चमोली के कुलसारी गांव में स्टोन क्रेशर का विरोध कर रही महिलाओं को हाथ में दरांती लेकर धमका रहे खनन माफियाओं के गुर्गे
Dehradun News: भूकम्प की दृष्टि से राज्य का बेहद संवेदनशील माने जाने चमोली जिले के थराली तहसील के कुलसारी गांव में स्टोन क्रेशर लगाए जाने के खिलाफ आंदोलनरत महिलाओं को खनन माफियाओं के गुर्गे प्रशासन की शह पर दरांती से धमकाने तक की स्थिति में पहुंच गए हैं, लेकिन इससे बेपरवाह महिलाएं किसी भी हाल में स्टोन क्रेशर न लगने के लिए कड़कड़ाती ठंड में अलाव जलाकर अपनी जमीन की पहरेदारी कर रहीं हैं। यह अभूतपूर्व स्थिति तब है जब यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है।
याद के तौर पर बताते चलें कि चमोली जिले के इस गांव में एक स्टोन क्रेशर लगाया जा रहा है। इस बात को खास तौर पर चिन्हित किया जाए कि जिस इलाके में यह स्टोन क्रेशर लग रहा है, वह राजस्व क्षेत्र है। जो पुलिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इलाके के ग्रामीणों का इल्जाम है कि लगने वाले स्टोन क्रेशर की उड़ने वाली धूल से आसपास उनके खेत न केवल बरबाद हो जायेंगे बल्कि छोटे छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह धूल जानलेवा साबित होगी। इसके अलावा इसी इलाके से उनके बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं, जो उपखनिज लेकर सरपट दौड़ते डंपरों की चपेट में आकर आए दिन हादसों का शिकार होते रहेंगे। स्टोन क्रेशर को न लगाए जाने के लिए ग्रामीण सात महीने के लंबे समय से आंदोलनरत थे, लेकिन प्रशासन की सहानुभूति देखकर ग्रामीण इस मामले को न्यायालय तक लेकर चले गए हैं, जहां इस मामले की सुनवाई जारी है।
दूसरी ओर अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के बाद भी पुलिस प्रशासन द्वारा इस मामले में आंदोलनरत महिलाओं को लगातार हतोत्साहित करने में जुटा है। इतना ही नहीं महिलाओं को पुलिस थाने बुलाकर महिलाओं को धमकाया भी जा चुका है। मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद कुछ ही दिन पहले प्रशासन की ओर से आंदोलनरत लोगों के खिलाफ शांति भंग की कार्यवाही भी की जा चुकी है। इतना ही नहीं, प्रकरण के न्यायालय में लंबित होने के बाद भी स्टोन क्रेशर स्वामी द्वारा प्रस्तावित स्टोन क्रेशर की जमीन पर काम करते हुए न्यायालय की अवमानना की जा रही है। स्टोन क्रेशर वाले के गुर्गे भी महिलाओं को लगातार धमकाने का काम कर रहे हैं।
ऐसे में आंदोलनरत महिलाओं ने अपने हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए कड़कड़ाती ठंड के बावजूद रात के अंधेरे में भी अपनी जमीनों को बचाने के लिए पहरेदारी शुरू कर दी है। सोमवार की रात से महिलाएं दिन के अलावा रात को भी अलाव जलाकर मोर्चे पर डटी हुई हैं। अपनी जमीन के बहाने अपने गांव और पहाड़ को बचाने की लड़ाई लड़ रही यह महिलाएं न केवल स्टोन क्रेशर माफिया के गुर्गों की गलियां खा रही हैं, बल्कि गुर्गे दरांती के साथ मौके पर आकर महिलाओं को धमका भी रहे हैं।
इस मामले में शुरू से ही इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आंदोलनकारी कपूर रावत का कहना है कि न्याय की इस लड़ाई में स्टोन क्रेशर का पक्ष कमजोर देखते हुए प्रशासन की मंशा स्टोन क्रेशर स्वामी और आंदोलनकारियों के बीच टकराव करवाने की है। जिसका फायदा उठाकर आंदोलनकारियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज कर उन्हें स्टोन क्रेशर माफिया के पक्ष में समझौते की टेबल तक लाया जा सके। प्रशासन इससे पहले आंदोलन कर रही महिलाओं को डराने धमकाने के सारे हथकंडे आजमाकर असफल हो चुका है] इसलिए वह आंदोलनकारियों को खनन माफियाओं के गुर्गों के माध्यम से उकसाकर उन्हें मुकदमेबाजी में उलझाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन हम प्रशासन की इस चाल को सफल नहीं होने देंगे।
रावत ने कहा कि मामला न्यायालय में होने के बाद भी स्टोन क्रेशर स्वामी किसी भी समय मौके से खुदाई करने के लिए जेसीबी लगा दे रहा है। खुलेआम न्यायालय की अवमानना हो रही है, लेकिन प्रशासन इस गंभीर मामले में चुप्पी साधे हुए है। जिससे उसकी स्टोन क्रेशर स्वामी के साथ सांठगांठ की पोल खुल रही है। रावत ने बताया कि न्यायालय में चल रहे इस प्रकरण की अगली तारीख पर वह यहां कराए जाने वाले सभी कामों की वीडियोग्राफी न्यायालय को उपलब्ध करवाकर स्टोन क्रेशर स्वामी और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ न्यायालय की अवमानना के लिए कार्यवाही की मांग करेंगे।