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उत्तर प्रदेश

UP चुनाव 2022 में हार का डर? कभी आंदोलनरत किसानों को खालिस्तानी बताने वाली BJP, अब शहीद किसान

Janjwar Desk
28 Nov 2021 7:20 AM GMT
UP चुनाव 2022 में हार का डर? कभी आंदोलनरत किसानों को खालिस्तानी बताने वाली BJP, अब शहीद किसान
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(किसान आंदोलन का संघर्ष)

UP Election 2022: एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान करीब 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है. ऐसे में इन किसानों के परिवार के मुआवजा देने की मांग भी उठ रही है. सूत्रों के मुताबिक, इस संबंध में भाजपा शासित राज्य अपनी ओर से मुआवजे की घोषणा कर सकते हैं.

UP Election 2022: केंद्र के तीन कृषि कानूनों को वापिस (Three Farm Laws Repeal) लेने के ऐलान के बाद अब भाजपा शासित कुछ राज्य ((BJP Lead State Government) आंदोलन के दौरान मृत किसान परिवारों के लिए मुआवजा घोषित कर सकते हैं (Compensation). इसके लिए बीजेपी नेतृत्व ने अपने राज्यों में किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया भी शुरू करने के निर्देश भी दिए हैं.

दरअसल एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान करीब 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है. ऐसे में इन किसानों के परिवार के मुआवजा देने की मांग भी उठ रही है. सूत्रों के मुताबिक, इस संबंध में भाजपा शासित राज्य अपनी ओर से मुआवजे की घोषणा कर सकते हैं. अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड की राज्य सरकारें जल्द ही किसान आंदोलन के दौरान मृत किसान परिवारों के लिए मुआवजा घोषित कर सकती हैं.

पराली जलाना अपराध की श्रेणी से बाहर

वहीं केंद्र सरकार ने अब पराली जलाने (Stubble Burning) को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की किसानों की मांग पर भी सहमति जता दी है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों से अपना आंदोलन समाप्त करने की अपील करते हुए यह बात कही. तोमर ने एक बयान में कहा कि किसानों की दूसरी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और फसल विविधीकरण पर चर्चा की है.

मुआवजे का मुद्दा राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में

आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने के संबंध में तोमर ने कहा कि यह राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है. उन्होंने कहा, 'मामलों की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकारों को फैसला करना होगा और मुआवजे का मुद्दा भी उन्हें ही तय करना होगा.' उन्होंने कहा कि हर राज्य अपने प्रदेश के कानून के अनुसार फैसला करेगा. तोमर ने साथ ही कहा कि मंत्री ने कहा कि विरोध करने वाले किसानों ने शुरू में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की थी, जिसे सरकार ने उनके हित को ध्यान में रखते हुए स्वीकार किया.

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