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योगीराज : ब्राह्मण कारोबारी हत्याकांड में न्याय की उम्मीद कम, जांच का जिम्मा आरोपी के जूनियर अधिकारी को
जनज्वार, बांदा। किसी भी पुलिस अधिकारी के सामने अपने ही अफसर के खिलाफ जाँच की स्थिति आ जाए तो फर्ज की अदायगी में चुनौतियों का सामना करना भी बड़ा फर्ज बन जाता है। आखिर अनुशासन नाम की भी तो कोई चीज होती है। कुछ यही स्थिति बांदा पुलिस के सामने भी आ खड़ी हुई है। इंद्रकांत मामले में किरकिरी का सामना कर रही महोबा पुलिस के लिए निष्पक्ष विवेचना की चुनौती है।
यहाँ के कबरई निवासी क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत मामले में एक पखवारे पहले जो साहब थे वो अब अभियुक्त बन चुके हैं। साथ ही उनकी जाँच उन्हीं के अधीनस्थ रहे एएसपी करेंगे। इस चर्चित और संगीन केस में नामजद यहाँ के पूर्व पुलिस अधीक्षक मणीलाल पाटीदार क्रशर व्यवसायी की मौत में अभियुक्त हैं। यहाँ पेंच यह है कि इंद्रकांत की मृत्यु से पहले बयान ही नहीं हो पाए। जिसके बाद इस केस का काफी कुछ दारोमदार पुलिस की विवेचना पर निर्भर करेगा।
यदि मृत्यु से पहले इंद्रकांत का बयान हो जाता और वह जिसका भी नाम ले लेते उसे सजा मिलनी लगभग तय थी। साथ ही पुलिस की विवेचना भी आसान हो जाती, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। इंद्रकांत के भाई रविकांत त्रिपाठी ने 11 सितंबर को दर्ज कराई रिपोर्ट में बहुत कुछ बयां किया है। रविकांत की ही तहरीर के आधार पर दागदार एसपी मणीलाल पाटीदार सहित कबरई थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष देवेन्द्र शुक्ला भी आरोपी बनाे गए हैं।
इन सबके अलावा क्रशर व्यवसाय से जुड़े सुरेश सोनी, ब्रह्मदत्त सहित कुछ अज्ञात पुलिसकर्मियों पर भी धारा 307, 120 बी, व 387 की रिपोर्ट दर्ज की गई है। ऐसे में इस घटना में जाँच अधिकारी नियुक्त किए गए महोबा के ही एएसपी राम कुमार पाण्डेय के सामने निष्पक्ष विवेचना करने की परीक्षा काफी चुनौती भरी रहने वाली है।
स्थानीय पुलिस पर नहीं है भरोसा
क्रशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी के परिवार ने मामले की जाँच कर रही एसआईटी टीम के सामने कहा है कि उन्हें स्थानीय पुलिस पर जरा भी भरोसा नहीं है। स्थानीय पुलिस जाँच के मामले को उलझा सकती है। परिजनों ने यह भी कहा कि मामले में विवेचक बनाए गए एएसपी आरोपी एसपी मणीलाल पाटीदार के नीचे काम कर चुके हैं। ऐसे में जाँच में निष्पक्षता रहेगी उन्हें संदेह है।