NITI Aayog की ही रिपोर्ट ने खोल दी राज्यों में हेल्थ सेक्टर की पोल, बिहार में एक लाख की आबादी पर मात्र 6 बेड उपलब्ध
Niti Aayog जनज्वार। देश के राज्यों में बैठी सरकारें भले ही लाख दावे करे कि उनके सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था अन्य राज्यों से बेहतर है, लेकिन कोरोना महामारी (Covid 19) में लचर स्वास्थ्य सुविधाओं का परिणाम कोरोनाकाल जान गंवा चुके उन लाखों लोगों को भुगतना पड़ा जिन्होंने अच्छी स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में दम तोड़ दिया।
कोरोना से जान गंवा चुके लोगों के परिजनों ने उस काल के दर्द को बेहद करीब से महसूस किया है। हजारों मरीजों ने बेड और डाक्टर्स के अभाव में समय से पहले ही दम तोड़ दिया। बावजूद इसके सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहानी बताते हैं। किसी भी राज्य की सरकार ने कोरोना के कारण मरे लोगों के सही आंकड़ों को बताने की हिम्मत जुटाई। लेकिन सरकार के तमाम दावों की पोल नीति आयोग (NITI Aayog) की ही ताजा रिपोर्ट (Report) ने खोल दी है।
दरअसल गुरुवार 30 सितंबर को नीति आयोग (Niti Aayog) द्वारा भारत में जिला अस्पतालों के प्रदर्शन मूल्यांकन की रिपोर्ट जारी की गयी है। इस रिपोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जिला अस्पतालों (Distt. Hospitals) के हालात पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रति एक लाख की आबादी पर जिला अस्पतालों में औसतन 24 बेड की उपलब्धता है। बिहार (Bihar) ने इस रिपोर्ट में नीचे से टॉप किया है जहां के जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख की आबादी पर केवल 6 बेड उपलब्ध हैं। इन आंकड़ों में पड़ोसी राज्य झारखंड बिहार से थोड़ा बेहतर है जहां प्रति एक लाख की आबादी पर 9 बेड की सुविधा है। पुडुचेरी ऐसा इकलौता राज्य है जहां पर एक लाख की आबादी पर 222 बेड की उपलब्धता है।
इस रिपोर्ट को लेकर नीति आयोग द्वारा देशभर के 707 जिला अस्पतालों का कुल 10 मानकों पर अध्ययन किया गया। यह अध्ययन में तीन तरह के जिला अस्पताल, जिसमें 200 बेड से कम की सुविधा वाले छोटे अस्पताल, 201-300 बेड वाले मध्यम आकार के अस्पताल और 300 से ज्यादा बेड से युक्त बड़े अस्पतालों को शामिल किया गया। आपको बता दें कि देश के कुल जिला अस्पतालों में 62 फीसदी छोटे अस्पताल हैं, यानि उन अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड की संख्या 200 से भी कम है।
इन राज्यों में निचले पायदान पर स्वास्थ्य सुविधा
नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट बताती है कि देश में ऐसे 15 राज्य हैं जहां पर बेड (Bed) की संख्या तय मानक 22 से भी कम है। इसी तरह उपलब्ध बेड का आंकड़ा बिहार में 6, झारखंड में 9, तेलंगाना में 10, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में 13, महाराष्ट्र में 14, जम्मू और कश्मीर में 17, असम, आंध्र प्रदेश और पंजाब में 18, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 19 और छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के जिला अस्पतालों में मरीजों के बिस्तर की संख्या मात्र 20 है।
बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था वाले राज्यों की लिस्ट
नीति आयोग द्वारा जिला अस्पतालों को लेकर किए गए अध्ययन में पता चला कि अस्पतालों के लिए तय मानक में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों की सूची में पुडुचेरी सबसे ऊपर है। रिपोर्ट के अनुसार औसत से भी बेहतर करने बाले राज्य में पुडुचेरी-222, अंडमान निकोबार द्वीप समूह मे- 200 बेड, लद्दाख-150, अरुणाचल प्रदेश और दमन और दीव में 102, लक्षद्वीप मे-78, सिक्किम-70, मिजोरम-63, दिल्ली- 59, चंडीगढ़ में 57, मेघालय में 52, नागालैंड- 49, हिमाचल प्रदेश में 46, कर्नाटक में 33, गोवा में 32, त्रिपुरा में 30, मणिपुर और उत्तराखंड में 24-24, केरल, ओडिशा, और तमिलनाडु में 22 बेड प्रति एक लाख की आबादी पर उपलब्ध हैं।
डॉक्टरों के मामले में उत्तराखंड की स्थिति निराशाजनक
नीति आयोग के इस रिपोर्ट के अनुसार आईपीएचएस 2012 मानकों के आधार पर डॉक्टरों की उपलब्धता का अनुपात, औसत तय मानक 1 के आधार पर उत्तराखंड और अंडमान निकोबार में सबसे कम है। मानक 1 के तहत उत्तराखंड और अंडमान निकोबार में डॉक्टर की उपलब्धता औसत 0.48 है। इसके बाद गुजरात में 0.53, हिमाचल प्रदेश में 0.56 और झारखंड में 0.61 है। इस मामले में राजधानी दिल्ली सबसे बेहतर स्थिति में हैं। दिल्ली में डॉक्टरों के साथ नर्सों की उपलब्धता भी अच्छी है। दिल्ली में यह आसत से बेहतर 2.50, हरियाणा में 1.42, गोवा में 1.40 है।वहीं, नर्सों की उपलब्धता मामले में झारखंड निराश करता है।
यह खुलासा नीति आयोग की रिपोर्ट ऑन बेस्ट प्रैक्टिसेस इन द परफॉर्मेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में हुआ है। नीति आयोग द्वारा जारी ये आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर अभी कितना काम करने की जरूरत है। गुरुवार के जारी इस रिपोर्ट के तहत भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (IPHS) 2012 के दिशानिर्देश के आधार पर राज्य के जिला अस्पतालों में प्रति 1 लाख आबादी (2001 की जनगणना के आधार पर) पर न्यूनतम 22 बेड होने चाहिए। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार (WHO) के अनुसार प्रति एक हजार आबादी पर कम से कम 5 बेड की जरूरी है।