संयुक्त किसान मोर्चा का फैसला, जबतक किसानों की रिहाई नहीं तबतक कोई वार्ता नहीं
जनज्वार। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बैठक कर फैसला किया कि जब तक पुलिस और प्रशासन द्वारा किसानों के आंदोलन के खिलाफ उत्पीड़न को रोका नहीं जाता है, तब तक सरकार के साथ कोई औपचारिक बातचीत नहीं हो सकती है। इसमें ट्रेंच खुदाई, सड़कों पर खड्डे, कंटीले तारों की बाड़ लगाना, आंतरिक छोटी सड़कों को बंद करना, इंटरनेट सेवाओं को रोकना, बीजेपी-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से विरोध प्रदर्शन रोकना, जरूरी सुविधा को रोकना, ट्रेनों के रूट बदलना और उन्हें रोकना, पत्रकारों की गिरफ्तारी और ट्विटर अकाउंट बंद करना आदि शामिल है। मालूम हो कि गाजीपुर बाॅर्डर व टिकरी बाॅर्डर पर दिल्ली पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग की है, नुकीले कील लगाए हैं, दीवार खड़ी की है और नाका स्थापित किया है, जिसका विरोध किया जा रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डा दर्शन पाल ने कहा है कि ऐसा लगता है कि सरकार विभिन्न राज्यों में चल रहे विरोध की बढ़ती ताकत से बेहद भयभीत है। मोर्चा ने विभिन्न थानों में कई प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और हिरासत और किसानों के वाहनों को जब्त करने की कड़ी निंदा की। मोर्चा ने कहा है कि सैकड़ों लोगों के लापता होने की सूचना है और यह हमारे लिए बहुत चिंता का विषय है। मोर्चा ने कहा है कि गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा किया जाए, उन पर दर्ज केस वापस लिया जाए, तभी सरकार के साथ आगे की वार्ता होगी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि अधिक लोग आंदोलन में शामिल न हों, मोर्चा के समन्वित कामकाज में परेशानी हो, हिंसा की छवियां पेश हो ताकि आम लोग इस आंदोलन से दूर रहें और पुलिस मनगढ़ंत आरोपों और गिरफ्तारी के माध्यम से प्रदर्शनकारियों पर नकेल कस सके। वहीं, असल अपराधी बिना किसी गिरफ्तारी या कठोर कार्रवाई के बाहर है जो यह साबित करता है कि सरकार किसानों के आंदोलन को खत्म करना चाहती है।
मोर्चा ने सोमवार को हुई बैठक में पांच प्रमुख प्रस्ताव पारित किया है। जिसमें कहा है कि हालांकि सरकार की ओर से बातचीत का कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन सभी किसानों की बिना शर्त रिहाई के बाद ही अब वार्ता होगी। मोर्चा ने कहा है कि दिल्ली पुलिस ने 122 आंदोलनकारियों की सूची जारी की है जिन्हें पुलिस हिरासत में लिया गया था, हम उनकी तत्काल रिहाई की मांग करते हैं। मोर्चा ने आंदोलन को कवर कर रहे पत्रकारों पर हमलों और गिरफ्तारी की भी निंदा की है।
मोर्चा ने तय किया है कि छह फरवरी को पूरे देश में दोपहर 12 से तीन बजे तक चक्का जाम किया जाएगा। किसान आंदोलन से संबंधित कई ट्विटर एकाउंट बंद करने की सरकार की कोशिशों की कड़ी निंदा मोर्चा ने की है और कहा है कि इसे सरकार के झूठे प्रचार से निबटने के लिए और जनता को वास्तविक जानकारी देने के लिए चलाया जा रहा है।
मोर्चा ने कहा है कि दिल्ली से लगी कई सीमाओं पर पुलिस अपने बैरिकेड्स को मजबूत कर रही है। पुलिस बल सड़क पर सीमेंटेड बैरिकेड्स, कांटेदार तार की बाड़ और खड्डों के साथ सड़कों को अवरुद्ध कर रहे हैं। एक तरफ, प्रधानमंत्री कहते हैं कि समाधान केवल एक कॉल दूर है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार विरोध स्थलों को बंद करने, सुविधाओं में कटौती करने और जनता को असुविधा करने की पूरी कोशिश कर रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अलग-अलग राज्यों के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक कानूनी टीम का गठन किया है, जिसका नेतृत्व प्रेम सिंह भंगू कर रहे हैं। यह कमेटी अब लापता व्यक्तियों, गिरफ्तार व्यक्तियों और जब्त वाहनों के मामले को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाएगी।