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गाजियाबाद श्मशान घाट हादसे का मुख्य आरोपी ठीकेदार अजय त्यागी गिरफ्तार, 24 लोगों की हो गई थी मौत
(file photo)
जनज्वार। गाजियाबाद श्मशान घाट हादसे में 24 लोगों की मौत मामले में मुख्य आरोपित ठीकेदार व 25 हजार के इनामी को सोमवार की रात गिरफ्तार कर लिया गया है। उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद स्थित मुरादनगर में श्मशान घाट के गलियारे की छत गिरने से 24 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी व ठीकेदार अजय त्यागी को सोमवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया है।
इससे पहले सोमवार को ही दिन में पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया था। वहीं श्मशान घाट मौत मामले में स्थानीय पालिका की अधिशासी अधिकारी (ईओ) निहारिका सिंह, अवर अभियंता चंद्रपाल और सुपरवाइजर आशीष को सोमवार सुबह ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इन सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि गाजियाबाद जनपद के मुरादनगर स्थित श्मशान घाट परिसर में रविवार दोपहर गैलरी की छत गिरने से 24 लोगों की मौत हो गई। हादसे में 40 से अधिक लोग मलबे में दब गए थे।
हादसे का शिकार हुए सभी लोग मुरादनगर के डिफेंस कॉलोनी निवासी फल विक्रेता जयराम की अंत्येष्टि में शामिल होने पहुंचे थे। अंत्येष्टि के बाद सभी गेट से सटी गैलरी में मौन धारण करने के लिए जमा हुए थे। तभी यह हादसा हो गया था। इस मामले में जयराम के बेटे दीपक की तहरीर पर पुलिस ने नगर पालिका ईओ, जेई, सुपरवाइजर, ठेकेदार व अन्य अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, सरकारी पैसे का गबन व अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था।
आरोप है कि करीब ढाई माह पहले ही गैलरी का निर्माण कराया गया था और इसमें घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। जिसके चलते ये हादसा हुआ। श्मशान घाट में पिलरों पर लेंटर पड़ा हुआ था। वहीं सुबह से हो रही बारिश के कारण अचानक गैलरी का लेंटर भरभराकर गिर गया। जिस वक्त ये हादसा हुआ उस वक्त मौके पर दर्जनों लोग मौजूद थे, जो अंतिम संस्कार में शामिल होने आए थे। सभी लोग लेंटर के मलबे के नीचे दब गए।
श्मशान घाट में 55 लाख रुपये से घटिया सामग्री लगाकर निर्माण करने वालों के खिलाफ कमिश्नर और आईजी ने रविवार की रात में एफआईआर दर्ज कराई थी।
उधर मृतकों के परिजनों ने मुआवजे और आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सोमवार को दिल्ली-मेरठ हाईवे सुबह 8.30 से शाम साढ़े चार बजे तक जाम किए रखा। कमिश्नर और आईजी ने मृतकों के परिजनों को दस-दस लाख का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार नौकरी, कांशीराम आवास योजना में घर, बच्चों की मुफ्त पढ़ाई और घायलों के उपचार का लिखित आश्वासन दिया, जिसके बाद ही लोग हाईवे से हटे।