Corbett Tiger Reserve: मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर एनजीटी का ब्रेक, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मोदी ने की थी घोषणा, पाखरो टाइगर सफारी का विवादित मामला
Corbett Tiger Reserve: मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर एनजीटी का ब्रेक, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मोदी ने की थी घोषणा, पाखरो टाइगर सफारी का विवादित मामला
Corbett Tiger Reserve। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में चल रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट "पाखरो टाइगर सफारी" में तमाम अनियमितताएं मिलने के बाद राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने इस प्रोजेक्ट पर फिलहाल रोक लगा दी है। साल 2019 में कॉर्बेट नेशनल पार्क आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। जिसमें वनाधिकारियों ने साढ़े छः हजार पेड़ काटकर इलाके का पूरा जंगल तबाह कर डाला था। जबकि शुरुआत में प्रोजेक्ट के लिए कुछ सौ पेड़ों को काटे जाने की बात कही गई थी।
बता दे कि करीब चार वर्ष पूर्व 14 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वन्यजीवो से जुड़े एक शो की शूटिंग में हिस्सा लेने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व आए थे। जहां उन्होंने कालागढ़ डिविजन के पाखरो में सैलानियों के लिए एक टाइगर सफारी बनाए जाने की घोषणा की थी। मोदी के इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाए जाने के लिए अधिकारियों ने पहले कुछ सौ पेड़ों को काटने की बात कही थी। लेकिन बाद में करीब साढ़े छः हजार पेड़ों को काटकर पूरा जंगल ही साफ कर दिया गया था। कॉर्बेट नेशनल पार्क के बफर जोन में इतने ज्यादा पेड़ काटे जाने की शिकायत एडवोकेट गौरव कुमार बंसल ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से की थी। इसके बाद एफएसआई ने कार्बेट में मामले की छानबीन कर अपनी रिपोर्ट में छह हजार से अधिक पेड़ काटे जाने की बात कही थी। लगभग 20 दिन पहले एफएसआई ने 16.21 हेक्टेयर में 6 हजार से अधिक पेड़ काटे जाने सम्बन्धी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी। उस समय पीसीसीएफ विनोद सिंघल ने रिपोर्ट में तकनीकी खामियां बतायी थीं।
बाद में इस मामले में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने स्वत संज्ञान लेते हुए डीजी स्तर पर तीन सदस्यीय कमेटी के गठन के आदेश दिए हैं। कमेटी कार्बेट में वन और पर्यावरण के नियमों के उल्लंघन की विस्तृत जांच कर दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। इस अवधि तक इस प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं करने के आदेश दिए गए हैं। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, विशेषज्ञ सदस्य प्रो. ए सेंथिल वेल ने केंद्र और उत्तराखंड सरकार को इस प्रोजेक्ट पर फिलहाल काम करने से मना किया है। साथ ही एक महीने में स्पष्टीकरण देने को भी कहा है। सम्बंधित विभागों को विशेष सिफारिश से जुड़ी रिपोर्ट एक महीने में देने को कहा है।
पिछली भाजपा सरकार में उछला था यह मामला
पिछली भाजपा सरकार में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत पर कार्बेट के इस बफर जोन में बिना टेंडर के ठेकेदारों से काम कराने के आरोप भी लगे थे। जिसकी जांच कर फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने इसी महीने के पहले हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। जबकि पाखरो क्षेत्र में टाइगर सफारी के निर्माण के लिए की गई गड़बड़ी की जांच विजिलेंस ने भी की थी। इस मामले में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद कालागढ़ टाइगर रिजर्व के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद और तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग को निलंबित कर दिया था। इसके अलावा, तत्कालीन निदेशक राहुल को फारेस्ट मुख्यालय में अटैच किया गया था।