Rajyasabha Elections 2022 : सौदेबाजी की साजिश में फंसे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
Rajyasabha Elections 2022 : सौदेबाजी की साजिश में फंसे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
Rajyasabha Elections 2022 : समाजावादी पार्टी ने कपिल सिब्बल के बाद अब राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को राज्यसभा (Rajyasabha Elections 2022) भेजने की घोषणा कर दी है। इस बात की जानकारी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर दी है उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि, "जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल से राज्यसभा के संयुक्त प्रत्याशी होंगे।
आपको बता दें कि कपिल सिब्बल और जावेद अली खान ने बुधवार को राज्यसभा चुनाव (Rajyasabha Elections 2022) के लिए नामांकन दाखिल किया था। साल 2014 से 2020 तक सपा के राज्यसभा सदस्य रहे 59 वर्षीय खान ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं रामगोपाल यादव, अंबिका चौधरी और अन्य की मौजूदगी में नामांकन दाखिल किया। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने भी बुधवार को ही सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया। इस दौरान सिब्बल ने बताया था कि उन्होंने बीते 16 मई को ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। सिब्बल पूर्व में कांग्रेस से राज्यसभा सांसद थे। कपिल सिब्बल के नामांकन के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी मौजूद थे।
यूपी विधानसभा में हैं सपा के 125 विधायक
गौरतलब है कि यूपी की 403 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 255 और उसके सहयोगी दलों को मिलाकर कुल 273 विधायक हैं। वहीं दूसरी ओर सपा और उसके सहयोगी दलों के सदस्यों की कुल संख्या 125 है और वह तीन उम्मीदवारों को जिता सकती है। ऐसे में उनकी ओर से राज्यसभा (Rajyasabha Elections 2022) में कौन से तीन नेता भेजे जा रहे हैं अब इसका खुलासा हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस लिस्ट में दो नेता ऐसे हैं जो सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी से नहीं जुड़े हैं। कपिल सिब्बल लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े थे पर अब समाजवादी पार्टी के समर्थन से उच्च सदन में पहुंचेंगे। वहीं जयंत चौधरी भी समाजवादी पार्टी के सहयोग से ही राज्यसभा पहुचेंगे।
पार्टी से बाहर के दो नेताओं पर खेला गया दांव
आखिर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की ऐसी कौन की मजबूरी थी जिसके कारण उन्होंने पार्टी के बाहर के दो नेताओं पर राज्यसभा चुनाव में दांव खेला है। लंबे समय से कयास लगाए जा रहे थे कि जिन तीन सीटों पर सपा के उम्मीदवार जीतकर राज्यसभा (Rajyasabha Elections 2022) जाएंगे उनमें एक नाम डिंपल चौधरी का जरूर होगा। पर जब नामों की घोषणा हुई तो अब ये साफ हो गयी है कि इन तीनों सीटों में से किसी पर से भी डिंपल यादव राज्यसभा नहीं जा रही हैं। पर यहां यह बात सोचने वाली है कि आखिर वह कौन सी मजबूरी थी कि सपा अध्यक्ष को अपनी पत्नी को राज्यसभा नहीं भेजकर बाहर के लोगों को राज्यसभा भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा।
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में जब से राज्यसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हुई थी तब से यही यह कयास लगाए जा रहे थे कि आजम खां के परिवार अथवा उनके चहेते व्यक्ति को राज्यसभा में भेज कर मुस्लिम समुदाय के बीच सकारात्मक संदेश दिया जा सकता है। वहीं एक महिला सदस्य के नाम पर भी विचार चल रहा है, ऐसी खबरें आ रही थी उम्मीद थी कि वह सदस्य सपा अध्यक्ष की पत्नी डिंपल यादव होंगी। वहीं तीसरी सीट से रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह राज्यसभा में जा सकते हैं इस बात की संभावना जतायी जा रही थी।
आजम खान के कारण कपिल सिब्बल को मिली टिकट
