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Eid al-Adha 2022 : बकरीद पर दिल्ली की जामा मस्जिद में अदा की गई नमाज, सभी ने मांगी अमन-चैन की दुआएं

Janjwar Desk
10 July 2022 3:02 AM GMT
Eid al-Adha 2022 : बकरीद पर दिल्ली की जामा मस्जिद में अदा की गई नमाज, सभी ने मांगी अमन-चैन की दुआएं
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Eid al-Adha 2022 : बकरीद पर दिल्ली की जामा मस्जिद में अदा की गई नमाज, सभी ने मांगी अमन-चैन की दुआएं

Eid al-Adha 2022 : बकरीद की वजह से दिल्ली के जामा मस्जिद में बड़ी संख्या में भीड़ देखी गई। नमाज के बाद लोग एक-दूसरे के गले मिले और बकरीद की मुबारकबाद दी।

Eid al-Adha 2022 : देशभर में ईद-उल-अजहा यानि बकरीद ( Bakrid 2022 ) का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। दिल्ली की जामा मस्जिद ( Jama Masjid Bakrid ) सहित देश के सभी मस्जिदों में बकरीद ( Bakrid ) पर भारी संख्या में लोगों ने नमाज अदा की। इस दौरान लोगों ने खुदा से अमन-चैन की दुआएं मांगी। बकरीद की वजह से दिल्ली के जामा मस्जिद में बड़ी संख्या में भीड़ देखी गई। नमाज के बाद लोग एक-दूसरे के गले मिले और बकरीद की मुबारकबाद दी।

इस्लाम के प्रमुख त्योहारों में एक है बकरीद

इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक बकरीद ( Bakrid ) है। इसे ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है। ईद-उल फित्र के बाद मुसलमानों का ये दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। इस मौके पर ईदगाह या मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की जाती है। मुस्लिम समाज के घरों में पर्व को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पर्व की खुशियां मना रहे हैं। ईद-उल फि‍त्र पर जहां खीर बनाने का रिवाज है वहीं बकरीद पर बकरे की कुर्बानी (बलि) दी जाती है।

ईद-उल-अजहा ( Bakrid ) एक पवित्र अवसर है जिसे बलिदान का त्योहार के रूप में जाना जाता है। इस पर्व को धू उल-हिज्जाह के 10वें दिन मनाया जाता है, जो इस्लामी या चंद्र कैलेंडर का बारहवां महीना होता है। यह वार्षिक हज यात्रा के अंत का प्रतीक है। हर साल, तारीख बदलती है क्योंकि यह इस्लामिक कैलेंडर पर आधारित है जो पश्चिमी 365-दिवसीय ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 11 दिन छोटा है।

बता दें कि ईद उल-अजहा ( Bakrid ) खुशी और शांति का अवसर है जो लोग अपने परिवारों के साथ मनाते हैं। इस दौरान वे पुरानी शिकायतों को दूर करते हैं और एक दूसरे के साथ बेहतर संबंध बनाते हैं। यह पैगंबर अब्राहम की ईश्वर के लिए सब कुछ बलिदान करने की इच्छा के स्मरणोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व का इतिहास 4,000 साल पहले का है जब अल्लाह पैगंबर अब्राहम के सपने में प्रकट हुए थे और उनसे उनकी सबसे ज्यादा प्यारी वस्तु का बलिदान देने के लिए कह रहे थे।

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