जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, कोरोना संकट में हाशिए पर पड़े लोगों के लिए प्रभावी लाभ पहुंचाने की आवश्यकता
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि कोरोना संकट ये दर्शाता है कि समाज में हाशिये पर पड़े लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और प्रभावी लाभ पहुंचाने की जरूरत है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने पिता और पूर्व मुख्य न्यायधीश वाईवी चंद्रचूड़ की जन्म शताब्दी के मौके पर आयोजित कार्यकम में एक लेक्चर के दौरान ये बात कही।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'वर्तमान महामारी के कारण उत्पन्न हुए मानवीय संकट से यह सबक मिलता है कि हाशिये पर पड़े लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक अधिकार सुनिश्चित करने की जरूरत है।'
उन्होंने कहा कि अधिकारों का प्रगतिशील दृष्टिकोण एक संवाद प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाना चाहिए, जिसमें सभी संवैधानिक हितधारक शामिल हों। जस्टिस चंद्रचूड़ ने संविधान में दिए गए गैर-भेदभाव और समानता के मूल्यों को समझने की जरूरत पर भी जोर दिया और कहा कि हाशिये पर पड़े लोगों के बारे में लगातार पता चल रहा है और समावेशी व्यवस्था बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन लोगों ने पिछले 70 सालों से इंतजार किया है और अब इन्हें और इंतजार करने के लिए नहीं कहा जा सकता है। जज ने कहा कि इस नई वैश्विक व्यवस्था में संवैधानिक अदालतों की संवाद में बड़ी भूमिका है, जो कानून में अपने मूल्यों को प्रसारित कर सकते हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा कि हमारा संविधान सभी नागरिकों के लिए निरंतर सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समानता प्रदान करने का एक उपकरण है। उन्होंने कहा कि यह एक बहुलवादी समाज के भीतर प्रतिस्पर्धी गुटों के बीच सामाजिक समन्वय के लिए एक मंच भी है। उन्होंने कहा, 'आर्थिक असमानता का असीमित घाव किसी संवैधानिक दुर्बलता से कम नहीं होगा।'