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उत्तर प्रदेश

कासगंज कांड : किसान पिता का इकलौता बेटा है शहीद देवेंद्र, अपने पीछे छोड़ गया रोता-बिलखता परिवार

Janjwar Desk
10 Feb 2021 4:16 AM GMT
कासगंज कांड : किसान पिता का इकलौता बेटा है शहीद देवेंद्र, अपने पीछे छोड़ गया रोता-बिलखता परिवार
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शराब माफिया द्वारा मौत के घाट उतारा गया सिपाही देवेंद्र सिंह (photo :social media) 

देवेंद्र की मौत की खबर सुन उसकी पत्नी का बहुत बुरा हाल है, दो छोटी बच्चियों में से एक 3 साल की तो एक अभी सिर्फ 4 महीने की हुई, जिसके मुंह से पापा निकला भी न होगा...

जनज्वार। कासगंज में शराब माफिया द्वारा मौत के घाट उतारा गया सिपाही देवेंद्र सिंह जसावत आगरा स्थित डौकी थाना क्षेत्र के नगला बिंदू गांव का रहने वाला था।

शराब माफिया के हमले में शहीद होने की खबर मिलते ही देवेंद्र के गांव में मातम पसर गया है। बड़ी संख्या में उसके घर पर जमा ग्रामीणों ने किसी तरह उसके परिजनों को सहारा दिया। देवेंद्र के पिता रात में ही अपने रिश्तेदारों के साथ कासगंज के लिए निकल गये, जबकि पीछे देवेंद्र की छोटी बहन, मां और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है।

देवेंद्र सिंह जसावत के पिता महावीर सिंह पेशे से किसान हैं। देवेंद्र की एक एक छोटी बहन प्रीति है। वह दो ही भाई बहन हैं। बहन की मई में शादी तय है।

मीडिया को दी गयी जानकारी में ग्रामीणों बताया शमसाबाद थाना क्षेत्र का एक युवक कासगंज में सिपाही है, जो देवेंद्र का दोस्त है। उसी ने इस दुर्घटना की जानकारी गांव में फोन करके दी थी। देवेंद्र के परिजनों को घटना की सूचना मिलते ही मानो घर में कोहराम मच गया।

ग्रामीणों के मुताबिक देवेंद्र की शादी वर्ष 2016 में चंचल से हुयी है। अपने पति की मौत की खबर से चंचल को गहरा धक्का लगा है। उनकी हालत किसी से देखी नहीं जा रही है। दो छोटी-छोटी बेटियां हैं। बड़ी बेटी वैष्णवी तीन साल की है और छोटी बेटी महज चार माह की है, जिसके मुंह से अभी पापा निकला भी नहीं होगा। बड़ी बेटी मां की हालत देख बार-बार एक ही बात पूछ रही है कि उसके पिता कब आयेंगे।

दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक नगला बिंदू गांव के चार युवक वर्ष 2015 में एक साथ पुलिस में भर्ती हुए थे। देवेंद्र जब भी छुट्टी पर आते गांव के नौजवान उन्हें घेर लिया करते थे। यह पूछते थे कि उन्होंने तैयारी कैसे की थी। देवेंद्र के साथ मनीष, नीरज और यशपाल भी पुलिस में भर्ती हुए थे। सभी ने एक साथ तैयारी की थी। सुबह साथ दौड़ने आया करते थे।

ग्रामीण कहते हैं, देवेंद्र को इस बात का कोई घमंड नहीं था कि वह पुलिस में है। सरल और मिलनसार स्वभाव के देवेंद्र गांव के लोगों खासकर युवाओं से कहते कि उसने रौब गांठने के लिए पुलिस की वर्दी नहीं पहनी है। पीड़ितों के काम आ सकें इसलिए इस वर्दी को पहना है। ग्रामीणों के मुताबिक देवेंद्र को ऐसी जगह तैनाती कतई पसंद नहीं थी, जहां पर पुलिसवालों पर वसूली के आरोप लगें।

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