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आंदोलन

टिकैत ने संयुक्त मोर्चा की राय के बिना अकेले लिया यूपी-उत्तराखंड में चक्काजाम न करने का फैसला तो भड़के किसान नेता दर्शनपाल

Janjwar Desk
7 Feb 2021 3:30 AM GMT
टिकैत ने संयुक्त मोर्चा की राय के बिना अकेले लिया यूपी-उत्तराखंड में चक्काजाम न करने का फैसला तो भड़के किसान नेता दर्शनपाल
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पहले राकेश टिकैत का यह कहना दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसान नहीं करेंगे चक्काजाम और अब 2 अक्टूबर तक धरने पर बैठने की टेर के बाद किसान नेता दर्शनपाल भड़के, कहा अपनी मर्जी से लिया फैसला, आंदोलन में बिखराव नजर आ रहा सामने....

गाजीपुर बॉर्डर। कृषि कानून के विरोध में देशभर में शनिवार 6 फरवरी को चक्काजाम का किसान संगठनों द्वारा आह्वान किया गया, मगर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्काजाम न किये जाने की घोषण किसान नेता राकेश टिकैत द्वारा की गयी, जिस पर किसान संगठनों का ऐलान अब खुलकर सामने आ गया है।

राकेश टिकैत ने आह्वान किया था कि कृषि कानूनों के खिलाफ 73 दिन से आंदोलन कर रहे किसान 3 राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़ देशभर में चक्काजाम करेंगे। दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक किए गए जाम का सबसे ज्यादा असर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में दिखाइ दिया। हालांकि यह जाम शांतिपूर्ण रहा, लेकिन इसके खत्म होने के बाद किसान नेताओं की आपसी फूट खुलकर सामने आ गई, जैसा कि जनज्वार अपने वीडियो में आशंका जता चुका था।

40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शनपाल का आज शनिवार 6 फरवरी की रात 9 बजे बयान दिया कि राकेश टिकैत को यह निजी तौर पर लगा होगा कि यूपी और उत्तराखंड में हिंसा हो सकती है। मुझे लगता है कि बयान देने से पहले राकेश टिकैत को हमसे बात करनी चाहिए थी। उन्होंने जल्दबाजी में यह बयान दे दिया था।

दर्शनपाल के इस बयान के बाद किसान नेताओं के राकेश टिकैत से खफा होने की बातें खुलकर मीडिया में आ रही हं। गौरतलब है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को चक्काजाम से अलग रखने का ऐलान भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किया था।

हालांकि इससे अलग गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक कानून वापसी नहीं, घर वापसी नहीं, दूसरा की हम 2 अक्टूबर तक ऐसे ही विरोध प्रदर्शन करेंगे। उसके बाद हम आगे का प्रोग्राम बनाएंगे। यानी एक तरह से उन्होंने किसानों के बीच यह बात पहुंचा दी है कि यह आंदोलन 2 अक्टूबर तक लंबा खिंचेगा।

कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन जबकि पूरे उत्साह के साथ जारी है, दिन प्रतिदिन किसानों का प्रदर्शन लंबा खीचता जा रहा है, ऐसे में राकेश टिकैत द्वारा दिए गए बयान के कई मायने निकल रहे हैं।

राकेश टिकैत ने मंच से अन्य किसानों को साफ शब्दों में कह दिया है, 'हम यहां से नहीं उठेंगे' जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं। टारगेट 2 अक्टूबर तक है हमारा, उसके बाद आगे की रणनीति बनाएंगे।'

हालांकि राकेश टिकैत इस बार वही कहते नजर आए हैं कि हम सरकार के साथ बातचीत करने को तैयार हैं। सरकार को जब ठीक लगे बात कर ले, हमारा मंच भी वही है और पंच भी वही है।'

राकेश टिकैत ने इसी बीच एनजीटी पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली की सड़कों पर 4 लाख ट्रैक्टर चले, उस दौरान एनजीटी का ऑफिस नहीं मिला कि किधर था।'


'हम दिखाना चाहते हैं कि जो ट्रैक्टर हमारे खेत में चलता है वह दिल्ली के एनजीटी के ऑफिस पर भी चलेगा। अब एनजीटी ने नहीं पूछा 10 साल पहले के ट्रैक्टर कौन से चल रहे थे। आखिर इनका प्लान क्या है घ्10 साल पुराने ट्रैक्टर को बंद करो उद्योगपतियों को फाएदा दो।'

राकेश टिकैत ने चेताते हुए कहा कि 10 साल पुराना ट्रैक्टर भी चलेगा, दिल्ली की सड़कों पर 20 लाख आदमी थे, अगला टारगेट हमारा 40 लाख ट्रैक्टरों का है।'

गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद से दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस ने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर रखा है। हालांकि टिकैत ने इस बात का भी जिक्र किया कि बॉर्डर पर पुलिस और जवानों का परिवार अपने बेटे की तस्वीर लेकर आंदोलन में बैठेगा।

दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में आज चक्का जाम किया गया था, लेकिन दिल्ली की सीमा के अंदर चक्का जाम नहीं हुआ, वहीं उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के अंदर भी चक्का जाम नहीं दिखा।.

टिकैत ने चक्का जाम के बाद किसानों से कहा, 'हमने कानून वापस लेने के लिए सरकार को 2 अक्टूबर तक का टाइम दिया। इसके बाद हम आगे की योजना बनाएंगे। या तो सरकार हमारी बात सुन लेए नहीं तो अगला आंदोलन ये होगा कि जिसका बच्चा फौज-पुलिस में होगा, उसका परिवार यहां रहेगा और उसका पिता उसकी तस्वीर लेकर यहां पर बैठेगा। कब तस्वीर लेकर आनी है, ये भी मैं बता दूंगा। सरकार के साथ हम किसी भी दबाव में बात नहीं करेंगे।'

टिकैत ने आगे कहा, या तो सरकार बिल वापस ले ले, एमएमसपी पर कानून बना दे, नहीं तो ये आंदोलन जारी रहेगा और हम देश में यात्रा करेंगे। पूरे देश में आंदोलन होगा। हमारा गैर राजनीतिक आंदोलन पूरे देश में होगा। फिर में यह मत कहिएगा कि कैसा आंदोलन है।

टिकैत ने कहा, 'तिरंगे को हम मानते हैं, हमारे बच्चों की शहादत तिरंगे में होती है, गांव में इसमें लिपटे आते हैं। तिरंगे का अपमान सहन नहीं होगा। इनको देश से लगाव नहीं है, व्यापारी से लगाव है। इनको किसान से लगाव नहीं है, उसके अनाज से लगाव है। इनको मिट्टी से लगाव नहीं हो, इनको अन्न से लगाव है। ये कील बोएंगे, हम अनाज बोएंगे।'

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