Nainital News: बेरोजगार हुए पिता तो कमिश्नर को पीड़ा बताने निकल पड़े मासूम बच्चे, पंतनगर की इन्टरार्क कंपनी का है मामला
Nainital News: ढाई महीने पहले पंतनगर स्थित सिडकुल की इन्टरार्क कंपनी द्वारा सैंकड़ों मजदूरों को छंटनी के दौरान बेरोजगार हुए मजदूरों के बच्चों ने बुधवार को कुमाउं कमिश्नर दीपक रावत से मिलकर उन्हें अपनी दिक्कतों को कई दास्तानों से रूबरू कराया। कमिश्नर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सकारात्मक पहल का आश्वासन दिया है।
बाल सत्याग्रह के लिए सिडकुल पन्तनगर और किच्छा से नैनीताल आए मजदूरों के इन बच्चों ने करुणा भरे स्वर में पिता की बेरोजगारी के चलते पैदा हुई अपनी तकलीफों को व्यक्त करते हुए बताया कि इन्टरार्क कंपनी मालिक द्वारा 16 मार्च 2022 को कंपनी की तालाबन्दी कर उनके पापा समेत करीब 500 स्थाई मजदूरों का गेटबन्द कर उन्हें अपने बच्चों संग भूखों मरने को विवश किया जा रहा है। तीन महीने से उनके पिता को वेतन नहीं मिला है। जिससे उन्हें ढंग का खाना भी नहीं मिल पा रहा है। पैसों के अभाव में हम अपनी स्कूल फीस नहीं भर पा रहे हैं। जिस वजह से उन्हें स्कूल में अपने सहपाठियों के सामने रोज-रोज जलील व अपमानित होना पड़ता है। पैसों के अभाव के चलते अभी तक हम अपनी कॉपी किताब भी नहीं खरीद पाये हैं। जिससे हमारे सामने स्कूल छूटने का खतरा बना हुआ है। बच्चों ने कुमाउं कमिश्नर दीपक रावत को बताया कि हमने जिला प्रशासन, श्रम विभाग समेत हर जगह फरियाद की किन्तु हमें कहीं भी न्याय नहीं मिला। इसलिए वह अपनी फरियाद लेकर यहां आये हैं। बेरोजगार हुए मजदूरों के बच्चों की पीड़ा को महसूस करते हुए कई लोगों की आँखें भी नम हो उठी।
बीते ढाई महीने से फैक्ट्री प्रबन्धन के खिलाफ आवाज उठा रहे मजदूरो के बच्चे कई जगह से निराश होकर तयशुदा कार्यक्रम के तहत बुधवार 1 जून को इन्टसर्क कंपनी सिडकुल पंतनगर व किच्छा में कार्यरत अपने पिताओं संग बाल सत्याग्रह के लिए कुमाउं कमिश्नर कार्यालय पहुंचे थे। इससे पहले तल्लीताल डाँठ पर धरने के दौरान एक सभा का आयोजन किया गया था। जिसके बाद यह बच्चे अपनी माताओं और मजदूरों संग जोरदार नारेबाजी के साथ जुलूस निकाल कुमाउं कमिश्नर दीपक रावत के कार्यालय पहुंचे थे।
इन्टरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर के महामंत्री सौरभ कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 1 अप्रैल 2022 आदेश के क्रम में उत्तराखंड शासन के श्रम अनुभाग द्वारा 30 मई 2022 को जारी आदेश में कंपनी की तालाबन्दी को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। उत्तराखंड शासन को 6 हफ्ते में निर्णय लेना था किंतु उसने निर्णय लेने में करीब 9 हफ्ते लगा दिये। जो कि उच्च न्यायालय के उक्त आदेश की घोर अवमानना है। अभी भी कंपनी की तालाबन्दी समाप्त कर इन 500 मजदूरों को काम पर बहाल नहीं किया गया है। सहायक श्रमायुक्त द्वारा तो तालाबंदी के मामले को संज्ञान में ही नहीं लिया गया। जिस वजह से 500 मजदूर और उनके बच्चे भुखमरी की स्थिति में पहुंच गए हैं। ऐसे में कुमाउं कमिश्नर को न्यायहित में तत्काल हस्तक्षेप कर कंपनी की तालाबन्दी खुलवाकर सभी मजदूरों की कार्यबहाली और तीन माह के वेतन की वसूली करानी चाहिए।
