लालू यादव के घर में फिर बवाल, तेज प्रताप ने इस्तीफे की बात कर खोला मोर्चा, अहम सवाल - किसका है इसके पीछे हाथ?
पटना। लालू यादव (Lalu Prasad) के घर में झगड़ा ( lalu Family Dispute ) कोई नई बात नहीं हैं। ताज्जुब यह है कि सारा बवाल आरजेडी ( RJD ) प्रमुख लालू यादव के सामने हो रहा है। तेज प्रताप यादव ( Tej Pratap Yadav ) ने एक बार फिर बागी रुख उस समय अख्तियार किया है जब लालू यादव ( lalu yadav ) जमानत पर जेल से बाहर आये हैं और बिहार में नया सियासी समीकरण को लेकर चर्चा जोरों पर है। इस बीच इफ्तार के दिन तेज प्रताप ने कहा कि चचा आओ एंट्री मारो की बात की थी और अब ट्विटर अपने पिता से मिलकर इस्तीाफा देने की बात कर तेज प्रताप ने सबको चौंका दिया है, बल्कि तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) के सामने नई मुसीबत भी खड़ी कर दी है।
इन सबके बीच अहम सवाल यह है कि आखिर तेज प्रताप यादव ( Tej Pratap ) के पीछे कौन है, उन्हें ऐसा करने के लिए उकसा कौन रहा है? क्या तेज प्रताप यादव अपने दम पर ऐसा कर रहे हैं या कोई लालू यादव ( Lalu yadav ) परिवार को विरोधी है जो बिहार की राजनीति में लालू परिवार को कमजोर करना चाहता है।
कौन है लालू परिवार का दुश्मन?
जहां तक बात बिहार के यादव परिवार के झगड़े की है तो लालू यादव ( Lalu Yadav )ने पहले ही साफ साफ बंटवारा कर दिया था, लेकिन नवंबर में होने वाले संगठन के चुनाव ने नये सिरे से मौका दे दिया है कि पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा। यही वो मसला है जिसको लेकर लालू का परिवार परेशान है। साथ ही इस पर मंथन हो रहा है कि कोई बाहरी दुश्मन तो नहीं? बाहरी दुश्मन तो वही होगा जिसे आरजेडी में तोड़ फोड़ से सीधा फायदा हो? जैसे पासवान परिवार की लोक जनशक्ति पार्टी में हुआ। एक ही झटके में चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस पार्टी के दो अलग अलग हिस्से लेकर बंट गए। ये तो सबने देखा ही कि किस तरह भाजपा नेताओं ने आगे बढ़ कर लोक जनशक्ति पार्टी में दो फाड़ होने के बावजूद टूट के औपचारिक शक्ल लेने से रोक दिया। तोड़ने की तोहमत तो नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के नेताओं पर लगी, लेकिन मंत्री बन कर पशुपति पारस भाजपा के ज्यादा करीब हो गए।
साफ है कि एलजेपी को तोड़ने वालों की ही नजर आरजेडी पर भी टिकी ही होगी। बस, सही मौके की तलाश है। फिलहाल, विरोधी दाल गला नहीं पा रहे हैं। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि जेडीयू और भाजपा दोनों में ही लालू के घर में झगड़े का फायदा उठाने की भी होड़ मची है।
पार्टी नेताओं पर खुद को बदनाम करने का लगाया आरोप
फिलहाल, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने ट्विट कर इस्तीफे की धमकी देकर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने पार्टी से इस्तीफे देने की मांग कर दी है। तेज प्रताप ने ट्विट कर बता दिया कि मैंने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलने का प्रयास किया। सभी कार्यकर्ताओं को सम्मान दिया, लेकिन पार्टी के ही कुछ लोग ऐसी हरकत कर रहे हैं जो बर्दाश्त से बाहर है। उनका आरोप है कि पार्टी के अंदर उने अपनों ने ही उन्हें हमेशा बदनाम करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि वो पिता से मिलकर इस्तीफा दे देंगे। ताकि मेरे जैसे किसी नौजवान का हौसला न टूटे।
दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल के युवा महानगर इकाई के अध्यक्ष रामराज ने आज ही तेज प्रताप यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने पद और दल से इस्तीफा दे दिया। राजद के पटना यूथ विंग के अध्यक्ष रामराज यादव ने 25 अप्रैल को आरोप लगाया कि तेज प्रताप यादव और उनके पांच सहयोगियों ने उन्हें राबड़ी देवी के आवास के एक कमरे में बंदी बना लिया और बेरहमी से पीटा। उन्होंने घटना का वीडियो क्लिप भी बनाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि मैं दावत ए इफ्तार के दिन राबड़ी देवी के घर के अहाते में तीन पंडालों की देखभाल कर रहा था। उसी समय तेज प्रताप यादव आए और मुझे एक कमरे के अंदर चलने के लिए कहा। जैसे ही मैं वहां गया, उन्होंने पीटना शुरू कर दिया। वहां और 5 आदमी मौजूद थे। तेज प्रताप ने मुझे अपने कपड़े उतारने के लिए कहा और फिर उन्होंने मुझे पूरी तरह से नग्न कर पीटा। एक व्यक्ति ने इस घटना का वीडियो भी बनाया।
