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राष्ट्रीय

ऑक्सीज़न की कमी से मौत को आंकड़ा छिपाने में भाजपा ही नहीं गैर भाजपा शासित राज्य भी गुनहगार

Janjwar Desk
23 July 2021 8:33 AM GMT
ऑक्सीज़न की कमी से मौत को आंकड़ा छिपाने में भाजपा ही नहीं गैर भाजपा शासित राज्य भी गुनहगार
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केरल में बढ़ते कोरोना केसों और मौतों का आंकड़ा बढ़ा रहा है चिंता (photo : social media)

सरकार के बयान के बाद देशभर में बवाल मच गया। विपक्ष ने तो सरकार को कठघरे में खड़ा करने की मांग कर दी। बवाल मचना लाजमी भी है, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा था.....
दिनकर कुमार की रिपोर्ट
जनजवार। अर्धसत्य और फेक न्यूज के वर्तमान समय में मोदी सरकार ने लोकतंत्र को मज़ाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लेकिन विडम्बना की बात यह भी है कि जिन राज्यों में गैर भाजपा दलों की सरकारें हैं वे भी जुल्म और दमन के उसी हैंडबुक का प्रयोग कर रही हैं जिनका प्रयोग करने के लिए मोदी सरकार कुख्यात हो चुकी है। महामारी की दूसरी लहर के समय ऑक्सीज़न की कमी से होने वाली मौतों की सच्चाई को न स्वीकार कर मोदी सरकार ने तो हास्यास्पद आचरण किया ही है, गैर भाजपा दलों द्वारा शासित राज्यों ने तथ्य को पेश न कर उससे भी अधिक अक्षम्य अमानवीय आचरण किया है।

मोदी सरकार ने 20 जुलाई को राज्यसभा में बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में किसी की भी मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी नहीं थी। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्सीजन की कमी से देश में किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। यानी भाजपा शासित राज्यों के साथ गैर भाजपा दलों द्वारा शासित राज्यों ने भी इस तरह की मौतों की रिपोर्ट केंद्र को नहीं सौंपी। कायदे से राज्यों के आंकड़े के आधार पर ही केंद्र किसी मसले पर बयान देता है।

सरकार के बयान के बाद देशभर में बवाल मच गया। विपक्ष ने तो सरकार को कठघरे में खड़ा करने की मांग कर दी। बवाल मचना लाजमी भी है, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा था। रोज अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की खबरें आ रही थीं। ऐसे हॉस्पिटलों में भी ऑक्सीजन की कमी हुई, जहां सैकड़ों की संख्या में कोरोना मरीज भर्ती थे। दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। सुनवाई के दौरान ही कोर्ट को एक हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत की जानकारी भी दी गई। लेकिन दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ऐसी मौतों की रिपोर्ट केंद्र को देना जरूरी नहीं समझा।

कोरोना की दूसरी लहर के बीच दिल्ली में एक मई को ऑक्सीजन की किल्लत पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस बीच राजधानी के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने की वजह से 12 कोरोना मरीजों को जान गंवानी पड़ी। सुनवाई के दौरान अस्पताल की तरफ से बताया गया कि एक घंटे से भी ज्यादा समय तक ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं थी, इस वजह से 8 कोरोना मरीजों की मौत हो गई।

24 अप्रैल को जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में ऑक्सीजन संकट के चलते 20 लोगों की जान चली गई। अस्पताल के डॉ. डीके बलुजा ने यह जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि अभी सरकार की तरफ से जो ऑक्सीजन टैंक मुहैया कराया गया है। यह भी अगले दो से ढाई घंटे तक ही चलेगा। हमें और ऑक्सीजन की जरूरत है।

इससे एक दिन पहले गंगाराम हॉस्पिटल में 25 मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत हो गई थी। हालांकि, बाद में अस्पताल प्रशासन ने सफाई देते हुए कहा था कि इन मरीजों की हालत काफी गंभीर थी। ऑक्सीजन की कमी के चलते इनकी मौतें नहीं हुई हैं।

कोरोना के बिगड़ते हालात के बीच ऑक्सीजन की कमी से सबसे ज्यादा नुकसान मध्यप्रदेश को उठाना पड़ा। यहां अलग-अलग दिन शहडोल में 12, भोपाल में 10, जबलपुर में 5 और ग्वालियर में 3 लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी से ही होने की खबर आई। हालांकि, बाद में शासन-प्रशासन ने मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी से होने से इनकार कर दिया।

18 अप्रैल को शहडोल के मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई का प्रेशर कम होने से 12 कोविड मरीजों की मौत हो गई थी। घटना रात 12 बजे हुई। ऑक्सीजन कम होते ही मरीज तड़पने लगे। इसके बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। कई मरीजों को ऑक्सीजन मास्क हाथ से दबाना पड़ा, मरीजों को लग रहा था कि शायद सही तरह से दबाने से ऑक्सीजन आ जाए। मामले में पहले मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मिलिंद शिरालकर ने 6 मौतों की पुष्टि की। इसके थोड़ी देर बाद ही अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा ने 12 मौतें होने की जानकारी दी।

अगले दिन यानी 19 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी से भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में सुबह 5 से 7 बजे के बीच 10 कोरोना मरीजों की मौत हो गई। ये सभी डी ब्लॉक के कोविड वार्ड में भर्ती थे। अलसुबह अचानक ऑक्सीजन सप्लाई का प्रेशर कम हुआ और आईसीयू में भर्ती मरीजों को घबराहट होने लगी। इसे देख वार्ड का नर्सिंग स्टाफ चीखने-चिल्लाने लगा। अफरा-तफरी मच गई। कुछ नर्सों ने अपने परिचित मरीजों के परिजन को सूचना दी तो वे दौड़ते-भागते कोविड डी-ब्लॉक के चैनल गेट पर आ गए। यहां ताला लगा था। वे चिल्लाए कि ऑक्सीजन खत्म हो गई है, हमें अंदर जाने दो। हालांकि, हॉस्पिटल प्रबंधन ऐसी किसी भी घटना से इनकार करता रहा।

इससे पहले 15 अप्रैल को जबलपुर में लिक्विड प्लांट में आई खराबी के कारण ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने से गुरुवार सुबह 5 मरीजों की मौत हो गई। सभी वेंटिलेटर पर थे। वहीं 4 की हालत गंभीर है। यहां के मेडिसिटी अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने से वेंटिलेटर पर 82 वर्षीय महिला की तड़प-तड़प कर जान चली गई। वहीं 4 की मौत सुख-सागर मेडिकल कॉलेज में हुई।

वहीं, 27 अप्रैल को ग्वालियर के सबसे बड़े हॉस्पिटल कमला राजा अस्पताल में मंगलवार को ऑक्सीजन खत्म हो गई। बताया गया कि कुछ ही देर में 3 मरीजों की तड़प-तड़पकर मौत हो गई। हालांकि कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने कम से कम 10 मौतों का दावा किया था। इससे कुछ दिन पहले भी यहां ऑक्सीजन खत्म होने से तीन मरीजों की मौत हो गई थी।

आंध्र प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण कम से कम 30 लोगों की मौतें हुईं। तेलुगू देशम पार्टी के प्रवक्ता के. पट्टाभिराम ने यह दावा किया। उन्होंने दावा किया कि तिरुपति के रुइया अस्पताल में एक ही घटना में 30 से अधिक मौतें हुईं। विजयनगरम, कुरनूल और कई इलाकों में ऑक्सीजन की कमी से कोरोना संक्रमितों की मौत हुई।

कर्नाटक के चामराजनगर जिला अस्पताल में 24 घंटे के भीतर 24 मरीजों की मौत हो गई। बताया गया कि मौतें ऑक्सीजन की कमी और दूसरी वजहों से हुई हैं, लेकिन जिला प्रशासन ने ऑक्सीजन की कमी से इनकार किया।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार संसद के जरिए देश को गुमराह कर रही है। हर किसी ने देखा है कि कैसे दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की जान गई है। लेकिन विरोध जता रही कांग्रेस ने भी इस सच को छिपा लिया है कि जिन राज्यों में उसकी सरकार है वे भी ऐसी मौतों की रिपोर्ट सौंपने में विफल रही। अगर भाजपा मौतों को छिपा रही है तो कांग्रेस सबूत के साथ श्वेतपत्र क्यों नहीं प्रकाशित करती?

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सत्येंद्र जैन ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मीडिया हर दिन दिखा रहा था कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से अस्पतालों में हाहाकार है, लेकिन केंद्र कुछ और ही कह रहा है। हमने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई थी, लेकिन एलजी ने उसे मंजूरी नहीं दी। केंद्र सरकार अब इस तरह का बयान देकर जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है।

मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने दावा किया कि केंद्र सरकार सही आंकड़े पेश कर रही है। केंद्र ने जो आंकड़ा दिया है, वह राज्यों के आधार पर दिया है।

बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का दावा है कि बिहार में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग 14 गुना तक बढ़ी थी, लेकिन किसी भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से कोई मौत नहीं हुई।

विपक्ष के आरोपों का बुधवार को भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से सदन में जो उत्तर दिया गया है, उनमें तीन बातें स्पष्ट कर दी गई हैं कि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है। केंद्र ने सिर्फ राज्यों के भेजे डेटा को संग्रहित किया है और डेटा के मुताबिक किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी से मौत होने की बात नहीं की है।

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