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तनाव पैदा करना है मंदिर में नमाज पढ़ने का मकसद, योगी सरकार के मंत्री का बयान
मथुरा। मथुरा में खुदाई खिदमतगार संगठन के सदस्यों की ओर से मंदिर में नमाज पढ़े जाने के बाद राजनीतिक बयानबाजियां शुरू हो गई हैं। अब उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण का बयान भी सामने आया है। चौधरी लक्ष्मीनारायण सिंह ने कहा है कि मंदिर के अंदर नमाज पढ़ने जैसा काम राज्य में तनाव पैदा करने के लिए किया गया था।
यूपी सरकार के मंत्री ने आगे कहा कि मंदिर के अधिकारी फैसल खान को नहीं जानते हैं। इस तरह की घटना पहले कभी नहीं हुई। मुझे इस पूरे मामले में दुष्प्रचार की बू आ रही है। एक मुस्लिम व्यक्ति ने उन्हें यहां तक कहा कि यह नमाज करने की जगह नहीं है, लेकिन वे दिखाना चाहते थे कि वे इतने ताकतवर हैं कि वे नंद बाबा के मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं और नमाज पढ़ सकते हैं। यहसब सौहार्दपूर्ण माहौल को खत्म करने के लिए किया जा रहा है।
29 अक्टूबर को मंदिर में नमाज पढ़ने वाले फैसल खान को 2 नवंबर को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। वह खुदाई खिदमतगार संस्था के अध्यक्ष है जो हिंदू मुस्लिम एकता के बीच सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए काम करता है।
चौधरी लक्ष्मी नारायण ने आगे दावा किया कि ऐसे लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को परेशान करना चाहते थे, जो सनातन धर्म के प्रबल अनुयायी हैं। लेकिन यूपी की कानून व्यवस्था पर मुख्यमंत्री की इतनी मजबूत पकड़ है कि ऐसे षड़यंत्र कभी सफल नहीं होंगे। बता दें कि चौधरी लक्ष्मी नारायण दो साल पहले 2018 में तब चर्चाओं में आए थे जब उन्होंने भगवान हनुमान को जाट समुदाय का बताया था।
हालांकि जब वह सवालों के बीच घिरने लगे तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि हम किसी के स्वभाव से पता करते हैं कि ये किसके वंशज होंगे। जैसे वैश्य जाति के बारे में हम ये मानते हैं कि वे अग्रसेन के वंशज हैं। अग्रसेन महाराज स्वयं व्यापार करते थे। इसी तरह जाट का स्वभाव होता है कि यदि किसी के साथ अन्याय हो रहा हो तो बगैर बात के, जाने पहचाने हो या न हो, वो उसमें कूद पड़ता है। ऐसे ही हनुमान जी, जिस तरह भगवान राम की पत्नी सीता जी का अपहरण हुआ जो रावण ने किया तो हनुमान जी भगवान राम के दास के रूप में बीच में शामिल हुए। ये जो हनुमान जी की प्रवृत्ति है वह जाटों से मिलती है इसलिए मैने कहा कि हनुमान जी जाट ही होंगे।
बता दें कि फैसल खान उसी खुदाई खिदमतगार संगठन से जुड़े हैं जिसनें भारत के विभाजन का विरोध किया था। यह संगठन महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन से प्रेरित था और उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत में अब्दुल खान गफ्फार खान के नेतृत्व में संचालित ब्रिटिश शासन के विरूद्ध एक आंदोलन था जिसमें तब पाकिस्तान, अफगानिस्तान या पठान जातीय मुसलमान शामिल थे।