Maharashtra News : 'आवारा कुत्तों को खिलाना है तो अपने घर में खिलाएं, कहीं और नहीं', बॉम्बे हाई कोर्ट की पशु प्रेमियों को चेतावनी
बिना किसी सबूत के पति को 'शराबी' या 'औरतबाज' जैसे शब्दों से बदनाम करना क्रूरता - बॉम्बे हाई कोर्ट
Maharashtra News : बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने बीते गुरुवार को सभी पशु प्रेमियों को चेतावनी देते हुए पुलिस सहित सभी शहर के अधिकारीयों को आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई करने से नागरिक अधिकारियों को बाधित करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज करने के निर्देश दिए है। बता दें कि न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे की खंडपीठ अनिल पनसारे साथ ही यह भी आदेश दिया कि पशु कार्यकर्ताओं के अपने घरों को छोड़कर किसी भी स्थान पर आवारा कुत्तों को भोजन नहीं कराया जाएगा।
आदेश में कहा गया है कि 'इन कुत्तों को औपचारिक रूप से गोद लेने और नागपुर नगर निगम के साथ पंजीकृत करने के बाद ही इस तरह का भोजन और देखभाल किसी के द्वारा की जाएगी (एनएमसी) फीडरों के घरों से बाहर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर जुर्माना लगाया जाएगा।'
खतरनाक कुत्तों पर कार्रवाई में कोई प्रतिबंध नहीं
नागपुर पीठ ने स्पष्ट किया है कि एनएमसी के अधिकारियों पर किसी भी नियम या फैसले से खतरनाक कुत्तों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। अधिकारी नागरिकों की शिकायतों पर आवारा लोगों को पकड़ने और उन्हें मौके से हटाने के लिए स्वतंत्र हैं। वे 'डॉग कंट्रोल सेल' के संपर्क विवरण को प्रसारित करके एक जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू करेंगे।
हाई कोर्ट का पहला बड़ा फैसला
याचिकाकर्ता के अनुसार किसी भी हाई कोर्ट का यह पहला बड़ा फैसला है, उच्चतम न्यायालय 12 अक्टूबर को स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों के मुद्दे की सुनवाई के लिए उच्च न्यायालयों पर कोई रोक नहीं होगी।
2006 में दायर की गई थी याचिका
दरअसल इसके लिए धंतोली नागरिक मंडल ने याचिका दायर की थी, जिसके आवेदन पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश आया है। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता विजय तलवार ने 2006 में दायर की थी, जिसमें आवारा जानवर खास कर कुत्तों से बढ़ते खतरे को नियंत्रित करने के लिए निवेदन किया गया था।
पशु प्रेमियों ने कुत्ते पकड़ने पर जताई थी आपत्ति
बता दें कि याचिकाकर्ता विजय ने धंतोली और कांग्रेस नगर इलाकों में आवारा कुत्तों को लेकर शिकायत की थी, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए शायद ही कोई कदम उठाया गया। उन्होंने पूर्व नगरसेवक लखन येरावर का नाम लिया जिन्होंने इन कुत्तों को पकड़कर और उन्हें स्थानांतरित करके नागरिकों की लगातार मदद की थी। हालांकि, कार्यकर्ताओं और पशु प्रेमियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए आपत्ति जताई थी, जिसके बाद अभियान अचानक बंद हो गया था।