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Agricultural Bill Repealed : मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद राकेश टिकैत बोले - आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा, हमारे पास हैं तमाम मुद्दे

Janjwar Desk
24 Nov 2021 9:40 AM GMT
Agricultural Bill Repealed : मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद राकेश टिकैत बोले - आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा, हमारे पास हैं तमाम मुद्दे
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राकेश टिकैत

Agricultural Bill Repealed : कृषि बिल वापसी को कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार इस मुद्दे पर किसान संगठनों से बातचीत करे।

नई दिल्ली। कृषि कानूनों की वापसी वाले प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों के हालात में सुधार न्यूनतम समर्थन मूल्य को बाध्यकारी बनाने के लिए कानून बनाने से होगा। उन्होंने कहा कि बिल वापसी को कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार इस मुद्दे पर किसान संगठनों से बातचीत करे। किसान हितों से संबंधित और भी कई मुद्दे हैं जिसका समाधान जरूरी है।


हमारे पास किसानों के तमाम मुद्दे हैं

किसान आंदोलन खत्म करने को लेकर किसान नेताओं का कहना है कि उनकी मांग सिर्फ कृषि बिल की वापसी नहीं थी, बल्कि एमएसपी गारंटी कानून के साथ और भी तमाम मुद्दे हैं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि 700 किसानों की मृत्यु भी हमारा मुद्दा है।सरकार ने घोषणा की है तो वो प्रस्ताव ला सकते हैं लेकिन MSP और 700 किसानों की मृत्यु भी हमारा मुद्दा है। इस मामले में भी सरकार को बात करनी चाहिए।

चुनाव लड़ने के मुद्दे पर दिया ये जवाब

सरकार अगर 26 जनवरी से पहले तक मान जाएगी तो हम अपना आंदोलन खत्म करके चले जाएंगे। वहीं चुनाव को लेकर टिकैत ने कहा कि चुनाव के विषय में हम चुनाव आचार संहिता लगने के बाद बताएंगे।


एमएसपी पर कानून भी बनेगा और शहीद किसानों को मुआवजा भी मिलेगा

वहीं राकेश टिकैत के पत्नी सुनीता टिकैत ने कहा कि घर वापसी एमएसपी पर गारंटी मिलने के बाद ही होगा। इतना ही नहीं शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा भी देना होगा। अगर मांगेें नहीं मानी गईं तो हम यही रहेंगे। हमारा घर धरनास्थल ही है। हम यहां से सारा मामला निपटाने के बाद ही लौटेंगे। हम अपने किसान भाईयों को दुबारा परेशान नहीं करना चाहते। एमएसपी पर कानून बनेगा और गारंटी भी मिलेगी।


बता दें कि कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई कमिटी के सदस्य अनिल घनवट ने कहा है कि MSP का कानून अगर आता है तो इससे नुकसान होगा। वहीं कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद उन्होंने कहा था कि यह तीनों कानून वापस लेने नहीं चाहिए थे। कानूनों में सुधार की गुंजाइश थी।

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