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Mohammad Zubair News : जिस ट्विटर यूजर की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने जुबैर को किया गिरफ्तार, वो निकला रियल एस्टेट बिजनेसमैन

Janjwar Desk
31 Aug 2022 4:59 AM GMT
ऑल्टन्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को अभी तक नहीं मिले लैपटॉप और गैजेट्स, वजह पूछने पर पुलिस से कोर्ट को मिले ये जवाब
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ऑल्टन्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को अभी तक नहीं मिले लैपटॉप और गैजेट्स, वजह पूछने पर पुलिस से कोर्ट को मिले ये जवाब

Mohammad Zubair News : जुबैर ( Mohammad Zubair ) की गिरफ्तारी के मामले में दिल्ली पुलिस (Delhi Police )ने ट्विटर यूजर शिकायतकर्ता को ढूंढ निकाला है। ट्विटर यूजर ने अपने बयान में बताया है कि उसकी भावनाएं जुबैर की ट्विट से आहत हुई हैं।

Mohammad Zubair News : जिस ट्विटर यूजर की पोस्ट के आधार पर जून 2022 में दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में ऑल्टन्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ( Altnews co-founder Mohammad Zubair ) को गिरफ्तार किया था वह व्यक्ति रियल एस्टेट व्यवसायी है। वह दिल्ली के द्वारका में रहता है और मूलतः राजस्थान के अजमेर का रहने वाला है। इस मामले में बड़ा खुलासा यह हुआ है कि दिल्ली पुलिस ने ट्विटर यूजर को ढूंढ निकाला और संपर्क करने के बाद उसने अपना बयान भी दर्ज करा दिया है। शिकायतकर्ता ने अपने बयान में कहा है कि उसकी भावनाएं जुबैर की ट्विट से आहत हुई हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक @balajikijaiin ट्विटर हैंडल यूजर ने हनुमान भक्त ( Hanuman Bhakt ) नाम से जुबैर ( Mohammad Zubair ) के खिलाफ अपना ट्वीट पोस्ट किया था। अब उसने दिल्ली पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराया है। सूत्रों का कहना है कि उसके आईपी पते के बारे में ट्विटर से प्रतिक्रिया मिलने के बाद पुलिस ने उसका पता लगा लिया है। इस मामले ने उस समय तूल पकड़ लिया था जब शिकायतकर्ता ने जिस ट्विटर हैंडल से दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए जुबैर की शिकायत की थी वो ट्विटर पर सस्पेंडेड दिखाई देने लगा। साथ ही यह जानकारी भी है कि ट्विटर नियमों का उल्लंघन करने के कारण इसे संस्पेंड कर दिया गया है।

हनुमान भक्त ने जुबैर पर लगाए थे ये आरोप

जून 2022 में द्वारका निवासी रियल एस्टेट व्यवसायी ट्विटर यूजर ने दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए 2018 में पोस्ट किए गए एक ट्वीट के लिए मोहम्मद जुबैर( Mohammad Zubair ) के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। ट्विटर यूजर ने लिखा था कि जुबैर के पोस्ट से मेरी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस इकाई इसके आधार पर मामला दर्ज किया और जुबैर को 27 जून को गिरफ्तार कर लिया। इस बीच रियल एस्टेट बिजनेसमैन के बारे में पता चलने के बाद दिल्ली पुलिस ने उसे एक नोटिस भेजा जिसमें उसे अपना बयान दर्ज करने के लिए कहा।

अब इस मामले में जानकारी यह है कि रियल एस्टेट व्यवसायी ने द्वारका में आईएफएसओ के कार्यालय में पहुंचकर अपना बयान दर्ज करा दिया है। दिल्ली पुलिस ने शिकायतकर्ता ने बताया कि जुबैर के ट्विट की वजह से मेरी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक वह कुछ साल पहले द्वारका आया था और अब अपने परिवार के साथ यहीं पर रहता है। जानकारी के मुताबिक उन्होंने 29 जून को ट्विटर अकाउंट को डिलिट कर दिया था और 30 जून को फिर से बहाल कर दिया था।

जुबैर के वकील ने इस बात का किया था दावा

इससे पहले 28 जून को दिल्ली की एक अदालत में जुबैर की रिमांड सुनवाई के दौरान जुबैर के वकील वृंदा ग्रोवर ने पुलिस के आवेदन का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि विचाराधीन ट्विटर अकाउंट शरारत पैदा करने के लिए बनाया गया एक गुमनाम हैंडल था। उसने तर्क दिया था कि खाता उसके मुवक्किल को लक्षित करने के लिए बनाया गया था और उपयोगकर्ता की पुलिस द्वारा जांच की जानी थी। इस तर्क का खंडन करते हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक ने कहा था कि यह एक गुमनाम ट्विटर हैंडल नहीं था। वह सिर्फ एक मुखबिर है। वह एक गुमनाम शिकायतकर्ता नहीं है। उसका विवरण यहां है। विवरण के बिना किसी को भी ट्विटर अकाउंट नहीं मिल सकता है।

बाद में 29 जून को ट्विटर इंडिया को सीआरपीसी की धारा 91 के तहत नोटिस भेजा गया जिसमें जांच अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इस बात की जानकारी दी। पुलिस ने ट्विटर से ट्विटर हैंडल /इंसंरपापरंपपद का आईपी लॉग विवरण, खाते का पंजीकरण विवरण, मोबाइल नंबर, कनेक्टेड ईमेल आईडी और उपयोगकर्ता द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरण प्रदान करने के लिए कहा था।

इस मामले में जुबैर को 20 जुलाई को मिली थी जमानत

इस मामले में 20 जुलाई को ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर ( Altnews co-founder Mohammad Zubair ) को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ यूपी सरकार द्वारा छह अलग-अलग दर्ज मामलों की जांच के लिए गठित एसआईटी को भी भंग कर दिया था। साथ ही ये भी कहा कि जुबैर को लगातार हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं था।

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