सूत्रों के अनुसार आजम खान ने जेल से बाहर आते ही सपा अध्यक्ष के सामने यह शर्त रख दी थी कि कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता कपिल सिब्बल को राज्यसभा (Rajyasabha Elections 2022) भेजा जाए। आपको बता दें कि आजम खां और अखिलेश यादव के बीच लंबे समय से तल्ख संबंधों की खबरें मीडिया में चल रही थी। जब आजम खान जेल से बाहर निकल रहे थे उस समय भी अखिलेश ने केवल ट्वीट ही किया था जबकि उनके चाचा शिवपाल यादव उन्हें रिसिव करने जेल गेट तक पहुंचे थे। आजम खान की नाराजगी पार्टी के लिए कतई अच्छी नहीं थीं, ऐसें में सपा अध्यक्ष को एक समाज विशेष के लोगों के बीच सकारात्मक संदेश देने के लिए कपिल सिब्बल के नाम पर सहमत होना पड़ा। वे इस सयम आजम खान की नाराजगी मोल लेकर यूपी में विपक्ष की मजबूती से समझौता नहीं करना चाह रहे थे। उनके चाचा शिवपाल यादव पहले ही उनसे नाराज चल रहे हैं।
हालांकि इस पूरी मामले में जब आजम खान से यह सवाल किया गया कि क्या कपिल सिब्बल उनकी पैरवी से राज्यसभा जा रहे हैं तो उन्होंने साफ तौर पर इस बात से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि कपिल सिब्बल ने जरूर मेरी कानूनी लड़ाई में पूरे दिल से मदद की है। पर उनके राज्यसभा जाने में मेरा कोई योगदान नहीं है। मैं ऐसी राजनीति नहीं करता। नहीं तो मेरी ऐसी परिस्थिति नहीं होती। हालांकि सपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि आजम खान परिपक्व राजनेता हैं ऐसे में उन्हें पता है कि कैसे अपनी बात मनवानी है और कहां पर क्या कहना है।
करीबियों की सिफारिश पर जावेद अली खान का नाम हुआ फाइनल
राज्यसभा की दूसरी सीट के लिए सपा नेता जावेद अली खान का नाम फाइनल किया गया। जावेद अली खान साल 2014 से 2020 तक सपा खेमे से राज्यसभा सांसद थे। ऐसे में उन्हें संसदीय कार्यप्रणाली का खासा अनुभव था दूसरी ओर अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव और अंबिका चौधरी जैसे नेता भी चाहते थे कि जावेद अली खान को राज्यसभा भेजा जाए। ऐसे में अपनी करीबियों की पसंद पर जावेद अली खान का नाम सामने आने पर सपा अध्यक्ष उन्हें भी मना नहीं कर सके और उनका नाम तय (Rajyasabha Elections 2022) कर लिया गया। पर सपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक यहां भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपने करीबियों की पसंद के आगे खुद की पसंद कुर्बान करनी पड़ी।
अब जो तीसरी सीट बच रही थी सबको उम्मीद थी कि बुधवार की देर शाम तक उस सीट से सपा अध्यक्ष की पत्नी डिंपल यादव का नाम उम्मीदवार के रूप में घोषित कर दिया जाएगा। बुधरवार की देर शाम तक किसी नाम की घोषणा नहीं की गयी। ऐसे में कयास लगने शुरू हो गए कि इस सीट पर भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को जिच का सामना करना पड़ रहा है। खबरें आने लगीं कि राष्ट्रीय लोकदल के नेता राज्यसभा का सीट नहीं मिलने पर नाराज चल रह हैं।
जयंत नाराज ना हों इसलिए तीसरी सीट उन्हें दे दी
हालांकि इस बारे में आधिकारिक रूप से किसी भी ओर से कुछ नहीं कहा गया पर सपा खेमा और लोकदल खेमा दोनों में इस सीट और जयंत चौधरी की नाराजगी को लेकर कानाफूसी शुरू हो गयी थी। अखिलेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विपक्ष की मजबूती और एकता दिखाने के लिए जयंत की जरूरत थी, इसलिए काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने इस सीट को भी जयंत की झोली में देने की हामी भर दी।
इसका साफ मतलब यह था कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को किसी ना किसी रूप में राज्यसभा (Rajyasabha Elections 2022) की तीनों सीटों पर उम्मीदवार उतारने के लिए सौदाबाजी का शिकार होना पड़ा। वे चाहकर भी इस सौदेबाजी से खुद को दूर नहीं कर पाए और अंतत: पार्टी के बाहर के दो लोगों को समर्थन देकर राज्यसभा में भेजने का फैसला लेना पड़ा और एक सीट उन्हें अपने करीबियों की पहल पर अपनी ही पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद जावेद अली खान को देनी पड़ी।