बाढ़ से ध्वस्त हो गई सड़क, कहीं नहीं हुई सुनवाई तो गांववालों ने बना लिया बांस का चचरी पुल
सड़क टूटने के बाद हो रही थी परेशानी, चचरी पुल बन जाने से हुई आसानी
जनज्वार ब्यूरो, पटना। शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने नहीं सुनी फरियाद तो ग्रामीणों ने खुद ही बना लिया पुल। बिहार के सारण जिला के परसा प्रखंड में बाढ़ से एक बड़ा इलाका प्रभावित है। बाढ़ के कारण यहां की सड़क बीच में से कट गई थी, जिस कारण लोग जुगाड़ वाली नाव से या फिर तैर कर आते-जाते थे।
ग्रामीण शांतनु राय ने कहा 'परसा प्रखंड में आई विनाशकारी बाढ़ से कटे सड़क पर आवागमन के बन्द होने के बाद परेशानी का सामना कर रहे ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।'
फिर एकजुटता दिखाते हुए खुद ही टूटे हुए सड़क पर पुल बनाने का निर्णय लिया और आपसी सहयोग से उसे मूर्त रूप दे दिया।
मामला सारण जिला के परसा प्रखण्ड का है जहाँ सारण तटबन्ध के टूटने से परसा - बनकेरवा मुख्य पथ के बनकेरवा काटा स्थित तकरीबन 100 फिट तक सड़क कट जाने के बाद ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डाल यात्रा करने को मजबूर थे।
स्थानीय ग्रामीण तारकेश्वर राय कहते हैं 'बाढ़ के पानी से कटे सड़क पर अब भी पानी बह रहा है जिससे सड़क का पुनर्निर्माण अभी संभव नही हो रहा था। जिसके कारण हाल फिलहाल में सड़क की सुविधा मिलना मुश्किल लग रही थी।'
इस चचरी पुल के निर्माण में सहयोग करने वाले रमेश राय ने कहा 'ग्रामीण थर्मोकोल के डब्बों से जुगाड़ नाव बना कर बाढ़ के पानी को जान जोखिम में डाल पार करते थे। इस परेशानी को देखते हुए ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया।'
स्थानीय लोगों ने आपसी सहयोग से बाँस और रस्सियां इकट्ठी कीं और इन्हीं बांस और रस्सियों से चचरी पुल का निर्माण किया गया है। यह चचरी पुल कब तक पानी के थपेड़ों को सहेगी यह कहना तो फिलहाल मुश्किल है, लेकिन अभी यह चचरी पुल इस सड़क से यात्रा करने वालो के लिए लाइफ लाइन बनी हुई है।
पुल निर्माण में जुटे ग्रामीणों का कहना है कि जुगाड़ की नाव से यात्रा करने में बहुत जोखिम है । जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और प्रशासन की लेट लतीफी के कारण उन लोगो ने पुल निर्माण का निर्णय लिया है जिससे अब किसी को अपनी जान खतरे में नही डालनी होगी।
रमेश राय तारकेश्वर राय, शांतनु राय अशोक राय, सिकन्दर राय समेत ग्रामीणों के सहयोग से चचरी पुल का निर्माण किया गया है।