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उत्तराखंड

Dehradun news : भंग करने की मांग उठी तो अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने की परीक्षा पैटर्न बदलने की कवायद, नकलरोधी कानून भी लाने का जताया इरादा

Janjwar Desk
28 July 2022 7:09 AM GMT
Dehradun news : भंग करने की मांग उठी तो अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने की परीक्षा पैटर्न बदलने की कवायद, नकलरोधी कानून भी लाने का जताया इरादा
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Dehradun news,Dehradun Samachar : भर्ती परीक्षाओं में घोटालों की लंबी फेहरिस्त के बाद अपने अस्तित्व के संकट से जूझने वाले राज्य का अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अब परीक्षाओं के पैटर्न में बदलाव करने जा रहा है।

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Dehradun news,Dehradun Samachar : भर्ती परीक्षाओं में घोटालों की लंबी फेहरिस्त के बाद अपने अस्तित्व के संकट से जूझने वाले राज्य का अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अब परीक्षाओं के पैटर्न में बदलाव करने जा रहा है। गुजरे साल दिसंबर में राज्य की स्नातक स्तरीय परीक्षा (बीपीडीओ) के पेपर लीक मामले में अपनी निष्पक्षता को लेकर आलोचनाओं का शिकार हो रहे इस आयोग की मुश्किलें तब से और बढ़नी शुरू हो गई जब इस मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पेपर लीक मामले में आधा दर्जन से अधिक लोगों की गिरफ्तारी की। अब जब इस आयोग को भंग करने की मांग तेज हो चली है तो आयोग की ओर से परीक्षाओं का पैटर्न बदलने की बात कही जा रही है।

संदर्भ के तौर पर बताते चलें कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की तरफ से बीते साल 4-5 दिसंबर में कराई गई स्नातक स्तरीय परीक्षा (बीपीडीओ) का आयोजन किया गया था। इसमें अलग-अलग विभागों के 13 श्रेणी के 854 पदों के लिए हुई परीक्षा में 1.60 लाख युवा बैठे। परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद इसमें फर्जीवाड़ा सामने आया। उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने सबसे पहले सवाल उठाए थे। भर्ती परीक्षा पर सवाल उठने के बाद पूरे मामले में देहरादून के रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कर जब कार्रवाई शुरू हुई तो भर्ती प्रक्रिया का पेपर लीक करवाने वाले 6 आरोपियों को 37 लाख रुपये के साथ अरेस्ट किया गया था। इसमें दो आरोपी आयोग के साथ काम करते थे। एक आरोपी कम्प्यूटर ऑपरेटर और दूसरा आयोग के साथ पीआरडी का तैनात जवान है।

जिस पर थी पेपर सील करने की जिम्मेदारी उसी ने किया पेपर लीक

बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले आयोग की कार्यशैली कुछ ऐसी रही जिसे दूध की रखवाली के लिए बिल्ली का पहरा कहा जा सकता है। जिस प्रिंटिंग प्रेस में परीक्षा का पेपर प्रिंट हुआ और जिस कर्मचारी की पेपर को सील करने की जिम्मेदारी थी, उसी ने 2021 की इस परीक्षा का पेपर इंस्ट्राग्राम के माध्यम से लीक किया था। आयोग की इस परीक्षा का पेपर प्रिंट करने की जिम्मेदारी लखनऊ की आउटसोर्स कम्पनी आरएमएस सॉल्यूशन की थी। इस कम्पनी में काम करने वाले अभिषेक वर्मा जिसकी जिम्मेदारी पेपर छपने के बाद उन्हें लिफाफों में सील करने की थी, उसी ने तीनों पालियों के एक-एक सेट को निकालकर उनकी फोटो खींचकर टेलीग्राम एप के माध्यम से अपने साथियों को भेज दी। वर्मा को इस काम के लिए 36 लाख रुपये मिले थे। 21 हजार रुपए का वेतन पाने वाला अभिषेक इस रकम को धुंआधार खर्च करते हुए नौ लाख की कार खरीद लाया तो वह पुलिस के राडार पर आया। मूल रूप से सीतापुर के शेरपुर गांव का रहने वाले अभिषेक को भी फिलहाल जेल भेजा जा चुका है।

