Begin typing your search above and press return to search.
दिल्ली

वकील ने भूषण मामले की सुनवाई के सीधा प्रसारण के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

Janjwar Desk
22 Aug 2020 8:00 AM IST
वकील ने भूषण मामले की सुनवाई के सीधा प्रसारण के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
x
प्रार्थी ने दलील दी है कि तत्काल अवमानना मामला सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद से सबसे सनसनीखेज मामला है, जो प्रिंट और डिजिटल मीडिया के हाथों प्रशांत भूषण मामले का प्रक्षेपण, उनके और उनके कृत्यों का गुणगान करने के अलावा और कुछ नहीं है, जो विधि व्यवस्था के सम्मान और प्रतिष्ठा को कम करता है....

नई दिल्ली। एक वकील ने न्यायपालिका की अवमानना मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ चल रहे मुकदमे की कार्यवाही का सीधा प्रसारण (लाइव टेलीकास्ट) किए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। भूषण पर जून में किए गए ट्वीट के लिए न्यायपालिका की अवमानना का आरोप है और इसके लिए शीर्ष अदालत द्वारा स्वत:संज्ञान लिया गया है।

अधिवक्ता अमृतपाल सिंह खालसा ने दलील दी है कि इस अवमानना मामले का पर्याप्त प्रभाव बार और बेंच के संबंध में न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर में हो सकता है।

प्रार्थी ने दलील दी है कि तत्काल अवमानना मामला सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद से सबसे सनसनीखेज मामला है, जो प्रिंट और डिजिटल मीडिया के हाथों प्रशांत भूषण मामले का प्रक्षेपण, उनके और उनके कृत्यों का गुणगान करने के अलावा और कुछ नहीं है, जो विधि व्यवस्था के सम्मान और प्रतिष्ठा को कम करता है।

खालसा ने शीर्ष अदालत से 25 अगस्त को लाइव टेलीकास्ट और कोर्ट की कार्यवाही की वीडियोटेपिंग सुनिश्चित करने का आग्रह किया, खासतौर पर आदेश के ऐलान के वक्त ऐसा करने की अपील की गई है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एक समर्थक वर्ग (लॉबी) है, जिसमें भूषण संस्थापक सदस्यों में से एक हैं, जिसका उद्देश्य संस्था को अस्थिर करना है और न्यायालय से अनुकूल आदेश प्राप्त नहीं होने पर सबसे कम संभव स्तर की आलोचना करना है। खालसा कहते हैं कि इस समर्थक वर्ग ने पिछले दिनों से मुख्य न्यायाधीशों को भी निशाना बनाया था।

खालसा ने भूषण की सुनवाई के लाइव टेलीकास्ट और वीडियो रिकॉर्डिग में किए गए खर्च का भुगतान करने का भी दायित्व लिया है, जो 25 अगस्त को नियत है।

आवेदक ने आगे कहा कि इस अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने प्रशांत भूषण को समर्थन दिया है। न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ (रिटायर्ड) ने भी अवमानना मामले की सुनवाई कर रही पीठ पर सवाल उठाया है और अवमानना के लिए एक अंतर-अदालत अपील का सुझाव दिया है।

शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को न्यायपालिका की आलोचना करने वाले ट्वीट के लिए सामाजिक कार्यकर्ता एवं वकील भूषण को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था।

जून के अंत में, भूषण ने अपनी राय व्यक्त करने के लिए ट्वीट किया था कि भारत के पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की कार्रवाई या निष्क्रियता ने औपचारिक आपातकाल के बिना भी देश में लोकतंत्र के विनाश में योगदान दिया है।

शीर्ष अदालत ने 20 अगस्त को प्रशांत भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया और उन्हें उनके बयान पर पुनर्विचार करने को कहा है।

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध