किसानों पर हुए पुलिसिया बर्बरता को लेकर हरियाणा के गृहमंत्री का बेतुका बयान, कैसे मानें लाठीजार्च हुआ
चंडीगढ़ से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। कुरुक्षेत्र में किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर हरियाणा के होम मिनिस्टर अनिल विज ने बेतुका बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जब कोई घायल ही नहीं हुआ तो कैसे मान लें पुलिस ने लाठीचार्ज किया? हालांकि शनिवार को घायल किसानों की तस्वीर जब सामने आयी तो इस पर होममिनिस्टर जवाब देने के लिए तैयार नहीं थे। इधर किसानों ने ऐलान कर दिया कि यदि 15 सितंबर तक उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वह जिला स्तर पर प्रदर्शन शुरू कर देंगे।
सरकार को लेकर किसानों में जबर्दस्त गुस्सा है। भाकियू प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि भाजपा सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी सरकार है। यह सरकार सिर्फ व्यापारियों के मुनाफ़े के लिए काम कर रही है।
लाठीचार्ज की घटना के बाद हरियाणा भाजपा का विरोध हो रहा है। इससे बचने के लिए सरकार की अोर से विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह किसानों को भड़का रहे है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने तीन सांसदों की एक कमेटी गठित कर किसान नेताओं से बातचीत की पहल की है। कमेटी में भिवानी के सांसद धर्मबीर सिंह, हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह और कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी शामिल हैं। हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने भी इस प्रकरण में अजीबो-गरीब बयान दिया है।
दलाल का दावा है कि यह आंदोलन कांग्रेस प्रायोजित था। इस प्रदर्शन में शामिल होने वाले ज्यादातर लोग कांग्रेस के कार्यकर्ता थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान पूरी तरह से कृषि अध्यादेशों के समर्थन में हैं। इसके बावजूद कांग्रेस अपने फायदे के लिए न केवल गलत बयान दे रही हैं बल्कि प्रदेश का माहौल भी बिगाड़ रही है।
भाजपा की सहयोगी पार्टी जननायक जनता दल के नेता किसानों पर लाठीचार्ज के बाद सकते की स्थिति में हैं। क्योंकि इस पार्टी का बड़ा जनाधार किसान है, यदि किसान जेजेपी के विरोधी हो जाते तो पार्टी संकट में फंस सकती है। जेजेपी के नेता व उपमुख्यमंत्री लाठीचार्ज के बाद से लेकर अभी तक किसी से भी मिल नहीं रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकार भी मान रहे हैं कि किसानों पर लाठीचार्च का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। पार्टी के नेता बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में हैं। लेकिन सीएम मनोहर लाल का खेमा इस पूरे घटनाक्रम में चुप है।
किसानों को यह आंदोलन इस वक्त शुरू हो रहा है, जब धान की कटाई शुरु होने वाली है। यहीं सरकार की सबसे बड़ी चिंता है। यदि अब किसान आंदोलन शुरू हो जाता है तो सरकार इसे संभाल नहीं सकती। जिससे पार्टी को काफी नुकसान हो सकता है। वहीं विपक्ष की कोशिश है कि किसान आंदोलन तेज हो।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ऐलान किया कि जब तक तीनों अध्यादेश वापस नहीं हो जाते, तब तक आंदोलन चलना चाहिए। उन्होंने किसान आंदोलन को समर्थन भी दिया है। लेकिन युवा किसान संघ के प्रधान प्रमोद चौहान ने बताया कि विपक्ष की गतिविधियां सिर्फ सोशल प्लेटफार्म पर ही नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेताओं को चाहिए कि बयानबाजी छोड़ कर किसानों के साथ कंधे से कंधा मिला कर आंदोलन में साथ दें।
लाठी चार्ज के बाद अब किसान लगातार बैठके कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि हम अब पीछे हटने वाले नहीं है। क्योंकि यह आंदोलन जल जंगल और जमीन को व्यापारियों के चंगुल में जाने से रोकने के लिए है। जिस तरह से सरकार पूजपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए नीतियाँ तैयार कर रही है, इससे आने वाला वक्त किसानों के लिए भारी संकट वाला साबित हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह लड़ाई भले ही लड़ किसान रहे हो, लेकिन यह समाज के हर तबके की लड़ाई है। क्योंकि यदि जमीन पर भी व्यापारियों ने कब्ज़ा कर लिया तो आम आदमी को भी खाने के लाले पड़ जाएंगे।
भाकियू प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की ओर से गठित सांसदों की कमेटी को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह कमेटी सिर्फ दिखावा भर है। इससे कुछ भी होने वाला नहीं है। चढूनी ने कहा कि उनकी मांग है कि जब तक तीनों अध्यादेश वापस नहीं हो जाते तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसके लिए चाहे उन्हें किसी भी हद तक जाना पड़े।