आरजेडी महानगर युवा विंग के अध्यक्ष रामराज का कहना है कि जब मैंने पूछा कि वे मुझे क्यों मार रहे हैं, तो तेज प्रताप यादव ने कहा कि मैं तेजस्वी यादव और जगदानंद सिंह के खेमे में हूं। उन्होंने यह भी कहा कि जब भी वह किसी को पीटते थे, तो वह घटना का वीडियो बनाते थे और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करने की धमकी भी देते थे। मैं, 18 मिनट के लिए नरक में था। 18 मिनट की यातना के दौरान तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी यादव के खेमे में रहने के चलते मेरे लिए 500 से ज्यादा अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। तेज प्रताप यादव के बाहर निकलने के बाद मैं भागने में सफल रहा। राबड़ी देवी के घर के बाहर मेरी गाड़ी खड़ी थी, लेकिन मैंने उसका इस्तेमाल नहीं किया। मैंने घर से भागने के लिए अपने दोस्त की मदद ली। अगर मैं नहीं भागता, तो शायद वे मुझे जान से मार देते।
असल झगड़ा तो इस बात पर है
लालू परिवार के अंदर जो कुछ चल रहा है उसके जख्म काफी पुराने हैं। तेजस्वी यादव को आरजेडी में तरजीह दिया जाना, बाकी नेताओं को तो कोई फर्क नहीं पड़ता की कमान किसे मिलती है, लेकिन परिवार में, बल्कि कहें कि भाई-बहनों के मन में एक टीस तो है ही। परिवार से बाहर कभी पप्पू यादव कांटे की तरह चुभने जरूर लगे थे, लेकिन लालू यादव ने ये कहते हुए निकाल बाहर किया कि 'वारिस तो बेटा ही होगा, नहीं होगा तो क्या भैंस चराएगा?
ताजा विवाद के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं। एक तेज प्रताप की बातों से जगदानंद सिंह की नाराजगी और छात्र आरजेडी के कार्यक्रम में लगे पोस्टर से तेजस्वी यादव की तस्वीर का गायब होना। तेज प्रताप ने जगदानंद सिंह को लेकर बहुत कुछ बोल दिया था। जानते और समझते तो वो भी होंगे कि असल वजह कोई और है, लेकिन दस दिन तक आरजेडी दफ्तर से दूरी बनाकर जगदानंद सिंह ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। बताते हैं लालू यादव के कहने पर ही माने और 18 अगस्त को आते ही एक्शन दिखा दिया आकाश यादव को हटाकर गगन कुमार की छात्र आरजेडी अध्यक्ष पद पर नियुक्ति कर दिया। ऐसा करने से पहले जगदानंद सिंह आते ही तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी।
अब छात्र आरजेडी अध्यक्ष की नियुक्ति भले ही तेजस्वी यादव की सहमति और लालू यादव की मंजूरी से हुई हो, लेकिन जगदानंद सिंह की कलम से जारी आदेश पर नाराजगी जाहिर करने में तेज प्रताप ने जरा भी देर नहीं लगाई। इस मसले पर जगदानंद सिंह विनम्रता के साथ सब कुछ ढकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनका एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें सीधे सीधे पूछ रहे हैं - कौन हैं तेज प्रताप? तेज प्रताप भी अपनी तरफ से कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। जगदानंद सिंह को सजा दिलाने तक पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बना लेने की भी धमकी दे चुके हैं। जगदानंद सिंह को लेकर तेज प्रताप का कहना है कि कुर्सी किसी की पुश्तैनी नहीं है। जगदानंद सिंह के बहाने तेज प्रताप यादव जो बात कह रहे हैं वो अपनेआप दूर-तलक जाती है। वो यानि तेजस्वी यादव मनमानी कर सोच रहे हैं कि पार्टी का अध्यक्ष बन जाएंगे। यानि असल लड़ाई तो आरजेडी अध्यक्ष पद को लेकर है। आरजेडी अध्यक्ष पद का चुनाव होना है। यही वजह है कि तेज प्रताप यादव ने जगदानंद सिंह के बहाने आरजेडी अध्यक्ष पद की तरफ ही इशारा किया है। बता दें कि नवंबर, 2022 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर लालू यादव का कार्यकाल पूरा हो रहा है।
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