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Ground Report : सरासर झूठा है केंद्र सरकार का दावा, ऑक्सीजन की कमी से अकेले कानपुर में हुईं थीं सैंकड़ों मौतें
ऑक्सीजन की कमी से अपने अपनो को खोने वाले परिवारों ने सरकार के बयान के बाद जमकर कोसा है.
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार, कानपुर। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Govt.) के केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण कुमार ने दो दिन पहले राज्यसभा में बयान दिया था, कि 'देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है।' जबकि देश की बात तो छोड़िए यूपी में हजारों मौतें हुईं थीं। अकेले कानपुर में सैंकड़ों की तादाद में ऑक्सीजन ना मिलने से लोग मरे थे।
कोरोना की दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन (Oxygen) प्लांटों के बाहर लगी लंबी-लंबी कतारें, बिलखते तड़पते लोग, श्मशान घाटों पर टोकन लेकर अपनी लाश जलाने का इंतजार करते लोग राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिए गये इस बयान के बाद बैकुंठ प्रवास कर गये होंगे। क्योंकि उनकी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थी।
दूसरी लहर की तबाही में कई मरीजों को ऑक्सीजन की किल्लत के चलते अस्पतालों में भर्ती ही नहीं किया गया था। जिसके चलते मरीजों ने अस्पतालों के गेट पर ही दम तोड़ दिया था। दूसरे अस्पतालों में ऑक्सीजन ना मिलने से 30 रोगियों को निजी एंबुलेंस से हैलट भेजा गया था, हालांकि उनकी रास्ते में ही मौत हो गई थी।
कानपुर (Kanpur) के नौबस्ता के धरी का पुरवा में रहने वाले कई परिवारों ने ऑक्सीजन की किल्लत से अपने मां-बाप को खोया है। यहां एक भाई-बहन मनीष राजपूत और उषा राजपूत के सिर से मां का साया उठ गया। सरकार की तरफ से आये इस बयान के बाद मनीष और उनकी बहन हमसे कहती है 'बहुत बेशर्म हैं सरकार के लोग' मेरी मां अस्पताल में भर्ती थीं, डॉक्टर ने ऑक्सीजन के लिए कहा। एक सिलेंडर तो मिल गया लेकिन दूसरा नहीं मिल पाया।
उषा कहती हैं उस दिन अगर दूसरा सिलेंडर मिल गया होता तो हमारी मां आज जिंदा होती। हम लोग रोते रहे, गिड़गिड़ाते रहे एक भी डॉक्टर ने हमारी बात नहीं सुनी। मनीष कहते हैं, हमारी मां ऑक्सीजन ना मिलने से तड़पकर मर गई और सरकार अपनी बरबड्डी बता रही। बहुत दुख होता है सरकार जब ऐसे झूठ बोलने लगती है।'
500 मीटर दूर रहने वाले अभय कुमार मिश्रा के पिता का देहांत भी ऑक्सीजन की कमी से हुआ था। अभय कहते हैं 'हां हमने कल सुना था ये बात कि सरकार ने कहा है ऑक्सीजन की कमी से एक भी आदमी नहीं मरा है। अभय कहते हैं भइया वो समय जब याद आता है तो आज भी रोना आ जाता है। मेरी आंखें बेकार हो गई हैं में देख नहीं सकता, लेकिन उस वक्त जो टीस दिल में लगी थी आज उसे सरकार ने यह बोलकर फिर से हरी कर दी है।'
नगर निगम में नौकरी कर रहे रामकरण की साली का ऑक्सीजन ना मिलने से देहांत हो गया था। रामकरण ने बहुत प्रयास किया कि एक सिलेंडर मिल जाए लेकिन नहीं मिला, जो मिल रहा था बहुत महंगा था। रामकरण कहते हैं, सरकार पूरी तरह से जनता को चूतिया बना रही है। झूठी राजनीति से यह लोग बस अपना-अपना घर भर रहे हैं। ऐसी सरकार हमने इतिहास में नहीं देखी।'
प्रदेश में यही एक कहानी नहीं है बल्कि आपको हजारों कहानियां मिल जाएंगी जो ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ गईं, लेकिन सरकार के लिए यह कुछ मायने नहीं रखता। 2 मई को कन्नौज (Kannauj) के छिबरामऊ में साधना के 30 साल के पति संजीव की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई थी। 2 मई को ही बिठूर निवासी विश्वंभर पाल की भी ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई थी।
23 अप्रैल को परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के 65 वर्षीय बेटे अली हसन की हैलट में ऑक्सीजन ना मिलने से मौत हो गई थी।उस वक्त जनज्वार ने भी लाइव दिखाया था कि कैसे हैलट के ही इमरजेंसी वार्ड में बेड पर लेटे मरीजों की ऑक्सीजन की शेयरिंग हो रही थी। एक सिलेंडर से कई-कई मरीज लाभ ले रहे थे। तमाम रोगी ऑक्सीजन की किल्लत से अस्पतालों से लौटे और बाद में उनकी मौत हो गई थी।
बहुत से रोगियों ने सड़क, अस्पतालों और घरों में ऑक्सीजन ना मिलने से दम तोड़ दिया। जमकर जमाखोरी और कालाबाजारी हुई सो अलग। सड़क पर मरे अपने परिजनो के अंतिम संस्कार के लिए लोग भागते रहे। जिन्हें स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में भी दर्ज नहीं किया जा सका। कोरोना काल में अकेले कानपुर से ही 20 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
खुद सरकार को ही दूसरे प्रांतों और देशों से ऑक्सीजन की कमी को पूरा करना पड़ा था। आगरा की रेणु सिंघल को कोई कैसे भूल सकता है, जो अपने पति रवि सिंघल को ऑक्सीजन ना मिल पाने से मुँह से ही ऑक्सीजन दे रही थीं। उनकी यह तस्वीर खूब वायरल हुई थी। सीएमओ डॉ. नेपाल सिंह इस मामले पर कहते हैं कि जब उन्होने यहां ज्वाइन किया था तब हालात सुधर चुके थे। ऑक्सीजन एक्सप्रेस आनी शुरू हो गई थी।