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Supreme Court : लिव इन को हल्के में लेने वालों के लिए बड़ी चेतावनी, जन्मा बच्चा तो देना होगा प्रॉपर्टी में हक

Janjwar Desk
15 Jun 2022 5:37 AM GMT
Supreme Court : लिव इन को हल्के में लेने वालों के लिए बड़ी चेतावनी, जन्मा बच्चा तो देना होगा प्रॉपर्टी में हक
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file photo

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि बिना शादी (Live In Relationship) के पैदा हुए बच्चों को भी पिता की प्रॉपर्टी मे हिस्सा लेने का अधिकार होगा, अगर कपल लंबे समय तक साथ रहे हैं, तो इस रिश्ते से जन्मे बच्चे को पूरा अधिकार है कि वे उनकी प्रॉपर्टी पर अपना हक जता सकते है...

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लिव इन रिलेशन (Live In Relationship) से जन्मे बच्चे के भविष्य लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि बिना शादी (Live In Relationship) के पैदा हुए बच्चों को भी पिता की प्रॉपर्टी मे हिस्सा लेने का अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कपल लंबे समय तक साथ रहे हैं, तो इस रिश्ते से जन्मे बच्चे को पूरा अधिकार है कि वे उनकी प्रॉपर्टी पर अपना हक जता सकते है।

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को पलटा

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के एक फैसले को पलटते हुए यह फैसला सुनाया है। केरल हाई कोर्ट ने एक बचे को इसलिए उसके पिता की प्रॉपर्टी पर जताए हक से वंचित कर दिया था, क्योंकि उसके पिता और मां ने शादी नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को पलटते हुए कहा कि बेशक बच्चे के माता-पिता ने मैरिज न की हो, लेकिन वे लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे हैं। ऐसे में अगर DNA से साबित होता है कि बच्चा उन्हीं का है, तो उसका पिता की प्रॉपर्टी पर अधिकार बनता है।

यह है पूरा मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केरल निवासी एक शख्स ने अपने पिता की प्रॉपर्टी पर हक जताया था। पिता ने जब प्रॉपर्टी का बंटवारा किया, तो उसे इससे वंचित रखा था। यह मामला केरल हाईकोर्ट पहुंचा था। उस शख्स ने तर्क दिया कि उसे नाजायज संतान बताकर प्रॉपर्टी के हक से बेदखल कर दिया गया लेकिन केरल हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि वो जिस आदमी की प्रॉपर्टी पर अपना अधिकार जता रहा है, उसकी शादी नहीं हुई थी, इसलिए वो प्रॉपर्टी पर हक नहीं रखता।

सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को दी थी मान्यता

आपको जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 में लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे घरेलु हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2 (एफ) से भी जुड़वाया था। दरअसल, इससे पहले लिव इन में घरेलू हिंसा के काफी मामले आते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब इसे लेकर FIR दर्ज कराई जा सकती है। लिव इन रिलेशन के लिए कपल को पति-पत्नी की तरह साथ रहना होगा, हालांकि इसके लिए कोई टाइमिंग फिक्स नहीं है कि कितने साल या महीने वो साथ रह सकते है।


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