar Desk
9 Nov 2025 6:46 PM IST
उत्तराखंड के 25 साल : भाजपा सरकार जन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने की जगह साम्प्रदायिकता को दे रही बढ़ावा !
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25 वर्षों में जल विद्युत परियोजनाओं, ऑल वेदर रोड व जंगली जानवरों के आतंक ने उत्तराखंड व‌ उसके पर्यावरण को तहस-नहस करके रख दिया है। 200 से ज्यादा वन ग्राम, गोठ व खत्ते ऐसे हैं जिन्हें ग्राम पंचायत चुनने व चुने जाने तथा बिजली, पानी, सड़क व अस्पताल आदि के बुनियादी अधिकार नहीं दिए गए हैं...

रामनगर। उत्तराखंड राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर समाजवादी लोक मंच द्वारा रामनगर में आयोजित जन सम्मेलन में जनता ने एक स्वर में कहा कि ये वो उत्तराखंड नहीं है जिसके लिए 42 लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी। जिसके लिए महिलाओं को अपमान झेलना पड़ा और हजारों हजार लोग जेल गये।

रामनगर पायते वाली रामलीला में ललिता रावत व लक्ष्मी सिंह के संयुक्त संचालन में आयोजित कार्यक्रम में सदन नये समाज बनाने के संकल्प के साथ जन-गीतों और नारों से गूंज उठा।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 90 के दशक में जिन सवालों को लेकर उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए आंदोलन हुआ था वे आज तक वैसे ही बने हुए हैं। सरकार नौजवानों को नौकरी देने की जगह पेपर लीक और भाई भतीजावाद को बढ़ावा दे रही है। भाजपा व कांग्रेस जैसे दलों ने जनता की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने की जगह लूट-खसोट की है। भाजपा और कांग्रेस नेताओं का अवसरवाद चरम पर है। यशपाल आर्य, सतपाल महाराज,हरक सिंह रावत विजय बहुगुणा, रेखा आर्य, सरिता आर्य इसके साक्षात उदाहरण हैं।

वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी उत्तराखंड में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से बढ़कर 2.73 लाख रुपए पहुंचाने का प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि आपके अनुसार 5 सदस्यों के परिवार की औसत आय 13 लाख रुपए से भी अधिक है तो भोजन माता को मात्र सालाना 36 हजार और आंगनबाड़ी तथा अन्य मजदूरों को सालाना एक देड़ लाख रुपए वेतन ही क्यों दिये जाते हैं। यह बीच का पैसा राजनेताओं, मंत्रियों,पूंजीपतियों, ठेकेदारों और अफसर की जेब में क्यों जा रहा है। देश में ऊपर के 1 प्रतिशत अमीर लोगों के पास 50 प्रतिशत और निचली गरीब 50 प्रतिशत आबादी मात्र एक प्रतिशत धन संपदा पर ही क्यों जीवन बसर करने के लिए विवश हैं।

वक्ताओं ने कहा कि इन 25 वर्षों में जल विद्युत परियोजनाओं, ऑल वेदर रोड व जंगली जानवरों के आतंक ने उत्तराखंड व‌ उसके पर्यावरण को तहस-नहस करके रख दिया है। 200 से ज्यादा वन ग्राम, गोठ व खत्ते ऐसे हैं जिन्हें ग्राम पंचायत चुनने व चुने जाने तथा बिजली, पानी, सड़क व अस्पताल आदि के बुनियादी अधिकार नहीं दिए गए हैं। 17 सौ से अधिक गांव पलायन के कारण भूतहा हो चुके हैं।

भाजपा सरकार जन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने की जगह साम्प्रदायिकता को बढ़ा रही है।

वक्ताओं में सभी प्रगतिशील, वामपंथी संगठनों, महिलाओं किसान, मजदूर, आदिवासी, अल्पसंख्यकों व गरीबों से एक मंच पर आकर अपने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के अधिकार, जंगली जानवरों से सुरक्षा, पर्यावरण व भाईचारा बचाने के के लिए संघर्षों को आगे बढ़ने का आवाह्न किया।

सभा को समाजवादी लोकमंच के संयोजक मुनीष कुमार, उपपा नेता पीसी जोशी, दिनेश उपाध्याय, जन कवि बल्ली सिंह चीमा, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष तरुण जोशी, सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन, महिला एकता मंच की भगवती आर्य, किसान संघर्ष समिति के ललित उप्रेती, भाकपा माले के अमन, अंजू, मेघा, माही,कैसर राना वन ग्राम संघर्ष समिति सुंदरखाल के अध्यक्ष प्रेम राम आदि ने संबोधित किया।

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