भर्ती परीक्षाओं में घपले की लंबी सीरीज है आयोग के पास

इस परीक्षा के पेपर लीक होने और मामले में हुई गिरफ्तारी के बाद आयोग की पूरी कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई थी। इसकी निष्पक्षता पर उंगली उठने के साथ ही इसे भंग किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। इसको वजह यह थी कि आयोग की कार्यशैली इसके गठन से ही संदेहास्पद थी। आयोग के इतिहास की बात करें तो उत्तराखंड में साल 2015 में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अस्तित्व में आया था। अपनी स्थापना से लेकर अब तक इस आयोग ने करीब 90 भर्ती परीक्षाएं करवाई। लेकिन एक साल बाद ही 2016 में ग्राम विकास अधिकारी के भर्ती पेपर में ही धांधलेबाजी के चलते मुकदमा दर्ज होने के बाद कई लोगों को जेल जाना पड़ा। ठीक अगले ही साल 2017 में एलटी परीक्षाओं में भी घोटाले की बात सामने आई थी। इस मामले में भी मामला मुकदमा दर्ज होकर जांच तक पहुंचा था। वर्ष 2018 में आयोग ने स्नातक परीक्षा भर्ती का आयोजन किया था तब भी इस परीक्षा पर सवाल उठे थे। इस मामले में भी मुकदमा दर्ज कर कई लोगों को गिरफ्तारी की गई थी। इसी साल यूपीसीएल और पिटकुल में हुयी टेक्निकल ग्रेड परीक्षाओं में नकल के मामले में भी मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके साथ ही आयोग ने पेपर होने से पहले सहायक लेखागार और टेक्निकल ग्रेड की दो भर्ती परीक्षाओं को निरस्त भी किया था। अब 2021 की स्नातक स्तरीय परीक्षा (बीपीडीओ) में हुए घपले और इसके बाद हो रही गिरफ्तारियों ने तो सरकार के माथे पर ही शिकन डाल दी है।

आयोग को भंग करने के सुर में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी मिलाया अपना सुर

आयोग को भंग करने की चौतरफा आवाजों में एक प्रमुख आवाज राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की भी है। रावत का कहना है कि कुछ लोग अपने निहित स्वार्थों के लिए राज्य की इस एजेंसी का दुरुपयोग कर रहें हैं। मेरे मुख्यमंत्री रहते भी एक घोटाला सामने आया था। अब यह एक नया मामला सामने आया है तो राज्य सरकार को युवाओं के भविष्य के साथ होने वाले खिलवाड़ को देखते हुए आयोग को भंग करने पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश के अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर ऐसे ही आयोग को भंग किया जा चुका है।

भर्ती परीक्षाओं का पैटर्न बदलने जा रहा है आयोग

ऐसे में जब इधर जब आयोग की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए उसको भंग करने की मांग की जा रही है तो आयोग ने अब राज्य में होने वाली भर्ती परीक्षाओं का पैटर्न बदलने की कवायद शुरू की है। जिसके तहत भविष्य में केवल एक परीक्षा पास करके समूह-ग के पदों पर नौकरी नहीं मिलेगी। इस संबंध में आयोग जल्द ही दिशा निर्देश जारी करेगा। राज्य में समूह-ग पदों पर भर्तियां करने वाला यह आयोग परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव के साथ ही सख्त नकलरोधी कानून बनाने की कवायद में जुटा है। अभी तक की व्यवस्था के अनुसार आयोग जो भी भर्तियां करता है वह केवल एक परीक्षा आधारित होती हैं। इस एक परीक्षा को पास करने वालों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होता है। इसके बाद उनकी अंतिम चयन सूची संबंधित विभागों को भेज दी जाती है। लेकिन बदले माहौल में इस व्यवस्था को आयोग बदलने जा रहा है।

आयोग के सचिव संतोष बडोनी ने बताया कि अब टू-टियर एग्जाम व्यवस्था लागू होने जा रही है। इसमें किसी भी भर्ती में पहले उम्मीदवारों को प्री परीक्षा पास करनी होगी। इसके बाद मुख्य परीक्षा पास करनी होगी। इसके बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होगा और अंतिम चयन सूची जारी होगी। टू-टियर एग्जाम पैटर्न में जो पहली प्री परीक्षा होगी, उसमें ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाएंगे। अभी तक आयोग सभी परीक्षाओं में केवल यही प्रश्न पूछता है। जिसमें पेपर लीक का खतरा भी ज्यादा होता है। लेकिन अब प्री परीक्षा पास करने वालों को लिखित प्रकृति की मुख्य परीक्षा भी देनी होगी। इसे केवल वही छात्र पास कर पाएंगे जो कि अपने विषय की गहराई से जानकारी रखेंगे। इससे नकल जैसे मामलों में भारी कमी आ जाएगी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी का कहना है कि अभी तक हम केवल एक परीक्षा कराते हैं जो कि बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित होती है। अब टू-टियर एग्जाम व्यवस्था लागू करने जा रहे हैं। इससे निश्चित तौर पर परीक्षा की पारदर्शिता और अधिक प्रभावी होगी।

अब ऐसे माहौल में जब घपलों से घिरे आयोग की विश्वसनीयता ही इतने दांव पर हो कि इसे भंग करने की मांग हर ओर से होनी शुरू हो गई है तब आयोग द्वारा परीक्षाओं का पैटर्न बदलकर नकररोधी कानून की व्यवस्था क्या आयोग को बचा पाएगी या सरकार इसे युवाओं के भविष्य को देखते हुए भंग करेगी, इसका जवाब भविष्य के गर्भ में है।

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