उत्तराखण्ड इन्टर्क मजदूर संगठन के कार्यकारिणी सदस्य लक्ष्मण सिंह ने कहा कि कंपनी के किच्छा प्लांट में विगत माह के दौरान 40 स्थाई मजदूरों को गैरकानूनी रूप से निलंबित कर दिया है। वहीं कंपनी के प्रमाणित स्टैंडिंग ऑर्डर का उल्लंघन करीब 700 कैजुअल मजदूरों को गैरकानूनी रूप से भर्ती किया गया है। तमाम शिकायत करने पर भी श्रम विभाग मौन हैं। 15 दिसंबर 2018 को हुए लिखित समझौते के बावजूद भी पन्तनगर व किच्छा प्लांट के 32 बर्खास्त व निलंबित मजदूरों की अभी तक कार्यबहाली नहीं किया गया है। प्रबन्धन के गैरकानूनी कामों पर रोक न लगाई गई तो शीघ्र महापंचायत का आयोजन कर इन गैरकानूनी गतिविधियों पर स्वयं ही रोक लगाएंगे।
इस मौके पर महिलाओं ने कहा कि प्रबंधन ने मजदूरों का एलटीए व बोनस भी काट दिया है। चार साल से तनख्वाह नहीं बढ़ी है लेकिन महंगाई हर हफ्ते बढ़ रही है। ऐसे में बढ़ती महंगाई में कैसे घर चले हमें यह चिंता खाये रहती है। यदि हमारी मांगे पूरी न हुई तो महिलाओं को भी सड़कों पर उतरना पड़ेगा।
कमिश्नर ने दिखाई गंभीरता, दिए यह निर्देश
इस दौरान कमिश्नर दीपक रावत ने छोटे बच्चों को बिस्कुट देते हुए उनसे बात कर मजदूर संघ के पदाधिकारियों से ज्ञापन लिया। उन्होंने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए धरना स्थल पर ही फोन के माध्यम से लेबर कमिश्नर को तत्काल निर्देश दिए है कि संबंधित अधिकारियो को अपने स्तर से मामले में अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित करें। जिन श्रमिकों का वेतन इत्यादि नहीं मिला है उस पर भी आवश्यक कार्रवाई करें। यदि इसके बाद भी श्रमिकों को राहत नहीं मिलती है तो संबंधित कंपनी की आरसी काटने एवं अन्य नियमो के तहत कार्रवाई करना सुनिश्चित की जाए। यह मामला न्यायालय व शासन स्तर पर गया था जिसे शासन द्वारा अवैध तालाबंदी घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि जिन कंपनियों में नियमों के तहत कार्य नहीं किए जा रहे हैं उन कंपनियों की जानकारी प्राप्त कराएं ताकि ऐसे कम्पनियों का औचक निरीक्षण करते हुए आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जा सके। श्रमिकों का कोई अहित नही होने दिया जाएगा। रावत ने कहा श्रमिकों को मार्च से वेतन नहीं मिलने की भी बात आई है। जो गंभीर बात है। श्रमिकों के वेतन का जो भी एरियल बनेगा उसका भी श्रमिकों को भुगतान किया जाए। जिन मजदूर बच्चों की फीस जमा एव अन्य कारणो से स्कूलों द्वारा उन्हें स्कूल आने से रोका जा रहा है उन से वार्ता करते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी ताकि कोई भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित ना रहे।
डॉली के संचालन में आयोजित कार्यक्रम को इन्टरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह, इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश भट्ट, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी जोशी, जन एकता मंच के संस्थापक सुव्रत विश्वास, परिवार्तन कामी छात्र संगठन के नेता चन्दन, श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, मजदूर सहयोग केन्द्र के कार्यकारी अध्यक्ष दीपक सनवाल, करोलिया लाइटिंग इम्प्लाइज यूनियन के अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन, उत्तराखण्ड की नैनीताल ब्लाक अध्यक्ष तुलसी, क्रान्तिकारी लोक अधिकार संगठन के हल्द्वानी शहर सचिव मुकेश भण्डारी, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की महासचिव रजनी जोशी और बाल सिपाही, अनुराग, अनीता, ममता, शिवम, राघव, शिखा, प्रशान्त इशान्त आदि ने संबोधित किया।