Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Rajasthan News: बेटा हो या बेटी, अनुकंपा नियुक्ति में बराबर हक, हाईकोर्ट ने कहा- अब सोच बदलने का समय आ गया

Janjwar Desk
20 Jan 2022 3:32 PM IST
Rajasthan News: बेटा हो या बेटी, अनुकंपा नियुक्ति में बराबर हक, हाईकोर्ट ने कहा- अब सोच बदलने का समय आ गया
x

आश्रित कोटे से नौकरी के लिए बेटा और बेटी दोनों हकदार- राजस्थान HC

Rajasthan News: पिता की मौत के बाद शादीशुदा बेटी ने अपने पिता के स्थान पर मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए आवेदन किया। मगर जोधपुर डिस्कॉम ने उसका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शादीशुदा बेटी को नौकरी नहीं दी जा सकती है। इसे लेकर शोभा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की...

Rajasthan News: पिता की मौत के बाद शादीशुदा या कुंवारी बेटी को नौकरी देने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट जज पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने कहा कि अब सोच बदलने का समय आ गया है कि शादीशुदा बेटी अपने पिता के बजाय पति के घर की जिम्मेदारी है। शादीशुदा बेटे और बेटी में अब और भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इसलिए पिता के की मृत्यु के बाद आश्रित मान नौकरी देने में भी बेटा-बेटी के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

बेटी ने पिता की नौकरी के लिए आवेदन किया

दरअसल, जैसलमेर निवासी शोभादेवी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा कि उसके पिता गणपत सिंह जोधपुर डिस्कॉम में लाइनमैन के पद पर कार्यरत थे। 5 नवम्बर 2016 को गणपत सिंह का निधन हो गया। उनके परिवार में मां शांतिदेवी और पुत्री शोभा ही थे। शांतिदेवी की तबीयत अब ठीक नहीं रहती थी। ऐसे में वह पति के स्थान पर नौकरी करने में असमर्थ थी। जिसके बाद शादीशुदा बेटी शोभा ने अपने पिता के स्थान पर मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए आवेदन किया। मगर जोधपुर डिस्कॉम ने उसका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शादीशुदा बेटी को नौकरी नहीं दी जा सकती है। इसे लेकर शोभा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

हाईकोर्ट ने कही यह बात

हाईकोर्ट जज पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट का यह मानना है कि शादीशुदा या अविवाहित बेटे-बेटियों में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। यह संविधान के आर्टिकल 14,15 व 16 का उल्लंघन है। जोधपुर डिस्कॉम की ओर से तर्क दिया गया कि नियमानुसार शादीशुदा बेटी मृतक आश्रित नहीं मानी जा सकती है। ऐसे में उसे नौकरी पर नहीं रखा जा सकता। मामले की सुनवाई करते हुए जज भाटी ने कहा कि बूढ़े माता-पिता की जिम्मेदारी बेटे व बेटी की एक समान ही होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वे शादीशुदा है या नहीं। ऐसे में पिता के स्थान पर मृतक आश्रित मान नौकरी देने में भी भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

3 महीने में अनुकंपा नियुक्ति के आदेश

शोभा देवी की तरफ से कहा गया कि राज्य सरकार के सेवा नियमों के तहत यदि किसी मृतक आश्रित के परिवार में सिर्फ बेटी ही नौकरी के योग्य हो तो उसे नियुक्ति दी जा सकती है। ऐसे में इस मामले में भी यही नियम लागू होता है। जज भाटी ने शोभा से कहा कि वे नए सिरे से आवेदन पेश करें। वहीं जोधपुर डिस्कॉम को आदेश दिया कि शोभा देवी को अपने पिता के स्थान पर तीन महीने में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए।

Next Story

विविध