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Lohardaga News : पानी के लिए तरस रहे लोहरदगा के गांव और शहर, 70 हजार से ज्यादा की आबादी प्रभावित

Janjwar Desk
25 March 2022 2:18 PM GMT
Lohardaga News : पानी के लिए तरस रहे लोहरदगा के गांव और शहर, 70 हजार से ज्यादा की आबादी प्रभावित
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Lohardaga News : पानी के लिए तरस रहे लोहरदगा के गांव और शहर, 70 हजार से ज्यादा की आबादी प्रभावित

Lohardaga News : सोलर जलापूर्ति योजना से चिपो गांव के लगभग 80 परिवार पानी पीते हैं, परंतु जलापूर्ति खराब रहने ये कारण विगत छह माह ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.....

विशद कुमार की रिपोर्ट

Lohardaga News : झारखंड (Jharkhand) का लोहरदगा जिला अंतर्गत कैरो प्रखंड के चिपो गांव (Chipo Village) में ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से निर्माण किए गए मुख्यमंत्री जन-जल जलापूर्ति योजना (Mukhyamantri Jan Jal Jalapurti Yojana) विगत छह माह से खराब है, जिसके कारण लोगों को पेयजल के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। चिपो गांव में लगभग 80 मुंडा जनजातीय परिवार (Munda Tribal Families) हैं, जिन्हें पेयजल की समस्या (Water Crisis) से रोज व रोज परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

गांव में लगे मुख्यमंत्री जन-जल जलापूर्ति की खराबी के कारण ग्रामीणों को पानी के लिए रोजाना पसीना बहाना पड़ता है। चिपो गांव के ग्रामीण महिला-पुरुष प्रतिदिन एक किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं।

बता दें कि एक सोलर जलापूर्ति योजना की लागत चार लाख 75 हजार है, गांव में लगे दोनों जलापूर्ति योजना खराब है। ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से योजना का क्रियान्वयन किया गया था। प्रशासनिक लापरवाही के कारण ग्रामीण योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

चिपो गांव के ग्रामीण राजेश मुंडा का कहना है कि विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण गांव के लोग पेयजल के परेशान रहते हैं जिसके कारण लोगों को पानी के लिए प्रतिदिन भटकना पड़ता है। वहीं ग्रामीण अजय मुंडा का कहना है कि अभी तो जैसे-तैसे लोग पानी का जुगाड़कर ले रहे हैं परंतु गर्मी के दिनों में काफी परेशानी होगी।

सोलर जलापूर्ति योजना से चिपो गांव के लगभग 80 परिवार पानी पीते हैं, परंतु जलापूर्ति खराब रहने ये कारण विगत छह माह ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। चिपो गांव के ग्रामीण पेयजल के लिए प्रतिदिन भटकते रहते हैं। गांव से दूर एक किलोमीटर की दूरी तय कर लोग गढ़टोली से पेयजल का जुगाड़ करते हैं। गांव में सुगमता से लोगों को पीने का पानी मिले, इसके लिए सोलर जलमीनार की व्यवस्था की गई थी, लेकिन योजना खराब होने से ग्रामीणों को पेयजलापूर्ति विगत छह माह से बंद है। अगर समय रहते पेयजलापूर्ति चालू नहीं किया गया तो ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल, लोहरदगा के कार्यपालक अभियंता सुशील कुमार टुड्डू को इस समस्या की कोई जानकारी नहीं है, वे कहते हैं कि कैरो के चिपो गांव में सोलर पेयजलापूर्ति योजना खराब है, इस संबंध में जानकारी नहीं है। कनीय अभियंता से जांच कराकर इसपर कार्रवाई करते हुए जलापूर्ति प्रारंभ कराया जाएगा। जिससे लोगों को परेशानी नहीं उठानी पड़े।

वहीं लोहरदगा शहर की भी यही स्थिति है। बता दें कि लोहरदगा शहर की आबादी लगभग 70 हजार है। शहर में प्रतिदिन कम से कम दस लाख लीटर पानी की आवश्यकता लोगों को है। इसके विपरीत सप्ताह में दो से तीन दिन सिर्फ दो लाख 40 हजार गैलन पानी की आपूर्ति हो पा रही है। पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से लोहरदगा शहर की जलापूर्ति की समस्या का हल नहीं निकल सका है। शहर के लोग आज भी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं।

शहरी जलापूर्ति योजना को लेकर नगर परिषद की उदासीनता सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि नगर परिषद के जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी आम आदमी के प्रति उदासीन नजर आती है। हाल ऐसा है कि शहरी जलापूर्ति योजना के तहत शहर के ज्यादातर हिस्सों में पिछले 15 दिनों से जलापूर्ति सुनिश्चित नहीं हो सकी है। जलापूर्ति व्यवस्था को लेकर कोई ठोस पहल नहीं किए जाने के बजाय सिर्फ राजनीति ही होती हुई नजर आ रही है। शहर के लोग हैंडपंप, वैट, सार्वजनिक कूप आदि पर अपनी दैनिक जरूरत के पानी के लिए निर्भर होकर रह गए हैं। शहर के लोगों को जलापूर्ति समस्या का निराकरण नहीं मिल पा रहा है।

लोहरदगा नगर परिषद के पदाधिकारी तकनीकी खराबी के कारण जलापूर्ति योजना प्रभावित होने की दुहाई दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि शहर के बरवाटोली के समीप दुर्गा मंदिर निर्माण के दौरान पाइप लाइन को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा कोयल में इनफील्ट्रेशन वेल में मोटर खराब हो जा रहा है। विगत बरसात के समय पूरा पंपहाउस पानी में डूब गया था। जिसकी वजह से बार-बार मोटर पंप में खराबी आ रही है।

लोहरदगा शहरी जलापूर्ति योजना का संचालन पहले पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के माध्यम से किया जाता था। बाद में इसे नगर परिषद ने अपने अधीन ले लिया। अब अधिकारियों का तर्क है कि उन्हें विरासत में जर्जर जलापूर्ति प्लांट दिया गया। जिसकी वजह से वर्तमान समय में ऐसी हालत है। पेयजल और स्वच्छता प्रमंडल का पूर्ण रुप से सहयोग भी नहीं मिल पाता है। समस्या इतनी ज्यादा है कि उसका समाधान करने में ही ज्यादातर वक्त गुजर जाता है, फिर लोगों को पानी भला कहां से उपलब्ध कराएं?

लोहरदगा शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की आवश्यकता है। यह आंकड़ा नगर परिषद का है। इसके विपरीत शहर के बरवाटोली स्थित जल मीनार से एक लाख गैलन, नगर परिषद के पुराने कार्यालय परिसर स्थित जल मीनार से एक लाख गैलन और पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल परिसर स्थित जल मीनार से 40 हजार गैलन पानी की आपूर्ति होती है। स्थिति यह है कि अभी भी शहर के 70 हजार की आबादी में से ज्यादातर आबादी को पाइप लाइन से जोड़ा ही नहीं जा सका है। हर दिन शहर में कम से कम 10 लाख लीटर पानी की आवश्यकता है। इसके विपरीत 10 लाख लीटर तो दूर की बात, लोगों को हर दिन एक वक्त भी पानी नहीं मिलता रहा।

लोहरदगा नगर परिषद क्षेत्र में रहने वाले लोगों को जलापूर्ति समस्या का समाधान तत्काल नहीं मिल सकता है। दो नए टावर का निर्माण किया जाना है। इसमें अभी तीन से चार साल का वक्त लग सकता है। हालांकि शहर के बरवाटोली में नए टावर के निर्माण को लेकर प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इसके बाद नगर परिषद के पुराने कार्यालय परिसर में नए टावर का निर्माण किया जाएगा। हर एक टावर साढ़े तीन लाख गैलन का होगा। नए टावर का निर्माण होने से जलापूर्ति की समस्या से निदान मिलेगा। साथ ही पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा होने से भी लोगों को काफी हद तक समस्या का समाधान मिल पाएगा।

नगर परिषद, लोहरदगा के कार्यपालक पदाधिकारी देवेंद्र कुमार की माने तो लोहरदगा शहर में वर्तमान समय में 2600 जलापूर्ति कनेक्शन धारी हैं। जबकि 1500 अवैध कनेक्शनधारी भी हैं। शहरी जलापूर्ति योजना के क्रियान्वयन में हर साल लगभग 35 लाख रुपये का खर्च आता है। इसके विपरीत नगर परिषद को हर साल 12 लाख रुपये का राजस्व ही मिल पाता है। यह समझा जा सकता है कि नगर परिषद को जितना राजस्व मिलता है, उसका तीन गुना ज्यादा खर्च जलापूर्ति व्यवस्था को चलाने में आता है। यह अलग बात है कि इस खर्च के बावजूद लोगों को कितना पानी मिल पाता है।

वे कहते हैं कि लोहरदगा शहरी जलापूर्ति योजना में बिजली समस्या भी एक गंभीर मुद्दा है। जलापूर्ति टावर को भरने के लिए जितनी बिजली और जितना समय चाहिए, उतनी बिजली और उतनी समय तक बिजली नहीं मिल पाती है। जिसकी वजह से जलापूर्ति टावर भर नहीं पाता है और जलापूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाती है। कोयल नदी में इंटेक वेल के निर्माण कार्य को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है। लेयर पाइप लाइन और ढक्कन लगाना अभी भी बाकी है। इसमें भी अभी समय लगेगा। ऐसे में तत्काल समस्या का समाधान नहीं होगा। जलापूर्ति समस्या के समाधान को लेकर नगर परिषद संकल्पित है। तकनीकी कारणों की वजह से समस्या आ रही है। जल्द ही सभी समस्याओं को दूर किया जाएगा। इसके अलावा जलापूर्ति को लेकर फिर एक बार नए सिरे से निविदा आमंत्रित की गई है। प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जलापूर्ति समस्या का समाधान होने की उम्मीद है।

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