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Kerala High Court ने तलाक की अर्जी खारिज करते हुए बताया WIFE का मतलब, कहा - वाइफ को invited worry forever समझना गलत

Janjwar Desk
2 Sept 2022 11:47 AM IST
पर्सनल लॉ की आड़ में नाबालिग से संबंध बनाकर बच निकलना मुश्किल, ऐसा करना पॉक्सों के दायरे से बाहर नहीं : केरल हाईकोर्ट
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पर्सनल लॉ की आड़ में नाबालिग से संबंध बनाकर बच निकलना मुश्किल, ऐसा करना पॉक्सों के दायरे से बाहर नहीं : केरल हाईकोर्ट

Kerala News : केरल हाईकोर्ट ( Kerala High Court ) ने युवाओं में यूज एंड थ्रो की उपभोक्ता संस्कृति ( use and throw culture ) पर चोट देते हुए न केवल इसकी सख्त आलोचना की बल्कि एक व्यक्ति की की ओर से दायर तलाक ( divorce petiton) की अर्जी को भी खारिज कर दिया।

Kerala News : केरल हाईकोर्ट ( Kerala High Court ) ने यूज एंड थ्रो की उपभोक्ता संस्कृति ( Use and Throw Culture ) की सख्त आलोचना करते हुए कहा कि एक युवा दंपत्ति की ओर से दायर तलाक ( divorce petition ) की अर्जी को खारिज कर दिया। इतना ही नहीं, केरल हाईकोर्ट ने कहा कि देश की आने वाले नई पीढ़ी विवाह ( Marriage ) को एक बुराई के रूप में देखती है। युवा आनंद से जीवन जीने के इस सामाजिक बंधन से बचना चाहते हैं। यही वजह है कि समाज में लिव-इन रिलेशनशिप ( Live in relationship ) बढ़ रहे हैं। यह एक चिंता का विषय हैं।

केरल हाईकोर्ट ( Kerala High Court ) के जस्टिस न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुस्ताक और सोफी थॉमस की खंडपीठ ने कथित वैवाहिक क्रूरता और तलाक ( Divorce ) के लिए एक व्यक्ति की अपील को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आज कल की युवा पीढ़ी यह सोचती हैं कि विवाह एक बुराई ( invited worry forever ) है। जिम्मेदारियों से मुक्त जीवन का आनंद उठाने के लिए इससे बचा जा सकता है। हालांकि, फैमिली कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने के बाद पति ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।

तलाक से तबाह परिवार की चीख अंतरआत्मा को झकझोरने वाली

केरल हाईकोर्ट ( Kerala High Court ) ने कहा कि अशांत और तबाह हुए परिवारों की चीख-पुकार पूरे समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली है। न्यायमूर्ति सोफी थॉमस ने अपने लिखित आदेश में कहा है कि आपसी विवादों से ल़ड़ते-झगड़ते दंपत्ति, परित्यक्त बच्चे और हताश तलाकशुदा हमारी आबादी का अधिकांश हिस्सा बन जाएंगे तो वो दौर निस्संदेह हमारे सामाजिक जीवन की शांति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला साबित होगा। अगर यही सिलसिला जारी रहा तो समाज का विकास रुक जाएगा।

यूज एंड थ्रो की संस्कृति पर बोला हमला

अदालत ( Kerala High Court ) ने अपने आदेश में कहा कि केरल को भगवान के देश के रूप में जाना जाता है। ये पारिवारिक बंधन के लिए प्रसिद्ध था। हालांकि वर्तमान चलन, स्वार्थी कारणों या एक्सट्रामैरिटल रिलेशनशिप से, जो भी हो यह अपने बच्चों की परवाह किए बिना विवाह बंधन ( wedding ) को तोड़ता हुआ नजर आ रहा है।

नई पीढ़ी को शादी के बजाय लिव इन ज्यादा पसंद

केरल हाईकोर्ट ने कहा. नई पीढ़ी जिम्मेदारियों से मुक्त रहना चाहती है। वे वाइफ ( Wife ) को शब्द को वरी इनवाइटेड फारएवर ( worry invited forever ) यानि हमेशा के लिए चिंता के रूप में समझते हैं। जबकि पहले ये wise investment forever यानि हमेशा के लिए समझदारी का निवेश था। यही वजह है कि आज के युवा शादी ( marriage ) करने के बजाय लिव इन रिलेशनशिप ( live in relationship ) में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। इसमें उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं उठानी पड़ती और जब चाहें वे इस रिश्ते से मुक्त हो सकते हैं।

13 साल पहले हुई थी शादी, पति को पत्नी पर शक

बता दें कि केरल हाईकोर्ट ( Keral High Court ) में एक दंपती ने तलाक की अर्जी दाखिल की थी। 2006 में उनकी मुलाकात दिल्ली में हुई थी। इसके बाद 2009 में दोनों ने शादी कर ली। उनके तीन बच्चे हैं। पति ने कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। पति ने अपनी अर्जी में कहा कि 2017 के बाद से पत्नी का व्यवहार बदलने लगा। उसे पत्नी के किसी अन्य शख्स के साथ संबंध होने का शक है। पति ने पहले अलाप्पुझा फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद पति ने हाईकोर्ट का रुख किया लेकिन वहां भी उसकी अर्जी ठुकरा दी गई।

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