किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा-यह जारी रह सकता है, पर जिम्मेवारी कौन लेगा
(file photo)
जनज्वार। तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध प्रदर्शन जारी रह सकता है, पर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि हम नहीं समझते कि केंद्र ने इस मामले को सही तरीके से हैंडल किया है। हमें आज ही इसपर कोई कार्रवाई करनी होगी।
48 दिनों से जारी किसान आंदोलन के बीच आज नए कृषि कानूनों से संबन्धित दायर याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि हम कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक का सुझाव सिर्फ इसलिए दे रहे हैं ताकि कमिटी के सामने वार्ता में सुविधा रहे। किसानों के प्रदर्शन पर कोर्ट ने कहा कि हम इसपर कुछ कहना नहीं चाहते, विरोध प्रदर्शन जारी रह सकता है, पर इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि हम इसे लेकर एक कमिटी बनाने की सोच रहे हैं और इस कानून के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगाने की भी सोच रहे हैं।
कोर्ट ने केंद्र से कहा कि अगर आप इस कानून पर रोक नहीं लगाएंगे तो हम लगा देंगे। कोर्ट ने कहा कि हम कमिटी बनाने जा रहे हैं, इसपर किसी को कुछ कहना हो तो कहे।
इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए। लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे। कानून पर रोक लगने के बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं, लेकिन हम जानना चाहते हैं कि क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे।
चीफ जस्टिस ने कहा कि आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं। लोग मर रहे हैं, आत्महत्या कर रहे हैं। हम नहीं जानते क्यों महिलाओं और वृद्धों को भी बैठा रखा है। खैर, हम कमिटी बनाने जा रहे हैं। किसी को इस पर कहना है तो कहे।
हालांकि सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे। इसलिए, हम इस पर नहीं जाना चाहते हैं। अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमिटी को बताएं। आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं। नहीं तो हम लगा देंगे।
एटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून से पहले एक्सपर्ट कमिटी बनी। कई लोगों से चर्चा की। पहले की सरकारें भी इस दिशा में कोशिश कर रही हैं। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकार ने इसे शुरू किया था। आपने कोर्ट को बहुत अजीब स्थिति में डाल दिया है।
कोर्ट ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि कोर्ट को क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं, लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं। एक साझा हल निकले। अगर आपमें समझ है तो फिलहाल कानून के अमल पर ज़ोर मत दीजिए। इसके बाद बात शुरू कीजिए। हमने भी रिसर्च किया है। हम एक कमिटी बनाना चाहते हैं।
उधर केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 48वें दिन भी जारी है। आज आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। किसानों की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे बहस कर रहे हैं। वहीं केंद्र और किसान संगठनों के बीच अब तक हुई आठ राउंड की बैठक बेनतीजा रही है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी।