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Kamal Khan: शब्दों के जादूगर थे कमाल खान, उनकी नाराजगी भी भारी मीठापन लेकर निकलती थी!

Janjwar Desk
14 Jan 2022 10:23 AM IST
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(शब्दों के जादूगर कमाल खान का निधन)

कमाल खान को रामनाथ गोयनका अवार्ड और राष्ट्रपति के हाथों गणेश शंकर विद्यार्थी अवार्ड मिल चुका था। वह एनडीटीवी के यूपी संपादक थे। खुद रवीश कुमार भी अपने प्राईम टाईम में कमाल की खबरों को बड़े ही चांव से दिखाना पसंद करते थे...

Kamal Khan: टीवी पत्रकारिता के दिग्गज पत्रकार कमाल खान का निधन हो गया। उनका निधन रात दिल का दौरा पड़ने से हुआ। कमाल की मौत से उनके चाहने वालों में भारी मायूसी देखी जा रही। किसी ने भी नहीं सोचा था कि कमाल इस तरह चुपचाप चले जाएंगे। सोशल मीडिया में उनकी मौत को लेकर हर दूसरा पेज भरा हुआ है।

कमाल खान टीवी पत्रकारिता का एक अनोखे इंसान के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे। कमाल की जो सबसे बड़ी बात थी उनकी बोलने की शैली रही। बेहद सधे सुरों में शब्द दर शब्द बड़ी से बड़ी बात को भी वो अनोखे अंदाज में परोसते थे। उपर का ट्वीट कमाल का आखिरी ट्वीट है।

मुझे याद है जब एक बार कमाल खान से मायावती पर घंटे भर बात की थी। उनकी बात को शब्दश: जनज्वार ने छापा था। बात करते हुए कमाल ने मायावती पर बेबाकी से अपनी बात रखी थी। उनकी बात छापने पर उन्होने कहा था कि एक बार दिखा देना मुझे। लेकिन मैने उन्हें दिखाए बगैर छाप दिया। बाद में कमाल खान थोड़े नाराज भी हुए लेकिन उनकी नाराजगी भी भारी मीठे शब्दों में पगी हुई थी। वो बोले, 'यार आपसे कहा था दिखा देना, लेकिन छाप दिया। उसमें बहुत ऐसी बातें थीं जो आपसे शेयर कर दीं।' मैनें उनके जवाब में सिर्फ इतना ही कहा था कि, 'एक बात बताइये आप अपनी रिपोर्ट क्या किसी से पूछकर या दिखाकर छापते हैं।' यह सुनकर वो हंस पड़े और बात आई-गई हो गई।

उनका राम पर किया गया विश्लेषण अपने आप में कभी न भूलाया जा सकने वाला था। सधी हुई शैली में उन्होने राम पर जो टिप्पड़ियां की थीं उनके दर्शक मुरीद हो गये थे। 'एक राम सीता के, एक राम अयोध्या के, एक राम वालिमीकि के, एक राम कमाल के।' वाकई कमाल में भी राम थे। कमाल के मुताबिक जिस राम को विश्व हिंदू परिषद कभी नहीं समझ सकी, उस राम को कमाल खान ने बखूबी समझा था, और लोगों को समझाया भी।

अवार्ड

पत्रकारिता में कमाल खान को रामनाथ गोयनका अवार्ड और राष्ट्रपति के हाथों गणेश शंकर विद्यार्थी अवार्ड मिल चुका था। वह एनडीटीवी के यूपी संपादक थे। खुद रवीश कुमार भी अपने प्राईम टाईम में कमाल की खबरों को बड़े ही चांव से दिखाना पसंद करते थे।

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