मेघालय न्यूज : शिलांग का दलित सिख समुदाय जबरन बेदखली के खिलाफ करेगा संघर्ष, दी इस बात की चेतावनी
शिलांग का दलित सिख समुदाय जबरन बेदखली के खिलाफ करेगा संघर्ष।
जनज्वार डेस्क। मेघालय सरकार द्वारा शिलांग के थेम लेव मावलोंग इलाके में विवादित पंजाबी लेन पर कानूनी कब्जा करने के तीन दिन बाद स्थानीय दलित सिख समुदाय ने 1 नवंबर को इसका जवाब दिया। सिख समुदाय ने मेघालय सरकार को चेताते हुए कहा कि वे जबरन बेदखल होने के बजाय अपने घरों में मरना पसंद करेंगे।
हरिजन पंचायत समिति (एचपीसी) के अध्यक्ष और शिलांग में सिख समुदाय के सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले गुरजीत सिंह ने सरकार के इस कदम को "अवैध" करार दिया है। उन्होंने और कहा कि वे "सामाजिक, कानूनी, धार्मिक और राजनीतिक रूप से" राज्य सरकार को चुनौती देंगे।
.गुरजीत सिंह ने कहा है कि सभी संबंधित सदस्यों को पता होना चाहिए कि यह हमारे अस्तित्व और आवास की लड़ाई है और हम सम्मान, गरिमा और वैध अधिकारों की इस लड़ाई को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाले कैबिनेट के स्थानांतरण के फैसले के बाद शुक्रवार को शहरी मामलों के विभाग ने समुदाय के विरोध के बीच कागज पर जमीन पर कब्जा कर लिया।
प्रदेश सरकार में संयुक्त सचिव जी खरमावफलांग की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि माइलियम के सिएम, शिलांग नगर बोर्ड और मेघालय सरकार के बीच त्रिपक्षीय पट्टे पर हस्ताक्षर के बाद 12,444.13 वर्ग मीटर की भूमि शहरी मामलों के विभाग को सौंप दिया गया है।
सभी के हितों का रखा जाएगा ख्याल
वहीं मुख्यमंत्री संगमा ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि इस मुद्दे को चरणबद्ध तरीके से 'सौहार्दपूर्ण' तरीके से सुलझाया जाएगा।सिख समुदाय के लोग भावनात्मक रूप से नाराज हैं और बयान दे रहे हैं। हम उनसे सौहार्दपूर्ण ढंग से बात करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यह आसान नहीं है लेकिन हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं और हम लोगों से बात करेंगे और सभी के हितों का ख्याल रखेंगे।
दूसरी तरफ लगभग 200 वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे सिखों ने त्रिपक्षीय समझौते को "बिल्कुल अवैध", "दुर्भावनापूर्ण" और "संवैधानिक और मौलिक अधिकारों" का "स्पष्ट उल्लंघन" करार दिया है। एचपीसी के बयान में कहा गया है कि सरकार के आश्वासन से मुद्दा हल नहीं होगा।
दशकों पुराना है विवाद
दरअसल, शिलांग में यह भूमि विवाद दशकों से चल रहा है। मेघालय में सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के लोगों ने सिख समुदाय के लोगों को किसी अन्य क्षेत्र में स्थानांतरित करने की मांग की है। प्राथमिक तर्क यह है कि एक प्रमुख वाणिज्यिक क्षेत्र में आवासीय इलाका नहीं होना चाहिए। 1996 में और बाद में मई 2018 में इसने हिंसक रूप ले लिया, जिससे स्थानीय खासी और सिखों के बीच झड़पें हुईं थीं। हिंसक घटना के बाद एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था।