Bhima Koregaon Case : SC ने भी नहीं मानी एनआईए की दलील, 24 घंटे के अंदर गौतम नवलखा मामले में जारी आदेश पर करें अमल
भीमा कोरेगांव केस : गौतम नवलखा को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने 1 माह के लिए हाउस अरेस्ट की दी इजाजत
Bhima Koregaon Case : बॉम्बे हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने भी एनआईए ( NIA ) को सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ( Guatam Navlakha ) मामले में फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने एनआईए ( NIA ) को साफ शब्दों में कहा कि वो 24 घंटे के अंदर गौतम नवलखा को हाउस अरेस्ट ( House Arrest) पर भेजें। इसके साथ ही कोर्ट ने हाउस अरेस्ट ( House arrest ) की अनुमति देने वाले अपने आदेश को वापस लेने से भी इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने कहा कि हम आदेश वापस नहीं लेंगे, लेकिन दोनों पक्षों को सुनने के बाद हम कुछ और एहतियाती उपाय करने को कह रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि दूसरे दरवाजे और खिड़की की ग्रिल को सील कर दिया जाए। उसकी चाभी अपने पास रखें। ग्रिल के बगल में बिस्तर न लगाया जाए। सीसीटीवी कैमरा भी दक्षिणी द्वार पर लगाया जाए।
एनआईए ( NIA ) की ओर से अदालत में पेश तुषार मेहता ने कहा कि तथ्य काफी चौंकाने वाले हैं। सब मान रहे थे कि नवलखा का स्वास्थ्य खराब है। उन्होंने कई अस्पतालों में जाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद वो जसलोक अस्पताल गए, जहां उन्होंने एक वरिष्ठ डॉक्टर से अपने रिश्ते छिपाए। इस पर जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि यह सब दलीलें पहले हो चुकी हैं। यह मामला ऐसा नहीं है कि आपको दलीलें देने का मौका नहीं मिला। पूरी तरह सुनवाई हुई थी। अब क्या पुनर्विचार चाहते हैं? इस पर मेहता ने कहा कि भारी दिल से कह रहे हैं, जेलों में उनके जैसे और भी कैदी हैं। उनको इस तरह हाउस अरेस्ट ( Housr arrest ) में नहीं रखा जा सकता। मेडिकल रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर नवलखा के रिश्तेदार हैं। इसके अलावा जो भवन नवलखा की नजरबंदी के लिए तय किया गया है वो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दफ्तर है।
नवलखा ने तथ्यों को छिपाया
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि तो क्या हुआ। जोसेफ ने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी देश की मान्यता प्राप्त पार्टी है। इस पर मेहता ने कहा कि क्या आपकी अंतरात्मा इसे सही मानती है। इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हां मुझे इसमें कोई गड़बड़ नहीं दिखती। मेहता ने कहा कि हमें इसमें गड़बड़ी लगी इसलिए मैंने कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा। दरअसल, इस मामले में NIA का कहना था कि तथ्यों को जानबूझकर छिपाया गया। कानूनी प्रक्रिया दुरुपयोग किया गया। इसके अलावा एक्टिविस्ट की मेडिकल रिपोर्ट के संबंध में पक्षपात हुआ।
Bhima Koregaon Case : यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित 'एल्गार परिषद' सम्मेलन में दिये गये कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुणे पुलिस का दावा है कि भाषणों से अगले दिन पुणे जिले के कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि प्रतिबंधित नक्सली संगठनों से जुड़े लोगों ने सम्मेलन का आयोजन किया था। इस मामले में इससे पहले भी नवलखा हाउस अरेस्ट के रूप में रह चुके हैं। अप्रैल 2020 से वह जेल में हैं। अब इस मामले में पहले बॉम्बे हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी एनआईए से गौतम अदलखा को एक माह के लिए हाउस अरेस्ट में रखने को कहा है।