Begin typing your search above and press return to search.
आजीविका

NCRB Report 2022: 2015 से 2021 तक किसानों से अधिक कारोबारियों ने चुनी मौत, भय पैदा करते हैं NCRB के आंकड़े

Janjwar Desk
1 Sept 2022 10:15 AM IST
NCRB Report 2022: 2015 से 2021 तक किसानों से अधिक कारोबारियों ने चुनी मौत, भय पैदा करते हैं NCRB के आंकड़े
x

NCRB Report 2022: 2015 से 2021 तक किसानों से अधिक कारोबारियों ने चुनी मौत, भय पैदा करते हैं NCRB के आंकड़े

NCRB Report : भारत में कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन का असर वैसे तो लगभग हर क्षेत्र में पड़ा, लेकिन NCRB की रिपोर्ट में व्यापारियों को लेकर जो आंकड़े हैं वह चौंकाते हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक कारोबारी वर्ग इसका सबसे अधिक शिकार हुआ है।

NCRB Report : भारत में कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन का असर वैसे तो लगभग हर क्षेत्र में पड़ा, लेकिन NCRB की रिपोर्ट में व्यापारियों को लेकर जो आंकड़े हैं वह चौंकाते हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक कारोबारी वर्ग इसका सबसे अधिक शिकार हुआ है। लॉकडाउन के बाद वित्तीय संकट का जो पहाड़ उनपर टूटा उससे आत्महत्या के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचा। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट तो यही बताती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कोविड महामारी के दौरान किसानों से ज्यादा आत्महत्या व्यापारियों ने की है।

12 हजार से ज्यादा कारबारियों ने की आत्महत्या

NCRB के नए आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में कुल 12055 कारोबारियों ने किसी न किसी कारण से मौत को गले लगा लिया। यही आंकड़ा साल 2020 में 11716 कारोबारियों के साथ कुछ कम था। 2020 में कुल आत्महत्या से होने वाली मौतों के डेटा को देखें तो 7.2 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। बिजनेसमैन पर किये गये सर्वे के आंकड़ों को भी इस रिपोर्ट में शामिल किया गया है।

कितने किसानों ने की आत्महत्या

आर्थिक राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार कॉरपोरेट सेक्टर में होने वाली मौतों की संख्या किसानों के मुकाबले कहीं ज्यादा थी। साल 2021 में देश में कुल 10881 किसानों की आत्महत्या से मौत होने की सूचना दी गई। इसके विश्लेषण में जो बात सामने आई उस मुताबिक साल 2018 के आंकड़ों की तुलना में साल 2021 में स्वरोजगार करने वाले व्यापारियों की आत्महत्या के मामलों में 54 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

सबसे अव्वल है कर्नाटक

कारोबारियों द्वारा आत्महत्या के मामले में देश का कर्नाटक राज्य सबसे अव्वल रहा। आत्महत्या के कुल मामलों में 14.3 फीसदी कारोबारी कर्नाटक से ताल्लुक रखते थे। इसके बाद 13.2 फीसदी के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर काबिज है। 11.3 फीसदी के साथ मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है। फिर तमिलनाड़ू का नंबर 9.4 फीसदी के साथ चौथे और 7.5 फीसदी अंकों के साथ तेलंगाना पांचवें नंबर पर काबिज है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में कुल आत्महत्या की दर साल 2017 में 9.9 प्रति एक लाख लोगों से बढ़करसाल 2021 में 12 प्रति एक लाख लोगों पर पहुँच गई। आत्महत्या से मरने वाले लोगों में दैनिक वेतन भोगियों का सबसे बड़ा वर्ग था। NCRB की तरफ से बताया गया कि 2021 में 12055 कारोबारियों की आत्महत्या के कुल आंकड़े में से 4532 विक्रेताओं, 3633 व्यापारियों और अन्य व्यवसायों में लगे 3890 लोगों ने मोत को गले लगाया है।

आत्महत्या के पीछे कारम क्या रहा?

आर्थिक राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (NCRB) के डेटा में कारोबारियों की मौत का जो कारण बताया गया है, उस मुताबिक प्रमुख कारण कर्ज बढ़ना और दिवालिया होना है। एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो 1000 छोटे और लघु व्यारियों पर किए गये सर्वे के मुताबिक कोरोना के कारोबार पर पड़े प्रभावों की पूरी तस्वीर सामने आई है। इस सर्वे में शामिल लगभग 70 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कोविड-19 महामारी के दौरान कम आर्डर, व्यापारिक घाटा, कच्चे माल की उपलब्धता में कमी जैसे तमाम मुद्दों के कारण भारी नुकसान की बात सामने रखी।

यहां समक्षिए साल दर साल मौत का आंकड़ा

साल कारोबारी किसान

2015 8780 12602

2016 8573 11379

2017 7778 10655

2018 7990 10349

2019 9052 10281

2020 11716 10677

2021 12055 10881

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध