सिनेमा में गरजने वाले पंजाब के सांसद सन्नी देओल ने किसान आंदोलन पर क्यों साध रखी है चुप्पी
File photo
जनजवार। तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में देश के किसान आंदोलन पर हैं। इस किसान आंदोलन में सबसे बड़ी भागीदारी पंजाब के किसानों की है। इससे पहले पंजाब में भी इन किसानों ने कई दिनों तक आंदोलन किया था। देश के ज्यादातर किसान संगठनों, कई राजनीतिक दलों और बड़े नेताओं ने किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है, लेकिन पंजाब के गुरुदासपुर से सांसद सन्नी दयोल की न तो इन अन्नदाताओं के आंदोलन में कोई भागीदारी दिखी है, न ही उन्होंने दो पक्तियों का कोई औपचारिक वक्तव्य जारी किया है।
हालांकि सन्नी देओल ने बॉलीवुड की फिल्मों में कई ऐसे किरदार निभाए हैं, जिनमें उन्होंने किसान का रोल किया है। रील लाइफ में फिल्मी किसानों की इन भूमिकाओं में वे व्यवस्था और किसानों की समस्याओं को लेकर खूब गरजते-बरसते हुए भी दिखे हैं, पर रियल लाइफ के किसानों के आंदोलन में अबतक उनकी भूमिका नगण्य रही है।
वह भी तब, जब संसद में वे उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां किसानों की संख्या ज्यादा है और वहां के ज्यादातर किसान इस भीषण सर्द मौसम में सड़कों पर हैं। इसे लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। उनके क्षेत्र के किसान भी सवाल उठा रहे हैं कि वे उनके वोट से सांसद बने हैं और जब किसानों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत महसूस हो रही है, तब वे रियल लाइफ की इस सीन से गायब हैं।
किसानों के आंदोलन को अब खाप पंचायतों ने भी का समर्थन दिया है। हरियाणा के दो दर्जन से ज्यादा खाप पंचायतों ने किसानों के आंदोलन को समर्थन देते हुए दिल्ली कूच का एलान कर दिया है। हरियाणा के खाप पंचायतों की एक बैठक हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया।
इस बीच तीन कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसकी सीमा पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है। कानून के खिलाफ नाराजगी जताते हुए किसान आज भी सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान बुराड़ी के निरंकारी मैदान में शिफ्ट होने के लिए राजी नहीं हुए हैं। किसान नेताओं ने सरकार के सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।
उधर गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराने के लिए रागिनी गाना शुरू कर दिया है। गाजीपुर बॉर्डर पर सोमवार को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे किसानों की एक मंडली सड़कों पर ही बैठ गई और रागिनी गाना शुरू कर दिया। दरअसल रागिनी एक तरह के गाने होते है जिन्हें गांव के लोग सुनना पसंद करते हैं। इसमें मुहावरों को गाकर अपनी बात रखी जाती है।
किसानों ने रागिनी गाकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। वहीं रागिनी को सुनने के लिए राहगीरों ने भी अपनी गाड़ी को रोक दी तो कुछ लोगों ने तो फ्लाईओवर से पैसे फेंक कर किसानों के प्रति अपना समर्थन जताया।