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Prisioners In Indian Jails : देश की जेलों में 76 प्रतिशत कैदी अंडरट्रायल, दलित-आदिवासी 73% तो मुस्लिम 20%

Janjwar Desk
4 May 2022 6:42 AM GMT
Prisioners In Indian Jails : देश की जेलों में 76 प्रतिशत कैदी अंडरट्रायल, दलित-आदिवासी 73 प्रतिशत तो मुस्लिम 20 प्रतिशत
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Prisioners In Indian Jails : देश की जेलों में 76 प्रतिशत कैदी अंडरट्रायल, दलित-आदिवासी 73 प्रतिशत तो मुस्लिम 20 प्रतिशत

Prisioners In Indian Jails : एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक सभी विचाराधीन कैदियों में से लगभग तीस प्रतिशत एक वर्ष से अधिक समय तक जेल में रहते हैं जबकि 65 प्रतिशत तीन महीने से पहले रिहा नहीं होते हैं....

Prisioners In Indian Jails : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को देशभर में विचाराधीन कैदियों (Undertrial Prisioners) का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि इनमें से ज्यादातर गरीब या सामान्य परिवारों से हैं। उन्होंने राज्यों से अपील की थी कि जहां भी संभव हो, उन्हें जमानत पर रिहा कर दें। देशभर की जेलों में अभी कुल 4,88,511 कैदी बंद हैं और इनमें से भी 371848 कैदी विचाराधीन हैं। इनमें से 73 प्रतिशत दलित (Dalits), आदिवासी (Adiwasi) या ओबीसी (OBC) समुदाय से हैं जबकि 20 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय से हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक देश की सभी जेलों में बंद कैदियों में से 76 प्रतिशत विचाराधीन हैं जिनमें से लगभग 68 प्रतिशत या तो निरक्षर हैं या स्कूल छोड़ चुके हैं। दिल्ली और जम्मू-कश्मीर (Delhi And Jammu-Kashmir) की जेलों में विचाराधीन कैदियों का उच्चतम अनुपात 91 प्रतिशत पाया गया। इसकेबाद बिहार और पंजाब में 85 प्रतिशत जबकि ओडिसा के 83 प्रतिशत हैं। वहीं मुसलमान भारत की आबादी का 14 प्रतिशत हिस्सा हैं और वे कुल विचाराधीन कैदियों के लगभग 20 प्रतिश और सभी दोषियों के करीब 17 प्रतिशत हिस्सा हैं।

वहीं दलित भारत की आबादी का कुल 16.6 प्रतिशत हिस्सा हैं। ये सभी विचारधीन कैदियों का लगभग 21 प्रतिशत और सभी दोषियों में करीब 21 प्रतिशत हिस्सा हैं। आदिवासी जो कि भार की कुल आबादी का करीब 8.6 प्रतिशत हैं। सभी विचाराधीन कैदियों में से लगभग 10 प्रतिशत और सभी दोषियों में से लगभग 14 प्रतिशत आदिवासी हैं। भारत में ओबीसी समुदाय की कुल आबादी 41 प्रतिशत है। विचाराधीन कैदियों में करीब 41 प्रतिशत और दोषियों में लगभग 37 प्रतिशत लोग ओबीसी समाज से आते हैं।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक सभी विचाराधीन कैदियों में से लगभग तीस प्रतिशत एक वर्ष से अधिक समय तक जेल में रहते हैं जबकि 65 प्रतिशत तीन महीने से पहले रिहा नहीं होते हैं।

सभी विचाराधीन कैदियों में से लगभग पचास प्रतिशत मानव शरीर के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया गया है जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, दहेज हत्या, अपहरण और हमले जैसे अपराध शामिल हैं। लगभग बीस प्रतिशत पर संपत्ति के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया गया है जिसमें चोरी और घर में तोड़फोड़ जैसे अपराध शामिल हैं।

सभी विचाराधीन कैदियों में से 2,83,556 पर आईपीसी के तहत अपराध का आरोप लगाया गया था जबकि बाकी पर विशेष और स्थानीय कानूनों के तहत आरोप लगाए गए हैं जिसमें शस्त्र अधिनियम, नारकोटिक्स ड्रग और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम और गैरकानून गतिविधियां शामिल हैं।

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